मिथिलांचल की संस्कृति,अतिथि देवो : भवः – खबरी लाल

मिथिलाचंल के लोग व संस्कृति भारत ही नही वरन सम्पूर्ण विश्व मेंआदिकाल से अनोखी व अनुटी है।इस का जीता जागता उराहरण अतिथि देवोः भव : है।संस्कृत के इस वाक्य से आप सभी भली भाति परिचित होगे।अगर नही तो मै आज आप इस वाक्य से भली भाँति परिचित कराने जा रहा हुँ ! विगत दिन मुझे एक चिर परिचित के शादी समारोह में शरीक होने का शुभ अवसर प्राप्त हुआ जहाँ अतिथि धर्म का सही अर्थ में जानने का मौका मिला। इस शादी समारोह में मिथिलांचल की संस्कृति मधुबनी के बारे नजदीक से कुछ पल बिताने का सौभाग्य मिला ।
आप बड़ भागी वे जिन्हे जन्म भुमि में जीवन यापन का सौभाग्य मिला है।ऐसे में आप हो सकते है लेकिन कम कम हम नही है। मै जीवन जीविका के जंग में तीन दशकों से अपने घर से राजधानी दिल्ली में आये हुए।घर परिवार संगे सम्बन्धी से दुर ‘ गॉव के पर्व त्योहार रीति रिवाज से दुर।एक लम्बे अर्शे के बार एक आध्यात्मिक परिवार से एक गुरु भाई जिसका नाम कुन्दन चौधरी है जो विहार प्रसानिक सेवा चयनित होकर राजपत्रित अधिकार के पदस्थापित है। कुन्दन व उनके कुटुम्ब परिवार के विशेष आग्रह पर बिहार राज्य के ऐतिहासिक नगर मधुबनी जिले के पैतृक गॉव में शादी समारोह में शरीक होने का सुअवसर मिला । मै अपने कुछ चिरपरिचित व मित्रों के साथ मधुबनी पहुंचे । वहाँ पर औपचारिक परिचय के मधुबनी की परम्परागत भोज मे सुस्वादिष्ट व्यंजनों दाल – चावल ‘ तीन चार तरह की सब्जी (बचका घीया ‘केले ‘ परबल आदि) मछली का आनन्द उठाया।तभी मेरी नजर बगल के मेज पर रखे पक्के हुएआम की टोकरी पर ‘ जैसे ही नजर पडी मेरे मन आम खाने की प्रबल इच्छा जग गई तथा मुझे मेरे पुराने दिन याद आ गए जब मै आम के बाग जा आम खाने का आनंद उठाते थे।इतने में कुन्दन के मेहमान(जीजा जी) आनंद जी ने मेरे गतिविधि पर चुटकी लेते कहा कि भैया आम का मजा आप ले रहे है।
तभी मेरे नजर कुन्दन के पिता व बड़ी बहन पर पड़ी जो भोजन कर रहे थें।इतना लेट घर वाला हो कर आप लोग भोजन कर रहे है । उन्होने कहा कि विनोद जी आप मिथलाचंल आये है।हमारे यहाँ की प्रथा हैअतिथि हमारे भगवान होते है।उनकी सेवा करना हमारा परम कर्तव्य है। विनोद जी कन्या पक्ष के सात लोग वर को लेने के लिए आये है।उन्ही के स्वागत में लगे थें। बातचीत के दौरान पता चला कि मिथलाचंल के मधुबनी पान ‘माछ(मछली )मखाना व मधुबनी पेंटिंग के लिए भारत व विश्व में प्रचलित है।आज आप को मिथिलांचल में अतिथि स्वीकार करें।

