योग से तन और मन दोनो स्वस्थ रहते है*

योग अपने आप मे एक चिकित्सा पद्धति ही न होकर अपितु  अपने आप मे सम्पूर्ण जीवन शैली है। योग  आध्यात्मिक व शारीरिक प्रक्रिया है , जिसमें  दिमाग , शरीर , मन , आत्मा को एक साथ केंद्रित किया जाता है । योग शब्द आते ही हमारे मस्तिष्क और मन में वैदिक परंपरा की फीलिंग होने लगती है।भारत की लाखों वर्षो पूरानी आध्यात्मिक , वैज्ञानिक, योगिक शक्ति, वैदिक परंपरा को  और साधना को दुनिया सहर्ष स्वीकार कर लिया है जिससे योग को वैश्विक मंच मिला , जो कि भारत के लिए बहुत बड़ी उपलब्धि है। विश्व के अधिकतर   देश भारत की इस वैदिक परंपरा का अनुसरण करते हुए 21 जून को योग दिवस उत्साहपूर्वक मनाते है।  निश्चित ही 21 जून सभी भारत वासियों के लिए गौरवशाली दिन है। आज देश विदेश में करोडों लोग योग  से लाभान्वित हो रहे हैं। यही कारण है पूरे विश्व मे इस वैदिक परंपरा का  तेजी से प्रचार प्रसार हो रहा है।
यदि हम नियमित योग करें तो शरीर की अधिकतर बीमारियों से छुटकारा मिल सकता है ।पुरानी पीढ़ी हर काम को स्वयं करती थी और उनके हर काम में योग अभ्यास छुपा था इसलिये खेतों में ख़ूब काम करने वालों की दूध घी आसानी से हजम हो जाता था
योग साधना पूरे विश्व को भारतवर्ष की अनमोल देन हैं। भारत की माटी पर जन्में ऋषि मुनि तपस्वियों  ने मे योग साधना के बारे में जो लिखा है, उस पर आज विश्व के अलग अलग देशों में शोध संस्थान रिसर्च कर रहे हैं और गंभीरता से इस विधा को को समझने का प्रयास कर रहे है जबकि हमारे देश में हज़ारों वर्षों पूर्व ही इस विज्ञान को देश दुनिया के समक्ष रख दिया गया था।
धीरे धीरे हम अपने पूर्वजों द्वारा जिये गए जीवन जीने की पर आ रहे हैं क्यूँकि हमारा शरीर पौष्टिक भोजन, योग साधना की माँग कर रहा हैं।  हमें साफ़ स्वच्छ हवा में स्वास लेने के लिये ज़्यादा से ज़्यादा पेड़ पौधे लगाने चाहिये और अपनी अगली पीढ़ी के प्रति अपनी ज़िम्मेदारी समझते हुये उन्हें एक साफ़ माहौल देने का प्रयास करना चाहियें।
जब देश का हर नागरिक अपनी ज़िम्मेदारी समझते हुये राष्ट्रहित जनहित में योगदान देगा तब हम भारत देश को विश्वगुरु बनाने के महायज्ञ में अपनी भी आहुति देगें।