सैयद अली शाह गिलानी से ज्‍यादा कट्टर हैं मुहम्मद अशरफ सरई

सैय्यद अली शाह गिलानी के पाकिस्तान के समर्थन वाले अलगाववादी संगठन तहरीक-ए-हुर्रियत कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष पद से इस्तीफे के बाद मुहम्मद अशरफ सरई को तहरीक का नया अध्यक्ष नियुक्त किया गया है. अशरफ सरई को गिलानी से अधिक कट्टर छवि के लिए जाना जाता है. गौरतलब है कि कुछ दिनों पहले ही शूरा की एक अहम मीटिंग में सरई को तहरीक का अध्यक्ष चुना गया है.

शूरा के इस फैसले का ऐलान सोमवार को श्रीनगर में किया गया है. गौरतलब है कि बीते कुछ दिनों से सैय्यद गिलानी की खराब तबीयत के चलते हुर्रियत में संकट की स्थिति बनी हुई थी और अब सरई की नियुक्ति से संगठन का मानना है कि स्थिति सामान्य हो जाएगी.

सरई 72 वर्ष के हैं और और गिलानी की तरह उनका भी ताल्लुक जमात-ए-इस्लामी से. हालांकि पूर्व में कई मुद्दों पर गिलानी से अधिक कट्टर राय और अलग रुख रखने के लिए सरई को जाना जाता है. सरई ने कई बार सैय्यद गिलानी की कड़ी आलोचना भी की है. वहीं राजनीति के अलावा निजी जीवन में सरई को इकबाल, फैज और गालिब की शायरी बेहद पसंद है. वहीं कश्मीर में जारी अलगाववादी राजनीति में सरई के योगदान के आधार पर उन्हें पहले से ही गिलानी का स्वाभाविक उत्तराधिकारी भी माना जाता रहा है.

वहीं जम्मू-कश्मीर की चुनावी राजनीति में सरई ने पूर्व मुख्यमंत्री शेख अबदुल्ला के खिलाफ गादेरबल से चुनाव भी लड़ा है. चुनाव में हार का सामना करने के बाद सरई ने दावा किया था कि वह चुनाव इसलिए लड़े थे जिससे इस मिथक को तोड़ा जा सके कि जम्मू-कश्मीर में शेख के खिलाफ को खड़ा नहीं हो सकता है.

वहीं कई साल तक जेल में बंद रहने के कारण भी सरई को जेलबर्ड की संज्ञा भी दी गई है. अब सरई की हुर्रियत मंस नियुक्ति के बाद माना जा रहा है कि वह कैडर और संगठन को मजबूत करने के काम को प्राथमिकता देंगे. गौरतलब है कि बीते डेढ़ दशक से जब गिलानी हुर्रियत के अध्यक्ष पद पर रहे सरई संगठन के महासचिव की जिम्मेदारी निभा रहे थे.