शाम में आज के दुल्हे राजा के जीजाश्री आनंद जी ने बारातियों को सुचना देते हुए बताया कि बारात का प्रस्थान 7:30 बजे कार से कन्या पक्ष के गाँव अकोर के लिए निकलेगी ।आप सभी तैयार हो जाय।इतने मै भी तैयार नीचे पहुंचे थे-दरवाजे पर कुछ पूर्व विराजमान अतिथि से औपचारिक वार्ता के दौरान पता चला कि कन्या पक्ष दुल्हे को ले जाने के दुल्हन की ओर से सात लोग आये है जिसे हथपकड़ी कहा जाता है। कन्या पक्ष से आये हुए अतिथि का स्वागत ‘ 36 पराम्परा गत भोजन ‘ मिथिला के पाक (स्पेशल की कपड़े की टोपी ) से किया गया।रात्रि के 9बजें 25 स्क्रापियो व अन्य कारें से बारात मधुर बैण्ड पार्टी के लिए निकली जो बेनी पेटी के अकोर दुल्हे राजा के कुछ खास सम्बन्धी नाचते झुमते-आज मेरे यार की शादी है ‘मेरे यार की — — दिलदार की शादी है।विवाह स्थल से बारातियों के स्वागत में लगाये गयें रंग बिरंगी रोशनी व तोरण द्वार से वर पक्ष व बारातियों के
लिए स्वागत में सड़कों पर सुसज्जित परिधानो में रंग विरंगी रोशनी लगाई गई थी वही वर पक्ष वाले विखरती फुलो सेअच्छादित डोली में दुल्हे राजा अपनें मित्र परिजनो,संगे सम्बघियों केसाथ बाराते लें कर निकल पड़े है अपनी सपनो की रानी दुलनियाँ को लाने के लिए।वही कन्या पक्ष वाले अपनी लाड़ली व कलेजें के ट्कड़े को शादी कीरस्म अदायी हेतु बड़ी ही वेशब्री सें इंतजार कर रही है।तभी बेटी की माँ को किसी ने बारात की शुभ सुचना दी,कन्या पक्ष वालो घर की सारी औरतें ने दुल्हें व बारात के स्वागत में मंगल गीत गाने लगी है ।,कन्या पक्ष के सारें सगें सम्बन्धी सर्तक हो गयें क्योंकि आज गॉव की लाड़ली की शादी समारोह में कोई कमी ना रह जाय।बिटिया रानी की शादी र्निविध्न सम्पन्न हो इस के लिए कन्या पक्ष के पिता ‘ सगे सम्बन्धी सभी वर पक्ष के पिता सगे सम्बन्हीयों के आव भाव से बरातियों के पास जा -जा कर अपने आथित्य धर्म का पालन कर ने कर बद्ध प्रार्थना कर रहे है ‘ बारातियों के स्वागत के बाद उन्हे स सम्मान जेनऊ सुपारी पान के साथ हाथ जोड़ कर विदा करते हुए दीन हीन की तरह विन्रम भाव से क्षमा माँग रहे थे कि आप हमारे अतिथि है ‘ मेरे या मेरे किसी सगे सम्बन्धी के क्रिया कलापों से या मेहमान बाजी में कोई कमी रह गई तो मै आप सभी से हाथ जोड कर विनीत करते है कि आप वर पक्ष वाले और मै ठहरा कन्या पक्ष पक्षवाले
आप हमेशा ही बडे़ है!एक बात और कुछ दिन आप सभी रुक जाते है हमे सेवा का अवसर देते ‘ जब कमी आप की कृपा हो ‘ हमे हमेशा ही आप सभी के सेवा के लिए तैयार रहेगे।
फिलहाल आप से यह कहते हुए विदा लेते है ना ही काहूँ सें दोस्ती ‘ ना ही काहूँ से बैर।खबरी लाल तो माँगे सबकी खैर ।
फिर मिलेगें तीरक्षी नजर से तीखी खबर संग ।
तब तक के लिए अलविदा
प्रस्तृति
विनोद तकिया वाला
लेखक स्वतंत्र पत्रकार / स्तंभ कार है
प्रिय श्री विनोद तकियावाला