अफगानिस्तान में पिछले कुछ समय से एक के बाद एक आतंकी हमले हो रहे हैं. इन जानलेवा हमलों को लेकर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने तालिबान पर कड़ा रूख अपनाया है. उन्होंने तालिबान के साथ बातचीत की संभावनाओं से इनकार किया है. लेकिन उन्होंने इसके प्रतिक्रिया स्वरूप कड़ी सैन्य कार्रवाई के संकेत दिए.
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के राजदूतों के प्रतिनिधित्व के साथ सोमवार को हुई व्हाइट हाउस की बैठक के दौरान ट्रंप ने कहा, ‘हम तालिबान के साथ बातचीत नहीं करना चाहते हैं. कभी शायद संभव हो, लेकिन उसमें अभी बहुत वक्त है.’UNSC की टीम ने भी माना, PAK में हैं आतंकियों के पनाहगाह
बता दें कि काबुल में गृह मंत्रालय की इमारत को निशाना बनाकर पिछले शनिवार को ही एक हमला किया गया था. हमलावर ने विस्फोटक से भरी एंबुलेंस को गृह मंत्रालय की पुरानी इमारत के पास उड़ा दिया था. अधिकारियों के मुताबिक इस हमले में जान गंवाने वाले ज्यादातर आम नागरिक थे. जिसमें 100 से ज्यादा लोग मारे गये थे. इसमें गृह मंत्रालय की इमारत को भी काफी नुकसान पहुंचा था. जहां पर यह धमाका हुआ था, उससे कुछ ही दूरी पर कई देशों के दूतावास भी हैं. सुरक्षा परिषद् के सदस्यों के साथ दोपहर के भोजन पर हुई यह बैठक इस हमले की पहली बैठक थी.
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ट्रंप ने कहा, ‘वह लोगों को लगातार मार रहे हैं. मासूमों की अंधाधुंध हत्याएं की जा रही हैं, बच्चों और परिवारों को मारा जा रहा है, पूरे अफगानिस्तान में बम विस्फोट हो रहे हैं.’
बहरहाल, ट्रंप ने यह नहीं बताया कि वह इस दिशा में क्या सोच रहे हैं, लेकिन उन्होंने इसके प्रतिक्रिया स्वरूप कड़ी सैन्य कार्रवाई के संकेत दिए. उन्होंने यह भी कहा कि अभी तक जो कोई नहीं कर सका, वह हम करके दिखाएंगे.
ट्रंप के सोमवार के बयान से तालिबान के साथ वार्ता पर अमेरिका के रुख को लेकर अस्पष्टता समाप्त हो गई. उदाहरण के लिए विदेश मंत्री रेक्स टिलरसन ने बीते अगस्त में कहा था कि अमेरिका बिना किसी पूर्वशर्त के अफगानिस्तान सरकार और तालिबान के बीच शांति वार्ता में सहयोग करेगा. हालांकि, ट्रंप ने भविष्य में विभिन्न परिस्थितियों में वार्ता की संभावनाओं का स्वागत किया है.
उन्होंने सुरक्षा परिषद के सदस्यों को बताया, ‘ऐसा समय आ सकता है, लेकिन अभी लंबा समय है. फिलहाल हम वार्ता के मूड में नहीं हैं.’
ट्रंप ने पाकिस्तान के खिलाफ कदम उठाकर तालिबान के साथ संघर्ष का स्तर बढ़ा दिया है. अमेरिका ने पाकिस्तान पर आतंकवादी संगठनों की मदद करने का आरोप लगाया है. अमेरिका ने ऐलान किया था कि पाकिस्तान जब तक तालिबान का समर्थन करना जारी रखेगा, उसे दी जाने वाली एक अरब डॉलर से अधिक की राशि पर रोक जारी रहेगी.