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सूक्ष्म आध्यात्मिक साधना पद्धति‘इस्सयोग‘ के प्रवर्त्तक और अन्तर्राष्ट्रीय इस्सयोग समाज के संस्थापक ब्रह्मलीन सद्ग़ुरु महात्मा सुशील कुमार का दो दिवसीय १७वाँ महानिर्वाण महोत्सव,मंगलवार की संध्या कंकड़बाग स्थित ‘गुरुधाम‘में, संस्था की अध्यक्ष और ब्रह्मनिष्ठ सद्ग़ुरुमाता माँ विजया जी की दिव्य उपस्थिति में संस्था के उपाध्यक्ष बड़े भैया श्रीश्री संजय कुमार द्वारा दीप प्रज्वलन के साथ आरंभ हो गया। इसके साथ हीं १७ घंटे की अखंड–साधना और संकीर्तन का भी आरंभ हुआ। इसके पूर्व सदगुरुदेव की मूर्ति पर संस्था के सचिव कुमार सहाय वर्मा द्वारा तथा गुरुमाँ की मूर्ति पर छोटे भैय्या संदीप गुप्ता द्वारा माल्यार्पण तथा लक्ष्मी प्रसाद साहू द्वारा चादर अर्पण किया गया और सदगुरुदेव की सूक्ष्म उपस्थिति के लिए आधे घंट की‘आह्वान–साधना‘की गई। इस अवसर पर ३५६ पृष्ठों में प्रकाशित,संस्था की पत्रिका‘इस्सयोग–संदेश‘के महानिर्वाण महोत्सव विशेषांक का लोकार्पण शिवम् झा द्वारा किया गया।
संस्था के गोला रोड स्थित उत्सव–भवन,एम एस एम बी भवन में इसका दूसरा खंड संध्या सवा ६ बजे आरंभ किया गया, जहाँ पौने आठ से सवा आठ बजे तक,जगत–कल्याण के निमित्त सामूहिक ‘ब्रह्माण्ड–साधना‘भी की गई। इस अवसर पर अपने उदबोधन में बड़े भैय्या श्रीश्री संजय कुमार ने महात्मा जी के जीवन और जीवन–दर्शन पर विस्तार से प्रकाश डालते हुए कहा कि महात्मा जी का संपूर्ण जीवन, मानव जाती के लिए आदर्श और अनुकरणीय है। उन्होंने अपने विचारों से हीं नहीं आचरण से हमें मूल्यवान जीवन की शिक्षा दी। उन्होंने ‘इस्सयोग‘की सूक्ष्म साधना पद्धति के रूप में संसार को जो अनमोल वस्तु दी है, वह अद्वितीय है। महात्मा जी ने हमें एक ऐसा सहज और सरल मार्ग दिया है, जिससे एक सामान्य गृहस्थ अपने सभी सांसारिक कर्तव्यों को पूरा करते हुए, आध्यात्मिक उन्नति को प्राप्त कर सकता है। उन्होंने हमें प्रेम करना सिखाया। ईश्वर से भी, और संसार के सभी प्राणियों से भी। मनुष्य, परस्पर प्रेम से हीं, अपने जीवन को सार्थक और सफल बना सकता है।
इस महोत्सव में, भारत,अमेरिका, इंगलैड,आस्