जिस देश का नागरिक जितना प्रबुद्ध व जागरूक होगा देश उतना ही उन्नति करेगा – पवन सिन्हा

गाजियाबाद – युवा अभ्युदय मिशन के प्रतिष्ठापक सुविख्यात आध्यात्मिक चिंतक और दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफेसर पवन सिन्हा कि अगुवाई में  लायन्स एनेक्सी हॉल, गाजियाबाद में इस मिशन की प्रथम कक्षा का आयोजन किया गया। कार्यक्रम के प्रारम्भ में युवा अभ्युदय मिशन के उद्देश्यों, कार्यों और आगामी विभिन्न गतिविधियों के बारे में विस्तार से बताया गया। इसके पश्चात पवन सिन्हा द्वारा रचित और संगीत संयोजित युवा अभ्युदय मिशन का एंथम गया गया- ‘एक बाग लगाएंगे, उसको महकाएंगे, नए दौर के हम, कुछ पेड़ उगाएँगे।
श्रीगुरु ने युवाओं को यह समझाया कि जिस देश का नागरिक जितना प्रबुद्ध और जागरूक होगा उतना ही देश उन्नति करेगा। श्रीगुरु ने अपनी चर्चा में विस्तार से टेम्पररी और परमानेंट मोटिवेशन के गहन अर्थ समझाते हुए कहा कि वास्तव में मोटिवेशन स्वयं को बदलने का जज़्बा है। अपने जीवन के स्वप्नों को साकार करने के लिए यही स्थायी मोटिवेशन चाहिए। उन्होंने चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि आजकल के बच्चों और युवाओं की एकाग्रता का स्तर लगातार घटता जा रहा है। उनकी एकाग्रता 5 से 15 मिनट के बीच में ही खत्म हो जाती है। हमारी मेमोरी का स्तर ऐसा होना चाहिए कि एक 30 साल के व्यक्ति को किसी भी पाठ को दो बार से ज़्यादा पढ़ने की ज़रूरत नहीं पड़े। हम अपनी ऊर्जाओं को संचित नहीं कर पा रहे। यही ऊर्जा हमारे कार्य की क्षमता को बढ़ाती है। लेकिन यह कैसे हो? इस सवाल के प्रत्युत्तर में श्रीगुरु ने मेडिटेशन या ध्यान के लाभ बताए और कहा कि ध्यान में वह शक्ति है जो न केवल हमारी ऊर्जाओं को बढ़ाती है बल्कि हमारे मन-मस्तिष्क को शांत भी करती है।
श्री सिन्हा ने आगे बताया कि ध्यान का पहला चरण अपनी श्वास को साधना है। जिस व्यक्ति ने अपने श्वास को साध लिया वह व्यक्ति अपने विकारों, अपनी  व्यवहारगत समस्याओं, जैसे क्रोध, तनाव, अवसाद यानी डिप्रेशन, मूड स्विंग्स, आलस्य आदि को सुलझा सकता है। उन्होंने बताया कि यह सब इस युवा अभ्युदय मिशन में सिखाया जाएगा।
दिल्ली व् गाज़ियाबाद से आए हुए युवाओं का आह्वान करते हुए श्री गुरु ने अपनी चिंता और सरोकार ज़ाहिर करते हुए कहा कि अगर हमारा चिंतन, हमारी सोच हमारे कर्म में परिणत नहीं हो पाता तो हम पीछे रह जाएंगे और हमारा अस्तित्व खतरे में पड़ जाएगा।