जेएनयू मामले के समाधान के लिए मानव संसाधन‍ विकास मंत्रालय में 10 और 11 दिसम्‍बर 2019 को हुई चर्चा का रिकॉर्ड जारी

जेएनयू मामले के समाधान के लिए मानव संसाधन‍ विकास मंत्रालय (एमएचआरडी) में 10 और 11 दिसम्बर 2019 को हुई चर्चा का निम्‍नलिखित रिकॉर्ड मंत्रालय द्वारा जारी किया गया है : जेएनयू में प्रमुखत: संशोधित आईएचए निय‍मावली के कारण वर्तमान में जारी गतिरोध को हल करने के लिए एमएचआरडी में जेएनयू प्रशासन और जेएनयूएसयू के साथ श्रृंखलाबद्ध बैठके की गई हैं।

2. बैठक के दौरान, इस बात पर जोर दिया गया कि जेएनयू में सभी हितधारक संतोषजनक समाधान तलाशने और पिछले महीने या उससे अधिक समय से परिसर में बनी टकराव की स्थिति को समाप्त करने के लिए के लिए लचीला रुख अपनाएंगे । परिसर में न केवल सामान्य स्थिति बहाल होगी,बल्कि भविष्य में इस तरह के मुद्दों की पुनरावृत्ति न हो इसके लिए पूरी तरह विश्वसनीय प्रणाली लागू की जाएगी।

3. विस्तृत चर्चा के बाद, निम्नलिखित पर सहमति बनी है: –

क) छात्रावास शुल्क संशोधित करते हुए 10 रुपये प्रति माह से 300 रुपये प्रति माह (डबल रूम), और 20 रुपये प्रति माह से 600 रुपये प्रति माह (सिंगल रूम) देय होगा। बीपीएल छात्रों को 50% रियायत मिलेगी। अगले आदेश तक यूजीसी प्रस्तावित सेवा और उपयोगिता शुल्क के खर्च का वहन करेगा। विश्वविद्यालय के विधान के अनुसार आईएचए की बैठक बुलाकर शुल्क संरचना में परिवर्तन के उपरोक्त प्रस्ताव की पुष्टि की जाएगी।

ख) व्‍यवस्थित रूप से बातचीत और चर्चा का मंच प्रदान करने के लिए, प्रशासन और छात्र, जेएनयूएसयू की अधिसूचना के लिए उच्च न्यायालय के आदेशों का पालन करेंगे।

ग) शैक्षणिक अवधि के नुकसान की भरपाई करने के लिए, अकादमिक परिषद से सहानुभूतिपूर्वक विचार करने और 2 सप्ताह तक की छूट देने का अनुरोध किया जाएगा। जेएनयूएसयू वर्तमान छात्र आंदोलन को वापस लेगा और विश्वविद्यालय के सामान्य कामकाज को सुविधाजनक बनाएगा। इसके अलावा, छात्र प्रशासनिक और अकादमिक ब्लॉकों और संकाय एवं प्रशासन के आवासीय क्षेत्रों में कोई धरना नहीं देंगे; और अनुशासन बनाए रखेंगे। जेएनयू प्रशासन अक्टूबर 2019 के बाद से जारी आंदोलन के दौरान हुई घटनाओं के बारे में नरम रुख अपनाएगा।

4. उपर्युक्त के अनुसार, प्रत्येक पक्ष अर्थात जेएनयू प्रशासन और जेएनयूएसयू विश्वविद्यालय के सामान्य कामकाज की बहाली के लिए तत्काल कदम उठाएंगे। भविष्‍य के किसी भी मुद्दे को केवल विश्वविद्यालय के विधान के अनुसार बातचीत के माध्यम से हल किया जाएगा।