साराभाई टीचर साइन्टिस्ट राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित शिक्षक हेमन्त चौकियाल को मिला अनमोल शिक्षक रत्न सम्मान*

मूल रूप से तल्ला नागपुर पट्टी के ग्राम धारकोट (चोपड़ा) के निवासी शिक्षक हेमन्त चौकियाल को पिछले तीन दशकों से ग्रामीण क्षेत्रों के विद्यार्थियों के साथ छोटे-छोटे नवाचारों के लिए वर्ष 2021 का *मिशन शिक्षण संवाद का प्रतिष्ठित अनमोल शिक्षक रत्न पुरस्कार* दिनांक 11 अप्रैल 2022 को
उत्तराखण्ड माध्यमिक शिक्षा बोर्ड के पूर्व सचिव और वर्तमान में डायट रतूड़ा के प्राचार्य श्री विनोद प्रसाद सिमल्टी जी की गरिमामय उपस्थिति में प्रदान किया गया। श्री चौकियाल को इस सम्मान में मिशन शिक्षण संवाद के संस्थापक उत्तर प्रदेश के शिक्षक श्री विमल जी और प्राचार्य डायट रतूड़ा रुद्रप्रयाग के संयुक्त हस्ताक्षरित प्रशस्ति पत्र के अलावा अंग वस्त्र, स्मृति चिह्न और पुष्पाहार भेंटकर सम्मानित किया गया।
रुद्रप्रयाग जिले के तीनों विकासखण्डों में कार्य करने वाले नवाचारी शिक्षक हेमन्त चौकियाल ने जिले के ऊखीमठ विकासखण्ड के दुर्गम क्षेत्र के आधारिक विद्यालय स्याँसू से तीन दशक पूर्व वर्ष 1991 में अपनी शिक्षक यात्रा शुरू की। शिक्षक जीवन के प्रारम्भिक वर्षों से ही प्रयोगधर्मी शिक्षक श्री चौकियाल ने अपने छोटे-छोटे शैक्षिक शोध(जिन्हें अब नवाचार कहा जाता है) प्रारम्भ कर दिये थे। रेडियो पर बजते संगीत के कारण झूमते डॉग फ्लावर के पुष्प से अपने नवाचार शुरू करने वाले इस शिक्षक ने वर्ष भर की ऋतुओं और मौसम का पौधों की वृद्धि दर पर प्रभाव का अध्ययन, वर्ष की अलग-अलग ऋतुओं में वर्षा जल की मात्रा (माप) का अध्ययन, वातावरणीय तापमान का दैनिक अध्ययन, बच्चों पर मध्याह्न भोजन का प्रभाव और भोजन के प्रति उनकी रुचि-अरुचि का अध्ययन जैसे लघु शोधों से न केवल बच्चों में वैज्ञानिक नजरिया पैदा करने का प्रयास किया बल्कि क्या, क्यों, कैसे, कब, जैसे प्रश्नों के माध्यम से बच्चों में सकारात्मक सोच के साथ तथ्यों को जाँचने-परखने के कौशल विकास का भी निरन्तर प्रयास किया। वर्ष 1993 से 2004 तक प्रारम्भिक भाषा शिक्षण में लय बद्ध ढंग से सीखने में अन्त्याक्षरी कितनी मददगार हो सकती है? पर कार्य करते हुए बच्चों के बीच अन्त्याक्षरी और तुलसी कृत रामायण पाठ की प्रतियोगिता ने उन्हें बहुत लोकप्रियता दिलाई। उखीमठ विकास खण्ड के प्राथमिक विद्यालय जाल मल्ला में 12 वर्षों तक कार्यरत रहते श्री चौकियाल ने सर्व शिक्षा अभियान के प्रारम्भिक वर्षों में कई मील के पत्थर स्थापित करते हुए न केवल विकासखण्ड में बल्कि जनपद और प्रदेश में एक अलग पहचान बनायी, इन 12वर्षों के कार्यकाल में श्री चौकियाल ने प्राथमिक स्तर पर पढ़ाये जाने वाले लगभग हर विषय में अपने नवाचारों के कारण प्राथमिक शिक्षा और प्राथमिक शिक्षकों में एक अलग ही छवि हासिल की।
