गुरु गोविंद दोऊ खड़े काके लागू पाव- खबरीलाल

“गुरु गोविंद दोऊ खड़े ,काके लागू पाव गुरु बलिहारी आपनो जो गोविंद दियो बताए “।संत कबीर दास की वाणी जरूर सुनी होगी आपने ।,ताऊ – राम-राम खबरीलाल ,तुम्हारी सवारी इस समय कहां से आ रही है । सुनो – सुनो सभी चौपाल वासियो ध्यान से सुनो हम सभी का प्यारा खबरी आ गया है।खबरीलाल -नमोनारायण ताऊ ।
ताऊ – नमो नारायण ‘ ? नारायण नारायण तो नारद मुनि को जपते हुए धार्मिक ग्रंथो के किस्से कहानी मे सुना था हम सभी ने ।तुम तो खबरीलाल हो । तुम तो खबरों का आदान प्रदान करते हैं ।नमो नारायण का अर्थ क्या है हम तो साधारण मानव हैं खवरीलाल तुम हम सभी को नारायण क्यों कह रहे हो । ये तुम्हारी बाते हम सभी के समझ से परे है।खबरीलाल – हर नारी यहाँ शक्ति स्वरूपणी ,हर नर यहां नारायण है।आवश्यकता है सिर्फकेवल उनको देखने के लिए दिव्य दृष्टि की ‘इसके लिए आपको ब्राह्मी दृष्टि की जरूरत पड़ती है ।ताउ – तुम कहां से आ रहे हो किस लोक का भ्रमण करके आ रहे हो । कहाँ की राम लीला देख कर आ रहे हो तुम |जो इस तरह की बहकी – बहकी बातें कर रहे हो |खबरी लाल – ताऊ कोरोना संकट काल मे रामलीला का मंचन नही हो रहा है। ताऊ – हॉ खबरीलाल यह बात
तो सही है। खबरीलाल – घन्य -धन्य कलियुग नर नारी ।
भोले नाथ चरणापर्ण हे ॥
दीन दयाला हे परमात्मा ।
मंगल कर हे सद्गुरू नाथ ॥
मंगल कर हे सद्गुरु देव मॉ ।
मंगल कर हे युगवतार ॥
ताऊ – खबरीलाल लगता है कि तुम पर ईशवर की बहुत ही कृपा है । थोड़ी सी कृपा सिन्धु की रसास्वादन हम चौपालवासियो को भी करवा दो । खबरी लाल – ताऊ इसके लिए तो आप को किसी सच्चे सतं ‘ सद्गुरु या गुरु के शरण मे जाना पड़ेगा।
ताऊ – नही नही खबरीलाल हम तो ठहरे सीधे साधे लोग , हमें किसी साधु बाबा के चक्र मे नही पड़ना है। हमे तो अपना व अपने घर गृहस्थी चलानी है। हम साघु नही बन सकते है।
खबरीलाल -गुरु गोविंद दोनों खड़े काके लागू पाव गुरु बलिहारी आपनो ।जो गोविंद दियो बताए ।संत कबीर दास की वाणी जरूर सुनी होगी आपने । ताऊ – हॉ खबरीलाल यह बात तो सही है । लेकिन नमो नारायण / ब्राहमी दृष्टि के विषय बताओ चौपाल बासियो को । खबरी लाल – ताऊ ऐसे संत के रूप स्वयं सदगरू देव – गुरु मॉ के रूप अवरित हुए है । वह भी घोर कलियुग मे जब सम्पूर्ण मानव जाति त्रितापो से त्रस्त है ‘ आधिदैहिक ‘आघि दैविक ‘ आधिभौतिक कष्ट से त्राण दिलाने हेतु इस्सयोग की सुक्ष्म साधना पद्धति का जनमानस को उपलब्ध करवाया । वे भी अपनी सम्पूर्ण पारिवारिक उत्तदायित्व का निर्वाह गृहस्थाश्रम मे रहते हुए |
ताऊ – क्या यह सम्भव है इस घोर कलि युग मे खबरीलाल । वे भी भौतिक संसार मे रह कर मुझे तो क्या किसी को भी विश्वास नही होगा | क्या तुम उनसे मिले हो ‘ तुम्हारी उस संत से कोई बातचीत हुई ।खबरी लाल – हॉ ताऊ पहले मुझे भी विश्वास नही होता था । अभी भी मै किसी बाह्य कर्म काण्डो मे विश्वास नही करते हैं । जहाँ तक मेरे उनके सम्पर्क व संवाद की बात है। उनसे मेरा तो पूर्व जन्मो से सम्बन्ध है। जहाँ तक इस जीवन मे सम्पर्क व संवाद की बात है वो करीब दो दशकों से है सानिध्य व सामीप्य रहने का सौभाग्य मिला है ताऊ ।
ताऊ – तुम तो बडभागी हो खबरी लाल । तुम अपनी अनभुतियो / आध्यात्मिक यात्रा के अलौकिक आनंद का कुछ हमे व चौपालवासियो को सुनाओ हमारी परम्परा है कि संत की सानिध्य ‘ साम्पीय व वाणी सुनने का मौका मिले तो कई जीवन के भोग – प्राल्बध् कट जाते है।
