लोकमान्य तिलक का ‘आतंकवाद के जनक’ के रूप में उल्लेख करना राष्ट्रद्रोह

(विवेक मित्तल) जयपुर, दिनांक 11.05.2018- राजस्थान के कक्षा आठवीं के समाजशास्त्र विषय की अंग्रेजी संदर्भ पुस्तक में लोकमान्य तिलक का ‘आतंकवाद के जनक’, के रूप में अनादरकारी उल्लेख किया गया है। हिन्दू जनजागृति समिति इसकी कठोर शब्दों में निंदा करती है। भारत की स्वतंत्रता के लिए अपना सर्वस्व बलिदान करने वाले लोकमान्य तिलक का अनादर सहन करने योग्य नहीं है। राजस्थान प्रशासन इस प्रकरण पर गंभीरता से ध्यान दे और पुस्तक से आपतिजनक तथ्य तथा उल्लेख तत्काल हटाए जाये। इस मांग का ज्ञापन आज मुख्यमंत्री तथा शिक्षामंत्री के नाम जोधपुर के अतिरिक्त जिलाधीश छगनलाल गोयल को ज्ञापन सौंपा गया। ज्ञापन देने वाले प्रतिनिधि मण्डल में उच्च न्यायालय के अधिवक्ता श्री. मोतीसिंह राजपुरोहित, सनातन संस्था की पू. सुशीला मोदी एवं हिन्दू जनजागृति समिति के श्री हनुमान विश्नोई उपस्थित थे। इसी विषय में आज जयपुर में भी मुख्यमंत्री आवास में समिति की और से श्री जुगलकिशोर गोयल एवं श्रीमती पुष्पा गोयल ने ज्ञापन सौपा। हिन्दू जनजागृति समिति के राष्ट्रीय प्रवक्ता श्री रमेश शिंदे ने कहा की राष्ट्रपुरुषों का अपमान और अनादर करने के लिए जानबूझकर लोकमान्य तिलक का इस गलत तरीके से उल्लेख किया गया है। ऐसा उल्लेख करने वाले लेखक, मुद्रक, प्रकाशक एवं संबंधित दोषी शासकीय अधिकारियों पर भी कठोर कानूनी कार्रवाई की जाए तथा उपरोक्त पुस्तक तत्काल वापस ली जाए।
समिति के राजस्थान समन्वयक श्री आनंद जाखोटिया ने इस बारे में जानकारी देते हुए बताया कि इससे पहले भी केेंद्र शासन की ‘आइसीईएस’ की पाठ्यपुस्तक में बाल गंगाधर तिलक, लाला लाजपतराय, बिपिनचंद्र पाल, भगतसिंह, सुखदेव, राजगुरु आदि महान स्वतंत्रता सेनानियों का ‘आतंकवादी’ के रूप में जानबूझकर उल्लेख किया गया था। जिसका विरोध होने पर तत्कालीन शासन ने वह भाग पुस्तक से हटाया था। अब पुनः लोकमान्य तिलक को आतंकवादी कहना, राष्ट्रपुरुषों का अनादर कर, उनकी प्रतिष्ठा को मलिन करने का बडा षड्यंत्र है, यह एक देशद्रोही कृत्य है। दोषियों के खिलाफ तुरन्त राष्ट्रद्रोह का मुकदमा चलाकर गिरफ्तार करना चाहिए तथा कक्षा आठवीं के समाजशास्त्र विषय की अंग्रेजी संदर्भ पुस्तक से तत्काल हटाना चाहिए।