विद्यालय विकास में प्रबन्धन समिति का उपयोग कैसे हो? पर उन्होंने अपना “रिसर्च एण्ड एक्शन” नामक अभिनव प्रयोग शुरू किया, जिससे अत्यल्प संसाधनों की कमी के निपटने के लिए विद्या दान सरस्वती योजना की शुरूआत हुई। जिसमें उन्होंने सेवित क्षेत्र के हर परिवार से सहयोग लेकर विद्यालय में पूर्ण भौतिक संसाधन जुटाये। यही कारण था कि सर्वशिक्षा के पहले मूल्यांकन में उनके तत्कालीन विद्यालय जालमल्ला को जिले का प्रथम और एकमात्र भौतिक A ग्रेड का विद्यालय बनने का गौरव प्राप्त हुआ। वर्ष 2004-05 में बाल अखबार की अवधारणा को धरातल पर उतारने वाले वे जनपद के पहले शिक्षक रहे।
शैक्षिक गतिविधियों के अलावा क्षेत्र के सामाजिक, सांस्कृतिक, शैक्षिक कार्यों में भी श्री चौकियाल की भागीदारी न केवल बच्चों को प्रोत्साहित करती रही बल्कि समाज के लिए भी अनुकरणीय बनीं। बालकों और विशेषकर बालिकाओं को घर की चाहरदीवारी के बाहर लाने के लिए उन्होंने खेलों में बालिकाओं की हिस्सेदारी बढ़ाने के लिए, समाज में बालिकाओं के प्रति रूढ़िवादी मानसिकता से भी संघर्ष करते हुए विशेष कार्य किये। खेल और पढ़ाई का अच्छे से अच्छा सामंजस्य स्थापित करते हुए उन्होंने जाल मल्ला विद्यालय के बच्चों को अल्प संसाधनों में कई बार संकुल से राज्य स्तरीय खेल प्रतियोगिताओं के लिए तैयार किया। इससे पूर्व स्याँसू विद्यालय में पढ़ने-लिखने की गतिविधि में उन्होंने गेय कविताओं के माध्यम से बच्चों को सरलतम ढंग से वर्णमाला और बारहखड़ी सीखने व सिखाने के नवाचार के कारण क्षेत्र में अच्छी लोकप्रियता हासिल कर ली थी। उनके कार्यकाल में स्याँसू विद्यालय के बच्चों से किसी भी विद्यालय के बच्चों का अन्त्याक्षरी में जीतना लगभग नामुमकिन सा था।
संकुल कालीमठ में रहते हुए अभिनव ढंग से सामूहिक बाल मेला और अभिभावक जनप्रतिनिधि- शिक्षक सम्मेलन के आयोजन में मुख्य भूमिका के लिए भी खासे चर्चित हुए।
जखोली विकास खण्ड के जूनियर हाई स्कूल लड़ियासू में (वर्ष 2010 से 15 तक ) रहते हुए उन्होंने अंग्रेजी में छापे के अक्षरों (जो किताबों में छपे रहते हैं) को लिखने के अक्षरों में सरलता से लिखना सिखाना, उनका एक्शन रिसर्च तत्कालीन समय में बहुत लोकप्रिय हुआ। यहीं पर रहते उन्होंने तत्कालीन समय की अंग्रेजी पाठ्यपुस्तकों से बच्चों के साथ मिलकर डिक्शनरी बनाने का नवाचार किया, जिससे बच्चों की दक्षता में काफी इजाफा हुआ। वर्ष 2015 में समायोजन के पश्चात अगस्त्यमुनि विकास खण्ड के जूनियर हाई स्कूल डाँगी गुनाऊँ में आकर श्री चौकियाल ने