उत्कर्ष उपाध्याय
विश्व भर में चीन द्वारा जन्मित कोरोनावायरस जैसी महामारी अब तलक अपने पैर 200 से अधिक देशों में पसार चुकी है । 2019 के आखिरी कुछ दिनों में चीन के वुहान में इसके प्राथमिक लक्षण पाए जाने के पश्चात वहां से यह वायरस विभिन्न देशों के पर्यटकों द्वारा एक महीने के भीतर विश्व के प्रत्येक कोने में पहुंच गया और अपना तबाही का मंजर दिखाना शुरू कर दिया ।
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने जैसे-जैसे इससे होने वाली माशव व सृष्टि हानि में वृद्धि पाई , तत्पश्चात इसे महामारी घोषित कर दिया गया । चीन में निर्मित वायरस ने अब तक समूचे विश्व में कुल 877,744 लोगों को अपने संक्रमण में लिया है और आज की तारीख में पूरे विश्व में इसके चलते 43,569 लोगों की मृत्यु हुई है । बढ़ती मान-माल व जनहानि की वजह से सभी प्रभावित देशों ने यथोचित रूप से उपर्युक्त समय में कई बड़े फैसले अपनाते हुए देशबंद व लॉकडाउन जैसे सराहनीय कदम उठाते हुए अपने देश की जनता के स्वास्थ्य को प्रमुखता पर रखकर सभी चीजों का आवागमन निरस्त कर दिया ।
भारत की जनता ने भी पहले एक दिन के जनता कर्फ्यू और तत्पश्चात् 21 दिन के संपूर्ण देश में हुए लॉकडाउन का पालन कर रहा है जो कि 14 अप्रैल तक चलेगा पूरे देश में हर नागरिक से सचेत है और चीन-अमेरिका-इटली जैसे अतिविकसित देशों की दयनीय स्थिति से सबक लेते हुए अपनी व अपने देश की सुरक्षा व दूरगामी भविष्य के लिए स्वयं को घरों में स्वयं संगरोध किए हुए हैं और इसके साथ ही शासन-प्रशासन को भी अपनी ओर से हरसंभव मदद देने को तत्पर हैं ।
अब जो बात गौर करने और विचारणीय है वह है कि कोरोना की खात्मे के बाद ‘क्या’ ? क्या सभी देश चीन से किनारा करते नजर आएंगे क्योंकि वैश्विक महामारी फैलाने में चीन पहली बार भागीदार नहीं है । क्या विश्व के अन्य सभी देश चीन से अपने सभी निम्न मात्र भी सहभागिता व मैत्रीपूर्ण संबंध जारी रखेंगे या इच्छुक होंगे ?
भारत की बात करें तो क्या भारत अब ऐसी परिस्थिति जब चीन ना तो किसी अंतरराष्ट्रीय मुद्दे पर उसका साथ देता है और हमेशा पीठ में खंजर मारने वाले रवैया के पश्चात भी चीन निर्मित सामग्री व भारत निर्मित सामग्री का आदान-प्रदान अब तक होता है, क्या कोरोना के बाद भारत वह पहला देश होगा जो चीन से सभी जरूरी मसौदे निरस्त कर देगा ।
भारत में कोरोना के बाद क्या परिदृश्य होगा यह भी निर्धारित करना अहम हो जाता है । अब तक भारत में भी कुल 1700 कोरोना संक्रमित मरीजों का आंकड़ा दर्ज किया गया और 36 भारतीयों की प्राणहानि भी हो गई है । क्योंकि विशेष रूप से समय से पूर्व लॉकडाउन के निर्देश दिए जा चुके थे, इसलिए इस आंकड़े को काबू में रख पाना संभव हुआ वरना 130 करोड़ की आबादी वाले देश में वह भी भारत जैसे विकासशील देश में क्या से क्या दृश्य हो सकता था यह सोचकर भी रुह काँप सकती है परंतु जैसा की अंग्रेजी कहावत में कहा गया है इलाज से बेहतर रोकथाम है और इसी का उसी को सिद्ध करते हुए सरकार के इस निर्णय को स्वयं विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी सराहा था ।
कोरोना के चलते कुछ परिवर्तन जो वैसे तो हर व्यक्ति में पहले से ही होने चाहिए थे, वह अब जोर-जबरदस्ती , देरे-सवेरे ही सही देखने मिले हैं, उनमें से सबसे अहम व महत्वपूर्ण रहा – स्वच्छता, जो स्वयं की तो जरूरी थी पर आसपास सामाजिक रूप से भी विद्यमन होती नज़र आई । यह परिवर्तन इस महामारी के चलते देखा गया अथवा इसे बरकरार रखना भारत व भारतवासियों के लिए बेहद अहम है ।