परम्परागत क्राफ्ट, कला एवं संस्कृति से सराबोर सरस आजीविका मेला का हुआ समापन

आईटीपीओ द्वारा बेहतर प्रबंधन के लिए सरस को किया गया सम्मानित
विनोद तकियावाला , स्वतंत्र पत्रकार
नई दिल्ली :* केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय और राष्ट्रीय ग्रामीण विकास और पंचायती राज संस्थान (एनआईआरडीपीआर) द्वारा आयोजित दिल्ली के प्रगति मैदान में 42वें विश्व व्यापार मेले में परंपरा, क्राफ्ट, कला एवं संस्कृति से सराबोर 14 से 27 नवंबर तक प्रसिद्ध सरस आजीविका मेला 2023 का आज समापन हो गया। इस वर्ष सरस को बेहतर प्रबंधन के लिए आईटीपोओ द्वारा सम्मानित भी किया गया। सरस को सम्मानित करने के पीछे 25 वर्षों का अथक प्रयास है जो कि केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय और राष्ट्रीय ग्रामीण विकास और पंचायती राज संस्थान (एनआईआरडीपीआर) के अधिकारियों व कर्मचारियों द्वारा लगातार किया गया है, तभी आज सरस अपना रजत जयंती मना रहा है। एनआईआरडीपीआर के असिस्टेंट डायरेक्टर चिरंजी लाल कटारिया बताते हैं कि सरस ग्रामीण महिलाओं के लगन और आत्म निर्भरता की यात्रा है। सरस की शुरुआत 1999 में कपार्ट (अब एनआईआरडीपीआर) व ग्रामीण विकास मंत्रालय के अधिकारियों ने की ताकि ग्रामीण उत्पादों को शहरों में मार्केटिंग का बेहतरीन प्लेटफॉर्म मिल सके। यह बहुत दूरगामी सोच थी। सरस का उद्देश्य महिला सशक्तिकरण की एक अनूठी मिसाल है। सरस का हर स्टॉल एक संघर्ष भरी दास्तान है जो अनगिनत प्रेरणाओं को समेटे है। साथ ही उन्होंने बताया कि आने वाले 1 दिसंबर से सरस फ़ूड फेस्टिवल का भी आयोजन होने जा रहा है जो कि बाबा खड़क सिंह मार्ग नई दिल्ली में किया जाएगा।
केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय और राष्ट्रीय ग्रामीण विकास और पंचायती राज संस्थान (एनआईआरडीपीआर) द्वारा आयोजित इस सरस आजीविका मेला 2023 में ग्रामीण भारत की शिल्पकलाओं का मुख्य रूप से प्रदर्शन किया गया। 14 नवंबर से 27 नवंबर तक चलने वाले इस उत्सव में 330 के करीब महिला शिल्प कलाकार, 165 के करीब स्टॉलों पर अपनी-अपनी उत्कृष्ट प्रदर्शनी का प्रदर्शन किया। सरस आजीविका मेला के दौरान देश भर के 29 राज्यों के हजारों उत्पादों की प्रदर्शनी और बिक्री की गई। ग्रामीण विकास मंत्रालय द्वारा यह एक मुहिम की शुरुआत की गई है जिससे कि हमारे देश के हस्तशिल्पियों और हस्तकारों को अपनी रोजगार शुरू करने का मौका मिल सके।