खेल-खेल में विज्ञान गणित को सिखाने के लिए कई नवाचार प्रारम्भ किये। इन्हीं नवाचारों के कारण उनके कई छात्रों ने विज्ञान महोत्सव और इन्सपायर अवार्ड जैसी प्रतियोगिताओं में शानदार प्रदर्शन करते हुए राष्ट्रीय स्तर तक का सफर तय किया। उनके नवाचार विषय विशेष तक ही सीमित नहीं रहे बल्कि उन्होंने विद्यालय स्तर की हर समस्या पर नवाचार करने का प्रयास किया।
मध्याह्न भोजन में बच्चों को अधिकतम पोषण कैसे मिले? उनका यह एक्शन रिसर्च खासा चर्चित रहा। वर्षा जल का मापन, दैनिक तापमान का मापन, पौधों की वृद्धि दर का मापन, दैनिक विद्यालयी गतिविधियों में विभिन्न ऐक्शन रिसर्च के लिए चुना गया ।
पुरानी पत्र /पत्रिकाओं से पाठ्यसहगामी पुस्तकों के रूप में उन्होंने बच्चों की मदद से 9 पुस्तकों का निर्माण किया, जो मूल पुस्तकों के प्रकरणों को विशद रूप से समझने में मदद करती हैं। बच्चों और समाज के बीच विज्ञान को जानने /समझने और उसके प्रचार-प्रसार के लिए वे बच्चों के साथ अभिनव प्रयोगों में लगे हैं। उनके इन्ही प्रयासों का प्रतिफल रहा है कि उनके कई छात्र विज्ञान महोत्सव, इन्सपायर अवार्ड, उड़ान, आविष्कार जैसी प्रतियोगिताओं में राज्य और राष्ट्रीय स्तर तक का सफर तय कर चुके हैं।
सार्वजनिक शिक्षा में इसी तरह की बेहतरी के प्रयासों के लिए अब विभिन्न शैक्षिक, सामाजिक,साहित्यिक सांस्कृतिक, सरकारी व गैरसरकारी संगठन उन्हें सम्मानित कर चुके हैं। इन अलंकरणों में ग्राम स्तर से राष्ट्रीय स्तर तक के छोटे-बड़े 100 से अधिक सम्मान सम्मिलित हैं। श्री अरविंदों सोसाइटी भी श्री चौकियाल के शून्य निवेश नवाचारों का सम्मान कर चुकी है। हाल ही में उन्होंने साराभाई टीचर साइन्टिस्ट अवार्ड (6से 8 कक्षा वर्ग में) में राष्ट्रीय स्तर पर तीसरा स्थान हासिल किया। इस पुरस्कार में गोल्ड मेडल के साथ नकद पुरस्कार हासिल करने के साथ ही उन्हें नेशनल काउन्सिंल ऑफ टीचर साइन्टिस्ट की सदस्यता से भी सम्मानित किया गया है। शिक्षण में तीन दशकों से किये जा रहे अभिनव प्रयासों के लिए उन्हें शिक्षा जगत के वर्ष 2021 के प्रतिष्ठित शैलेश मटियानी पुरस्कार के लिए चुना गया है। उन्हें प्रदत्त सम्मान /पुरस्कारों में से कुछेक के विवरण में-
वर्ष 2000 में शिक्षक दिवस के अवसर पर न्याय पंचायत स्तर पर सर्वश्रेष्ठ शिक्षक पुरस्कार।
वर्ष 2008 में राज्य परियोजना निदेशक, सर्व शिक्षा अभियान उत्तराखंड द्वारा मूल्यांकन के क्षेत्र में सराहनीय योगदान के लिए प्रशंसा पत्र।
वर्ष 2009में बाल साहित्य के उत्कृष्ट लेखन के लिए सम्मान।

2010 में टी एल एम निर्माण के लिए सम्मान पत्र।