खबरी लाल – हॉ ताऊ । सच्चे गुरु ही गोविन्द को बता कर आप का मिलन करवा सकता है।
ताऊ – मुझे भी संत से मिलना है। हॉ तुम्हे मेरा यह कार्य करना होगा। खबरी लाल – ताऊ जब गोविन्द की कृपा आप पर होगी तभी वह सच्चे संत / सदगरु से मिला देता है। ताकि आप उनके बताये मार्ग पर चल कर आत्मा – परमात्मा का मधुर मिलन हो सके। गुरु का स्थान तो गोविन्द से भी उपर व बन्दनीय होता है । सदगुरु माँ ने आज अपने दिव्य प्रवचन मे उपस्थित इस्सयोगी व श्रद्धालुओ से गुरु की महिमा की व्याख्यान करते कही कि ” गुरु गोविन्द दोऊ खडे , काके लागु पाव ।बलिहारी गुरु आपनो,जो गोविन्द दीयो बताय ॥ .अथार्त परमात्मा को आज तक किसी ने नही देखा है । गु का अर्थ होता है अघंकार । जो आपको अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाता है । एक सक्षम गुरु अपने शिष्य को अज्ञानता रूपी से निकाल कर प्रकाश रूपी परमात्मा से मिला देता है। आवश्यकता होती है सिर्फ एक समर्थ गुरु के शरण मे जा कर शरणागति होने की । हालॉकि यह सबकी बस की बात नही है ‘ ‘ वह सच्चे व समर्थ गुरु को खोज सके । जब आपके पूर्व जन्मो के अच्छे संस्कार व स्वयं परमात्मा की कृपा होती है तो स्वंय ईश्वर ही आप को सच्चे गुरु से संगत करवा देते हैआवश्यकता होती है गुरु के प्रति पूर्ण आस्था व समपर्ण उनके बताये हुए मार्ग पर चल की । आप सभी पर सद्गुरू की बडी कृपा है कि आप अपनी साधना . समपर्ण ‘ सेवा . आस्था का अबल्मबन ले कर अपने मानव जीवन को सफल बनाय । इस माया जनित संसार मे आप के जीवन मेअनेक समस्यायें आयेगी ‘ लेकिन आप सभी समर्पित इस्सयोगी नित्य प्रतिदिन एक घंटे की साधना अवश्य करें ‘
साधक के सभी समस्याओ का समाधान केवल और केवल उनकी साधना है। सद्गुरु मॉ ने आगे अपने आर्शवाद वचन मे कही आज के वर्तमान मे जब सम्पूर्ण विश्व कोरोना कैसी भंयकर संकट से जुझ रही है । आप अपने बाह्माण्ड साधना व ब्रह्मूर्त की साधना मे इस वैश्विक महामारी से मुक्ति हेतु सदगरु से प्रार्थना करे। यह बातेपिछले हफ्ते ही वंदना वर्मा व के० एस० बर्मा के नीजी निवास स्थान ‘सी -111 मॉ स्मृति ‘ पर्यावरण कॉम्पेल्कस इगनु’ रोड साकेत नई दिल्ली ‘ के आवासीय परिसर स्थित शक्ति पिण्ड मॉ मनोकामना देवी मंदिर मे अर्न्तराष्ट्रीय इस्सयोग समाज के संस्थापक ‘ / अध्यात्मिक क्रान्ति के प्रेण्यता , सदगुरुदेव ब्रह्मलीन महात्मा सुशील कुमार वअर्न्तराष्ट्रीय इस्सयोग की अध्यक्षा शक्ति स्वरूपणीय सद्गुरू माँ जी संगमरमर से निर्मित(मुर्ति )प्रतिमा की प्राण प्रतिष्टा दिव्यआध्यात्मिक समारोह मे सद्गुरु माँ के दिव्य उपस्थित मे सम्पन हुई। इस धार्मिक अनुष्टान का आरम्म इस्सयोगी के ३० मिनट की सदगुरु आबाहन साधना से प्रारम्भ हो कर १३ घंटे की अखण्ड भजन – साधना ‘सर्वधर्म मानव कल्याणार्थ यज्ञ से सम्पन्न हुई । हॉ इस दिव्य आध्यात्मिक सतसंग व मुर्ति प्राण प्रतिष्ठा समारोह मे कोरोना संकट के सभी सरकार के द्वारा जारी गाईड लाईन्स का विशेष रूप से पालन किया गया । इस कार्य का समापन यज्ञ की पूर्णाहुति व कन्या पूजन के साथ सम्पन हुआ
ताऊ – खबरी लाल तुम भी हमसभी चौपाल वासी के संग माॅ के जयकारा लगाओ ।ताऊ – प्रेम से बोलो शक्ति पिण्ड मॉ मनोकामना देवी की जय ।खबरीलाल – अब आप सभी से बिदा लेता हुॅ ‘ ताऊ फिर मिलेगे अगले हप्ते ‘ नई खबर को लेकर ‘अभी बडे को राम . राम छोटो को शुभ प्यार और हॉ ताऊ सभी को नमो नारायण ।
ना काहु से दोस्ती,ना काहू से बैर
खबरी लाल तो मांगे सबकी खैर॥