जानें क्या होता है न्यूनतम समर्थन मूल्य?

मोदी सरकार ने बुधवार को धान का न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) 200 रुपये बढ़ा दिया है. आज कैबिनेट बैठक में सरकार ने खरीफ फसल का MSP बढ़ाने का फैसला लिया है. इससे किसानों को उनकी फसल का बेहतर मूल्य मिलने का रास्ता खुल गया है.   किसानों के हितों की रक्षा करने की खातिर न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की व्यवस्था लागू की गई है. अगर कभी फसलों की कीमत गिर जाती है, तब भी सरकार तय न्यूनतम समर्थन मूल्य पर ही किसानों से फसल खरीदती है. इसके जरिये सरकार उनका नुकसान कम करने की कोश‍िश करती है.

– अनाज: धान, गेहूं, जौ, ज्वार, बाजरा, मक्का और रागी

– दाल: चना, अरहर/तूर, मूंग, उड़द और मसूर

– तिलहन: मूंगफली, सरसों, तोरिया, सोयाबीन, सुरजमुखी के बीज, सीसम, कुसुम्भी और खुरसाणी, खोपरा, कच्चा कपास, कच्चा जूट, गन्ना,  वर्जीनिया फ्लू उपचारित (BFC) तम्बाकू , नारियल शामिल है.

भारत सरकार कृष‍ि लागत और मूल्य आयोग (CACP) की सिफारिश पर कुछ फसलों के बुवाई सत्र से पहले ही न्यूनतम समर्थन मूल्य की घोषणा करती है. इससे किसानों को यह सुनिश्चित किया जाता है कि बाजार में उनकी फसल की कीमतें गिरने के बावजूद भी सरकार उन्हें तय न्यूनतम समर्थन मूल्य देगी.

ये है उद्देश्य:

न्यूनतम समर्थन मूल्य की व्यवस्था इसलिए लाई गई है ताकि बाजार में फसल की कीमतें कम होने के बाद किसानों को मजबूरीवश अपनी फसल कम कीमत पर न बेचनी पड़े. न्यूनतम समर्थन मूल्य तब काम आता है, जब बंपर उत्पादन समेत अन्य वजहों से बाजार में फसल की कीमत काफी गिर जाती है. तो ऐसे मौके पर सरकार किसानों से न्यूनतम मूल्य पर फसल खरीद लेती है.

जब भी CACP न्यूनतम समर्थन मूल्य की अनुशंसा करता है, तो वह कुछ बातों को ध्यान में रखकर ही इसे तय करता है. इसके लिए

– उत्पाद की लागत क्या है.

– इनपुट मूल्यों में कितना परिवर्तन आया है.

– बाजार में मौजूदा कीमतों का क्या रुख है.

– मांग और आपूर्ति की स्थ‍िति क्या है.

– अंतरराष्ट्रीय मूल्य स्थ‍िति,

– इसके अलावा सीएसीपी स्थानी,‍ जिले और राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर की स्थ‍ितियों का जायजा लेने के बाद ही सब तय करता है.