वर्ष 2014 में नेहरू युवा केन्द्र के युवा कार्यक्रम एवं खेल मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा एम टी के रूप में प्रमाण पत्र द्वारा सम्मान।
स्व० कालिका प्रसाद भट्ट स्मृति शिक्षक गौरव सम्मान 2017-18।उत्तरांचल शिशु लोक गौरव सम्मान- 2018, वर्ष 2018 में उत्तराखंड बाल संरक्षण आयोग द्वारा सम्मान पत्र, 2018में लक्ष्य एप योजना में सराहनीय योगदान के लिए प्रशंसा पत्र, 2018 में ही शिक्षा के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य करने हेतु जिलाधिकारी सम्मान, ग्राम पैंलिंग जनपद रूद्रप्रयाग द्वारा केदार घाटी प्रतिभा सम्मान – 2019, मन्दाकिनी के सितारे सम्मान – 2019, जन अधिकार मंच रूद्रप्रयाग द्वारा रूद्र रत्न सम्मान 2019 में अभिनंदन पत्र, उत्तराखण्ड राज्य प्राथमिक शिक्षक संघ रूद्रप्रयाग द्वारा सम्मान पत्र, 2019में शिक्षा मन्त्री द्वारा प्रशस्ति पत्र, कलश लोक संस्कृति चैरिटेबल ट्रस्ट रूद्रप्रयाग द्वारा “ज्योतिर्विद पं० भास्करानंद बेंजवाल स्मृति सम्मान – 2019, भाऊराव देवरस सम्मान-2019,
बाल साहित्य संस्थान अल्मोड़ा, उत्तराखंड द्वारा बच्चों के मार्गदर्शन हेतु सम्मान, कोविड – 19में किये गये सेवाकार्यों के लिए सम्मान, 2020 में नवाचारों को प्रस्तुत करने के लिए प्रशस्ति पत्र, अखिल भारतीय कवि सम्मेलन में बतौर सुन्दर संचालन के लिए बाल प्रहरी सम्मान,
वर्ष 2021 में हमारा अपना विज्ञान, हमारा सपना विज्ञान राष्ट्रीय प्रयोगात्मक वेबीनार के सफल संचालन के लिए सम्मान पत्र द्वारा सम्मानित किया जा चुका है। रमन साइंस एंड टेक्नोलॉजी फाउंडेशन और ए पी जे अब्दुल कलाम नेशनल काउन्सिंल ऑफ यंग साइन्टिस्ट इण्डिया की आजीवन सदस्यता देकर भी सम्मानित किया गया है। बहुमुखी प्रतिभा के धनी इस शिक्षक द्वारा लेखन के माध्यम से भी शिक्षा एवं समाज की सेवा का प्रयास किया गया है, इन प्रयासों के अन्तर्गत समग्र शिक्षा अभियान जनपद रुद्रप्रयाग द्वारा प्रकाशित बाल आखर पत्रिका के सह सम्पादक के रूप में, डायट रतूड़ा द्वारा प्रकाशित आइ एस बी एन पुस्तक “नवाचार का संसार” के सम्वर्द्धन समिति के सदस्य के रूप में, इसी संस्थान की आइ एस बी एन पुस्तक “नवांकुर” के सह सम्पादक के रूप में महत्वपूर्ण योगदान दिया गया है। बहुमुखी प्रतिभा के धनी शिक्षक श्री हेमन्त चौकियाल को मिशन शिक्षण संवाद “अनमोल शिक्षक सम्मान” प्रदान कर हमें अत्यन्त हर्षानुभूति हो रही है। और अपने आप को गौरवान्वित महसूस कर रहे हैं।
हमें उम्मीद है कि आपके द्वारा किये गये उत्कृष्ट, सराहनीय व अनुकरणीय कार्य शिक्षा जगत के लिए मील के पत्थर साबित होंगे।

आपको आकाश सदृश असीम बधाई, शुभ कामनाएँ व कोटिशः साधुवाद।

संकलन-माधव सिंह नेगी
काव्याञ्जलि प्रमुख उत्तराखण्ड

विमल कुमार
मिशन शिक्षण संवाद