मंत्रिमंडल ने लेह में राष्ट्रीय सोवा-रिगपा संस्थान (एनआईएसआर) की स्थापना को मंजूरी दी

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने लेह में आयुष मंत्रालय के अधीन स्वायत्तशासी संस्थान के रूप में राष्ट्रीय सोवा-रिगपा संस्थान की स्थापना को मंजूरी दे दी है। मंत्रिमंडल ने निर्माण स्तर से परियोजना के कार्यान्वयन तक की निगरानी करने के लिए स्तर-14 में निदेशक (1,44,200-2,18,200 रुपये)(पूर्व-संशोधित 37,000-67000+10,000 रुपये का ग्रेड पे) के पद सृजन को भी मंजूरी दी है।

केन्द्रशासित प्रदेश के रूप में लद्दाख के गठन और लद्दाख की स्थानीय संस्कृति को बढ़ावा देने के मद्देनजर भारत सरकार ने फैसला किया है कि सोवा-रिगपा औषधि प्रणाली के प्रोत्साहन के सम्बंध में केन्द्रशासित प्रदेश लद्दाख की राजधानी लेह में 47.25 करोड़ रुपये की लागत से राष्ट्रीय सोवा-रिगपा संस्थान की स्थापना की जाए।

सोवा-रिगपा भारत की हिमालय पट्टी की एक पारम्परिक औषधि प्रणाली है। यह प्रणाली सिक्किम, अरूणाचल प्रदेश, दार्जिलिंग (पश्चिम बंगाल), हिमाचल प्रदेश, केन्द्रशासित प्रदेश लद्दाख और अब पूरे भारत में लोकप्रिय है।

राष्ट्रीय सोवा-रिगपा संस्थान की स्थापना से भारतीय उप-महाद्वीप में सोवा-रिगपा को पुनः जीवित करने में मदद मिलेगी। यह संस्थान न सिर्फ भारत बल्कि अन्य देशों के सोवा-रिगपा के छात्रों को अवसर प्रदान करेगा।

यह संस्थान आयुष मंत्रालय के अधीन एक स्वायत्तशासी राष्ट्रीय संस्थान होगा, जो सिवा-रिगपा से सम्बंधित विभिन्न विषयों की शिक्षा और अनुसंधान के क्षेत्र में काम करेगा। इसके लिए वह प्रमुख राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय संस्थानों से सहयोग करने का अधिकारी होगा तथा औषधि की विभिन्न प्रणालियों के एकीकरण की दिशा में काम करेगा।

इस संस्थान की स्थापना से संस्कृति मंत्रालय के प्रशासनिक नियंत्रण के तहत वर्तमान केन्द्रीय तिब्बती अध्ययन विश्वविद्यालय, सारनाथ, वाराणसी और केन्द्रीय बौद्ध अध्ययन संस्थान, लेह, केन्द्रशासित प्रदेश लद्दाख जैसे सोवा-रिगपा संस्थानों के साथ सहभागिता होगी।

इसके गठन से सोवा-रिगपा उत्पादों से सम्बंधित बेहतर शिक्षा, वैज्ञानिक प्रमाणिकरण, गुणवत्ता नियंत्रण, मानकीकरण और सुरक्षा मूल्यांकन की सुविधा होगी। इसके अलावा सोवा-रिगपा आधारित तीसरे स्तर की स्वास्थ्य सुविधा के मानकीकरण तथा स्नातक, स्नातकोत्तर और अनुसंधान स्तरों पर विभिन्न विषयों में शोध और शिक्षा को प्रोत्साहन मिलेगा।

राष्ट्रीय सोवा-रिगपा संस्थान उत्कृष्ट सोवा-रिगपा उपचार की पहचान करेगा, जिनमें मानक प्रक्रियाएं शामिल हैं। यह गतिविधि पारम्परिक सोवा-रिगपा सिद्धांतों के दायरे में होगी और आम जनता को स्वास्थ्य सुविधाएं प्रदान करने के लिए इसे पश्चिमी चिकित्सा पद्धति के साथ जोड़ा जाएगा।

 

उद्देश्यः

राष्ट्रीय सोवा-रिगपा संस्थान की स्थापना का उद्देश्य यह है कि इसे सोवा-रिगपा के प्रमुख संस्थान के रूप में विकसित किया जाए और सोवा-रिगपा के पारम्परिक ज्ञान को आधुनिक विज्ञान, उपकरणों और प्रौद्योगिकी के साथ जोड़ा जाए। इससे सोवा-रिगपा सम्बंधी विभिन्न विषयों की शिक्षा और अनुसंधान को प्रोत्साहन देने में मदद मिलेगी।