25 वर्षों से जरूरतमंदों के लिए साल में दो बार रक्तदान कर लोगों को प्रेरित कर रहे श्री मनोज गौर

कौशाम्बी, ग़ाज़ियाबाद।
यशोदा सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल, कौशाम्बी, गाजियाबाद के प्रबंध निदेशक एवं वरिष्ठ समाजसेवी डॉ पी एन अरोड़ा जी ने आज गौर संस ग्रुप के मैनेजिंग डायरेक्टर श्री मनोज गौर जी को हॉस्पिटल में स्वैक्षिक रक्दान करने पर ह्रदय से आभार व्यक्त किया। पिछले 25 वर्षों से लगातार साल में दो बार जरूरतमंदों के लिए स्वैक्षिक रक्तदान कर रहे श्री मनोज गौर जी गौरसंस इंडिया लिमिटेड के प्रबंध निदेशक होने के साथ साथ, क्रेडाई वेस्टर्न यूपी के अध्यक्ष का प्रतिष्ठित पद भी संभाल रहे हैं, वह एक बहुत ही उत्साही व्यक्ति हैं और उत्साही खिलाड़ी भी हैं। अपने युवा दिनों के दौरान उन्होंने एथलेटिक्स, क्रिकेट, हॉकी और टेबल टेनिस में अपने स्कूल का प्रतिनिधित्व किया। हालाँकि, टेबल टेनिस उनका पहला पसंदीदा खेल था जिसमें उन्होंने उत्कृष्ट प्रदर्शन किया।
बचपन से ही मनोज गौर एक उत्कृष्ट छात्र थे और अभी भी एक उत्साही शिक्षार्थी हैं क्योंकि उनका दृढ़ विश्वास है कि जीवन में हमें निरंतर सीखना है। उनके पास बड़े पैमाने पर समाज के प्रति और विशेष रूप से वंचितों के प्रति जिम्मेदारी की बहुत मजबूत भावना है। यह परिवार द्वारा संचालित विभिन्न धर्मार्थ संस्थानों के प्रति उनकी गहरी प्रतिबद्धता से स्पष्ट है।

रक्दान करने के बाद उत्साह एवं नई ऊर्जे से श्री मौज गौर ने बताया कि मरीज की प्राण रक्षा में रक्त दाता की एक मुख्य भूमिका होती है इसलिए वो जरुरतमंद व्यक्ति का जीवन बचाने वाला रक्त दान करते हैं। यदि स्वैच्छिक रक्दाता नियमित रूप से रक्तदान करते रहें तो किसी भी मरीज की जान ब्लड की कमी से नहीं जा सकती,उन्होंने कहा कि इन सब का एक मात्र उपाय है स्वैच्छिक रक्तदान प्रोत्साहन और यही उनके 25 वर्षों से रक्दान का उद्देश्य है कि वह हर इंसान के अंदर रक्तदान की भावना पैदा करें, और ज्यादा से ज्यादा संख्या में लोग रक्तदान कर सकें जिससे जरूरतमंदों को समय पर ब्लड की उपलब्धता होगी और उनकी जान बच सकेगी।

डॉ पी एन अरोड़ा ने बताया कि दान दिये गये रक्त का इस्तेमाल गंभीर रुप से रक्त की कमी से जूझ रही महिला, बच्चे, दुर्घटना के दौरान अत्यधिक खून बह जाने के बाद पीड़ित को, सर्जिकल मरीज को, कैंसर पीड़ीत को, थैलेस्सेमिया मरीज को, हिमोफिलीया से पीड़ित लोग, लाल खून की कोशिका की कमी, खून की गड़बड़ी, खून का थक्के की गड़बड़ी से जूझ रहे लोगों को दिया जाता है।