ग्रेटा थनबर्ग एवं गैर-सरकारी संगठन (एनजीओ) ह्यूमन ऐक्ट ने यूनिसेफ के लिए बाल अधिकारों पर आधारित कोरोना वायरस अभियान की शुरूआत की

पर्यावरण कार्यकर्ता ने युवाओं, अन्य समर्थकों का आह्वान करते हुए कहा कि बाल जीवन सुरक्षित रखने के लिए यूनिसेफ द्वारा किए जा रहे महत्वपूर्ण कार्य में सहायता देने के लिए वे सभी को प्रोत्साहित करें

पर्यावरण कार्यकर्ता ग्रेटा थनबर्ग ने आज डेनमार्क के गैर-सरकारी संगठन (एनजीओ) ह्यूमन ऐक्ट के साथ मिलकर आज बाल अधिकारों पर आधारित अभियान की शुरूआत की ताकि कोविड-19 महामारी की दुश्वारियों से निपटने एवं इसके प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष प्रभावों से बच्चों को बचाने के लिए यूनिसेफ के प्रयासों को समर्थन दिया जा सके। इसमें खाद्यान्नों की कमी, दबावग्रस्त स्वास्थ्य प्रणाली, हिंसा एवं शिक्षा को हुआ नुकसान शामिल है।

थनबर्ग ने कहा कि, “पर्यावरण समस्या की तरह ही कोरोना वायरस महामारी भी बाल अधिकारों से जुड़ी हुई समस्या है। यह बच्चों को आज तो प्रभावित कर ही रही है पर इसके दूरगामी प्रभाव भी होंगे, मगर इससे सबसे अधिक प्रभावित वह समूह होगा जो कि संकटग्रस्त है। मैं आप सभी का आह्वान करते हुए अनुरोध करती हूं कि बच्चों के जीवन को बचाने, उनके स्वास्थ्य को सुरक्षित रखने एवं उनकी शिक्षा को बरकरार रखने के लिए आप सभी यूनिसेफ के महत्वपूर्ण कार्य में उसे सहायता देने के लिए मेरा साथ दें।”

इस अभियान की शुरूआत ह्यूमन ऐक्ट तथा ग्रेटा थनबर्ग फाउंडेशन की तरफ से यूनिसेफ को आरंभिक दान के रूप में $200,000 की राशि दी गई। अभी हाल ही में ग्रेटा थनबर्ग को उनकी वैश्विक सक्रियता के लिए ह्यूमन ऐक्ट ने उन्हें पुरस्कृत किया था एवं उनके फाउंडेशन को $100,000 की राशि पुरस्कार स्वरूप प्रदान की। इस कुल राशि के साथ-साथ ह्यूमन ऐक्ट यूनिसेफ को अतिरिक्त $100,000 भी प्रदान करेगा।

इस अभियान से प्राप्त आय यूनिसेफ के आपात कार्यक्रमों को जाएगी ताकि कोरोना-19 से लड़ाई को आगे ले जाया जाए, यह राशि साबुन, मास्क, दस्ताने, साफ-सफाई की किट, सुरक्षात्मक उपकरण, जीवन रक्षक सूचना उपलब्ध कराने तथा स्वास्थ्य प्रणाली को सहायता देने में काम आएगी।

इस माह संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा जारी एक रिपोर्ट में कहा गया है कि कोविड-19 महामारी का सबसे ज़्यादा ख़तरा बच्चों को ही है। यद्यपि अभी तक इस बीमारी के प्रत्यक्ष प्रभावों से बच्चे अभी बचे हुए हैं, लेकिन इस महामारी का उन पर विपरीत प्रभाव पड़ना लाज़मी ही है। सभी देशों के सभी आयु वर्ग के बच्चे इससे प्रभावित हो रहे हैं एवं उन पर इसका सामाजिक-आर्थिक प्रभाव विशेष रूप से पड़ रहा है। कुछ मामलों में तो इस बीमारी के प्रसार को रोकने के लिए उठाए जा रहे कदमों का भी उन पर प्रभाव पड़ रहा है।

यूनिसेफ पूरी दुनिया में कोविड-19 के विरुद्ध अपने अभियान में अपने साझीदारों के साथ काम करते हुए इस बात पर विशेष ध्यान दे रहा है कि बच्चों में इस वायरस के प्रसार को घटाया जा सके एवं इसके दुष्प्रभाव को कम किया जा सके, साथ ही बच्चों के लिए आवश्यक सेवाएं सेवाओं को भी बरकरार रखा जा सके। इसमें निम्नलिखित तथ्य शामिल हैं:-

● बच्चों, महिलाओं तथा संकटग्रस्त जनसंख्या तक मुख्य सामान एवं सेवाओं तक पहुंच एवं इनकी उपलब्धता सुनिश्चित की जा सके।

● साबुन से हाथ धोने के संदेश को जन-जन तक पहुंचाना।

● गाउन, दस्ताने, मास्क के साथ-साथ ऑक्सीजन को व्यवस्था एवं दवाओं सहित स्वास्थ्यकर्मियों के लिए व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरण (पीपीई) हासिल करने में सरकारों को सहायता प्रदान करना।

● जो बच्चे विद्यालय नहीं जा पा रहे हैं उनके लिए डिस्टन्स, यानी दूरस्थ शिक्षा मुहैया कराना।

● प्रभावित बच्चों एवं परिवारों को मानसिक स्वास्थ्य संबंधी तथा मनोवैज्ञानिक सहायता उपलब्ध कराना।

● बच्चों के लिए आवश्यक प्रतिरक्षण तथा अन्य सेवाओं को बरकरार रखने में मदद करना।

यूनिसेफ की कार्यपालक निदेशक हेनिरिटा फोर का कहना है,“कोरोना वायरस से संघर्ष इतना बड़ा और गम्भीर है जितना बड़ा कई पीढ़ियों ने नहीं देखा है। कोविड-19 के दुष्प्रभावों से बच्चे तथा युवा सर्वाधिक प्रभावित हुए हैं, इसलिए यह स्वाभाविक ही है कि वे इसके लिए कुछ करना चाहते हैं। ग्रेटा थनबर्ग ने अपनी सक्रियता से यह साबित कर दिया है कि युवा अपना पक्ष रखने एवं विश्व को बदलने में अपनी भूमिका निभाने के लिए तैयार हैं। यूनिसेफ को हार्दिक प्रसन्नता है कि ग्रेटा और उनके समर्थकों ने न केवल इस महामारी के लिए खिलाफ एक मोर्चा खोला है अपितु वे यूनिसेफ के साथ साझेदारी भी कर रहे हैं।”