धीरोद्दात्त नायक के कथक नृत्य द्वारा द्वारा हुआ गुरु शिष्य परंपरा का प्रदर्शन

प्रभु श्रीराम भी गुरु शिष्य परंपरा के आधार हैं,
नृत्यम इंस्टीट्यूट ऑफ परफॉर्मिंग आर्ट अंजना वेलफेयर सोसाइटी के साथ मिलकर गुरु पूर्णिमा का उत्सव मनाया नृत्यम इंस्टिट्यूट ऑफ परफॉर्मिंग आर्ट डायरेक्टर कथक नृत्यांगना माया कुलश्रेष्ठ ने कहा कि हम गुरु शिष्य परंपरा को इसलिए मनाते रहे हैं क्योंकि आने वाली पीढ़ियां इसके महत्व को जान सके और साथ ही साथ बड़े गुरुजनों का आशीर्वाद भी पा सके क्योंकि हम शास्त्रीय कला के क्षेत्र में बिना गुरु कृपा के कुछ प्राप्त नहीं कर सकते मैं पिछले कई वर्षों से कत्थक सीखने एवम सिखाने की प्रक्रिया में हूं जिसमें देश विदेश में अपने प्रस्तुति भी देती हूं पर फिर यह कहा जाए कि मुझे शास्त्रीय कला का ज्ञान हो गया है या मुझे अब किसी गुरु की जरूरत नहीं है यह एक मूर्खता होगी शास्त्रीय संगीत ,नृत्य के लिए एक जीवन भी कम है मैं अपने उन सभी गुरुओं को ह्रदय से प्रणाम करती हूं जिन्होंने मुझे नृत्य ,नाट्य ,संगीत इत्यादि सिखाया और सिखा रहे हैं नृत्यम इंस्टिट्यूट आफ परफॉर्मिंग आर्ट 15 वर्ष नृत्य शिक्षा के क्षेत्र में अपना योगदान दे रहा है अब इसकी दिल्ली में जगह-जगह शाखाएं हैं और गुरु पर्व को उत्सव रूप में मनाने के लिए नृत्य इंस्टीट्यूट आफ परफॉर्मिंग आर्ट्स के सभी छात्र जो कि देश एवं विदेश से हैं वहां एक सभी सम्मानीय गुरुजनों के लिए प्रस्तुति तैयार कर रहे हैं क्योंकि यह समय ऑनलाइन का ही हैं तो सभी ने दिन रात मेहनत की है और उन्होंने एक ऐसी प्रस्तुति तैयार की है जिसे गुरु शिष्य परंपरा के लिए आदर्श मानना चाहिए प्रभु श्री राम भी गुरु शिष्य परंपरा के आधार है अगर अब कृष्णा और राम जैसे छात्र नहीं है तो उसका एक ही कारण है कि गुरु शिष्य परंपरा जो विलुप्त होती जा रही है नृत्यम इंस्टिट्यूट ऑफ परफॉर्मिंग आर्ट्स के परफॉर्मिंग आर्ट्स के छात्र प्रभु श्री राम की स्तुति करी जिसमें जिसमें उपस्थित होने वाले छात्र व संपूर्ण रामायण से कुछ मुख्य भाव व्याख्या करेंगे अपने नृत्य द्वारा प्रभु श्री राम नाट्य शास्त्र के अनुसार धीरोदात्त नायक दशरूपक में कहा गया है


“महासत्वो अतिगंभीर: क्षमावानविकत्थन:
स्थिरोनिगूढ़ाहंकारोधीरोदात्तदृढव्रत:।।”
अर्थात् जिसका ह्रदय शोक,क्रोध आदि से अप्रभावित हो, अति गंभीर स्वभाव वाला, दूसरे की गलतियो को क्षमा करने वाला, आत्मप्रशंसा न करने वाला, सुख दुख आदि सभी परिस्थितियों में स्थिर स्वभाव वाला, अहंकार भाव को दबा कर रखने वाला, धैर्य धारण करने वाला,कार्य में दृढ़ता रखने वाला नायक धीरोदात्त होता है। रामचरित में राम धीरोद्दात्त नायक के उदाहरण है इस नृत्य प्रदर्शन में कनिका अग्रवाल, यशिता यादव स्निग्धा सक्सेना ,प्रत्याशीता सिंह और काशवी अग्रवाल ने किया
कार्यक्रम की मुख्य अध्यक्षता श्री मुकुंद श्रीवास्तव जोकि एडीशनल चीफ सेक्रेट्री सिक्किम है और अतिथि में श्रीमती प्रतिभा मिश्रा जोकि पानबाई इंटरनेशनल स्कूल मुंबई की प्रिंसिपल है लेखिका एवं वक्ता है कार्यक्रम में चेन्नई से रिदम एडिशन 5 की विनर अप्सरा एस और नोएडा से ईशान्वी प्रस्तुतियां दी इस कार्यक्रम में गायन और वादन में प्रस्तुतियां है पंडित अजय प्रसन्ना द्वारा गुरु शिष्य परंपरा की विस्तृत व्याख्या एवं उनका बांसुरी प्रदर्शन और इस कार्यक्रम को गायन से सजाया कोलकाता से तमोघना चक्रवर्ती!