” मिट्टी से बने,मिट्टी में पले,मिट्टी पर जान लुटाएंगे,”

नरेंद्र राठी

मिट्टी से बने,मिट्टी में पले,
मिट्टी पर जान लुटाएंगे।
इस से तिलक लगाएंगे
जहां दिखे अंधेरा हमको,
मिट्टी के दिये जलाएंगे,
यह देती हमको जीवन,
मिट्टी में फसल उगाएंगे,
इसकी हम पूजा करते,
मिट्टी से आंगन सजायेंगे
इस मिट्टी से भगवान बने,
इस से ही किसान बने ।
इसमे खेलकर जवान बने,
यह कर देगी जब आह्वान हमे,
हम सब अपना खून बहाएंगे।
मिट्टी से बने,मिट्टी में पले,
मिट्टी पर जान लुटाएंगे।
इस मिट्टी में पैदा हुए,
सुभाष,भगत,और आज़ाद,
जो देश का है सम्मान ।
गांधी,जवाहर,पटेल,ओर कलाम
इस मिट्टी की है वो शान,
इसकी इज्जत रखी सबने,
बिस्मिल,हमीद ने किया बलिदान ,
देकर के हम भी अपनी जान,
इस मिट्टी का कर्ज़ चुकाएंगे,
मिट्टी से बने,मिट्टी में पले,
मिट्टी पर जान लुटाएंगे।
हिन्दू,मुश्लिम,सिख,ईसाई,
हम सबकी एक ही पहचान।
हम सब है भाई भाई ,
हम सबका हिंदुस्तान,
सुन ले तू ओ पाकिस्तान,
ज्यादा पंगा मत ले हमसे,
सारा का सारा पाकिस्तान,
वरना बन जायेगा कब्रिस्तान।
चीन तू भी सुनले कान खोलकर,
आ गए जिस दिन हम,
भारत माँ की जय बोलकर,
उस दिन लाल लाल रंग जाएंगे,
अपनी इस माटी के लिये,
हम कुछ भी कर जाएंगे।
मिट्टी से बने,मिट्टी में पले,
मिट्टी पर जान लुटाएंगे।
इस से तिलक लगाएंगे।