शिंज़ो आबे नमन तुम्हे…!

जापान के पूर्व पीएम शिंजो आबे को शुक्रवार को जापान के नारा शहर में एक रैली के दौरान गोली मारी गई. जिसके बाद पूर्व पीएम का 67 वर्ष की आयु में निधन हो गया. हालांकि, जापान एक शांतिप्रिय देश है। वहां बन्दूक का लायसेंस लेने की प्रक्रिया भी काफी कठोर है। इस घटना ने जहाँ दुनिया को स्तब्ध कर दिया वहीँ जापान के लोगों के लिया ये एक गहरा सदमा है। घटना के बाद आरोपी को गिरफ्तार कर लिया गया है और वह हिरासत में है. शिंजो आबे के निधन पर भारत सहित दुनिया के लगभग सभी देशों ने दुख जताया है. दुनियाभर के नेताओं ने शिंजो आबे के कामों को याद करते हुए उन्हें बेहतरीन नेता करार दिया और उनके निधन को अपूरणीय क्षति बताया। शिंजो आबे 2006-07 और 2012-20 तक जापान के पीएम पद पर रहे हैं. वे जापान के सबसे लंबे समय तक प्रधानमंत्री रहे हैं. शिंजो आबे से पहले उनके अंकल ईसाकू सातो के नाम सबसे लंबे समय तक जापानी प्रधानमंत्री रहने का रिकॉर्ड था, जिन्होंने 1964 से 1972 तक जापान के प्रधानमंत्री के रूप में कार्य किया था. शिंजो आबे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देश के सबसे प्रसिद्ध राजनीतिक व्यक्ति बने रहे। चीन के बढ़ते प्रभाव और सैन्य ताकत का मुकाबला करने के उद्देश्य से बनाए गए क्वाड (QUAD) का प्रस्ताव काफी समय से लंबित था जो कि आबे के प्रयासों से ही संभव हो पाया। यह जापान, ऑस्ट्रेलिया, भारत और अमेरिका के बीच एक बहुपक्षीय समझौता है. मूल तौर पर यह हिंद-प्रशांत क्षेत्र में काम कर रहा है, ताकि समुद्री रास्तों से व्यापार आसान हो सके लेकिन अब यह व्यापार के साथ-साथ सैनिक बेस को मजबूती देने पर ज्यादा ध्यान दे रहा है ताकि शक्ति संतुलन बनाए रखा जा सके। नवंबर २०२१ में QUAD में शामिल चारों देशों की नौसेना ने अरब सागर में अभ्यास किया था. QUAD देशों की इस अभ्यास की वजह से चीन के माथे पर चिंता की लकीरें आ गयी थी। भारत,अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया के नेताओं ने कहा कि शिंजो आबे की हत्या के बाद हम सब जापान के लोगों के साथ खड़े है. शिंजो आबे ने स्वास्थ्य संबंधी चिंताओं का हवाला देते हुए सितंबर 2020 में जापान के प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था. जापान के बाद भारत ही दूसरा देश है जो इस घटना से स्तब्ध और दुखी है। क्योकि जापान और भारत के बीच नजदीकियां लाने में शिंज़ो आबे की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। भारत के साथ संबंधों में सुधार के एक उदाहरण के रूप में शिंजो आबे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यकाल के दौरान मुख्य अतिथि के रूप में भारत के गणतंत्र दिवस परेड में भाग लेने वाले पहले जापानी प्रधानमंत्री बने थे. जापान के पूर्व प्रधानमंत्री शिंजो आबे ने भारत-जापान संबंधों को एक विशेष रणनीतिक और वैश्विक साझेदारी के स्तर तक बढ़ाने में बहुत बड़ा योगदान दिया। भारत में बन रहे बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट को जापान के सहयोग से ही पूरा किया जा रहा है। जो कि शिंज़ो आबे के कार्यकाल में ही हुआ। चीनी आक्रमण के दौरान जापान भारत के साथ मजबूती से खड़ा रहा है. डोकलाम गतिरोध के दौरान, सिक्किम-तिबेन-भूटान ट्राइजंक्शन के पास, जापान ने भारत का समर्थन किया और कहा कि ताकत के सहारे जमीन पर यथास्थिति को बदलने का कोई प्रयास नहीं किया जाना चाहिए. आबे ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ गहरे संबंध साझा किए हैं. उन्होंने मोदी को अपना सबसे भरोसेमंद और मूल्यवान दोस्त कहा था. यहां तक कि जब नरेंद्र मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री थे,आबे ने उन्हें जापान आमंत्रित किया था और भारतीय नेता ने इसे स्वीकार भी किया था। मित्र चाहे व्यक्ति के रूप में हो, राज्य के रूप में हो या एक राष्ट्र के रूप में हो यदि वह आपके विपरीत परिस्थिति में आपके साथ खुलकर खड़ा हो तो उसे सदा नमन करना चाहिए। (लेखक : संतोष पाठक,मुंबई)