दिल्ली की सर्द शाम ‘ चालान कटवा के दिल्ली पुलिस के नाम

देश की राजधानी दिल्ली । दिल वालो की इस शहर में हर ईसान अपनी जीवन जीविका के जंग मे जद्दोजहद करते दिल्ली मे प्रवासी बन कर अपने जीवीकोपार्जन करते हुए यही का हो कर रह जाते है । मेरी कहानी भी इससे मिलती जुलती है।
मैआज अपने किसी व्यक्तिगत कार्य को लेकर भारत सरकार के अर्न्तगत स्थित विभिन्न मंत्रालयो के शास्त्री भवन के गेट र्निमित स्वागत कक्ष के बाहरकाफी इंतजार करते करते काफी समय बीत हो गये । आज दिल्ली के वातावरण में सर्द हवा के कारण मेरे सर मे दर्द होने लगी है मैने घडी देखी तो शाम के 4 बजे गये थे । ऐसे मे सभी दिल्ली वाले को होती है । खास कर पत्रकार व पत्रकारिता जगत से जुड़े होने के कारण चर्चा व चाय का सम्बध अनोखा अटूट होता है। मै भी इससे अपने आप को अछुता नही रख पाता हुँ ।
हिन्दी मे एक प्रचलित कहाबत है ‘ इंतजार का फल मीठा होता है ,लेकिन आज का यह कहावत मेरे पर चरिचार्थ होते नजर नही हो रहा है । मै किसी के इंतजार मे खडे खडे रहते हुए मेरी चाय पीने की जिज्ञासा जाग गई थी , तभी जेब से अपना मोबाईल निकाल कर एक मीडिया मित्र को फोन किया । भाई कहाँ हो तुम
मीडिया मित्र – भाई मै तो अपने आफिस मे हुँ ।तुम कहां हो
मै -भाई मैं शास्त्री भवन के गेट पर इंतजार कर रहा हूं यहाँ बहुत ठंडी हवाए बह रही है , मेरी चाय पीने की इच्छा है मेरी भाई ।क्या मेरे साथ तुम चाय पीना चाहोगे | हॉ क्यो नही ‘ दिल्ली की सर्द शाम हो ‘ गरमा गरम चाय पीने का स्नेह भाव भरा निमंत्रण हो वे भी खबरी लाल के संग मे कौन मीडिया मित्र होगा जो आप के आमंत्रण स्वीकार नही करेगा । वो भी गरमागरम चाय पर समसामायिक घटनाओ पर . “तीखी नजर ‘ तीखी खबर ” की पारखी खबरी लाल के संग । मीडिया मित्रभाई ने मेरे आमंत्रण को स्वीकार करते हुए कहा भाई मैं आई एन एस ऑफिस में हूं और तुम शास्त्री भवन के गेट पर हो ।एक काम करो तुम चल करआगे बढ़ो ‘ मै भी शास्री भवन स्वागत कक्ष से कृषि भवन के गेट के साथ आ जाओ हम मैं आई एन एस ऑफिस से वहां पहुंचता हूं । हमारी आपसी सहमति बनने के बाद हम लोग निश्चित स्थान पर मिलने की सहमति बनी । मै जैसे चाय वाले की दुकान पर पहुँच पाते इससे पूर्व ही हमारे मीडिया मित्र वहां पर पहले से पहुंचे हुए थे तथा उन्होंने अपने मित्र धर्म का पालन करते हुए चाय वालों को दो कप चाय बनाने के लिए कह दिया था । जिसरे मेरी खुशी काठिकाना नहीं रहा है ।चलो मीडिया मित्र हो तो ऐसा ।भाई ओ भाईखबरीलाल जी अब दोनों भाई चाय पीते हैं कैसे हैं आप और बताओ क्या नई ताजी चल रही है ।समसामयिक घटनाओं पर हल्की फुल्की चर्चा के बाद चाय खत्म किया था ।तभी हमने अपने जेब के पर्स निकाल कर चाय वाले को पैसे दिये तथा अपने मास्कको लगाने का प्रयास कर रहा था कि -चाय वाले ने आवाज दी साहब आपके लिए चाय बनाओ क्या ।मैं चौक गया ।चाय वाले की इस तरह से बात सुनकर क्योकि हमने तो अभी-अभी चाय पी है भाई ।चाय वाले ने कहा साहब आपके लिए नहीं बडे साहब के लिए । मैने चाय वाले के चहरे की छबराहट को भापते हुए कहा कि भाई ये हमारे मीडिया मित्र है। r एक पत्रकार है ‘ हमारी तरह जनता के सेवकहै । तभी हमारे मित्र नही कहा कि भाई हम भी आप की तरह आम आदमी हुँ मै कोई साहब नही हुँ ।
. चाय वाले ने कहाँ साहब पीछेहै। ‘ मैनेपीछे मुड़कर देखा तो दिल्ली पुलिस के 2 जवान एक आरक्षी दूसरा सहायक निरीक्षक खडे थे । दिल्ली पुलिस ने कहा किअपना आईडी दो ‘मैंने उनकी बातों को अनसुनी कर दी ।मैं आपसे आईडी मांग रहा हूं । मै भी चकित हो गया । ये पुलिस वाला मेरे से आई डी क्यु माँग रहा है। मै . कुछ समझ पाता इसके पहले मेरे मीडिया मित्र ने जनाब आप इनसे आई डी क्यु माँग रहे हो । तभी सहायक निरीक्षक ( एस आई ) ने आप अपना आई डी देते हो या मै बताऊ अभीतुम्हे |
सर्द शाम मे गरम गरमा बहस से कुछ ज्यादा मामला गर्म होते देख कर मैने अपने पर्स से अपना प्रेस परिचय पत्र (डी आई पी द्वारा जारी ‘ दिल्ली सरकार ) दे दिया ।
ये कोई आई डी कार्ड है । अपना आधार कार्ड / डी एल दिखाओ नही तो थाने चलो । तभी मेरे संग खडे मीडिया मित्र ने जनाब आप किस थाने से हो ‘ हमे थाने मे ले जा रहे हो ‘ मुझे अपने आफिस मे बताना होगा नही तो वे कहाँ हमे ढढ़ गे । या मै दिल्ली पुलिश के 100 न० पर डॉयल कर गाडी बुलाते है । बाहर सर्दी व सर्द हवाएँ चल रहे है कभी आप को सर्दी नही लग जाए ।
मैने अपने अनुभवो को अपना रक्षा कवच व डाल बनाते किसी तरह गरम माहोल को शान्त किया । तथा अपनी गलती का कारण जानना चाहा तो एस आई ने हमे कहा कि आपका चालन कटेगा । मैने कारण पुछा तो वे बोले कि आप ने मॉस्क नही लगाया है।
तभी मेरे मित्र ने बडे सहज व सरल शब्दो मे कहा कि भाई आप देख रहे हो कि हम चाय पी रहे है। आप ही बताओ हमे कि मॉस्क पहन कर कोई चाय पी सकता है । आप पी सकते है क्या | एस आई ने वोले कि इन्होने अपनी मॉस्क जेब मे उतरा कर रखी है ।
मैने अपनी स्वाभाव के अनुसार पत्रकार व पत्रकारिता के धर्म / कर्तव्य का निर्वाह करते करते उनसे पुछा कि – जनाब येकोरोना काल है । सर्व प्रथम आप दो गज दुरी पर खडे । हमे या आप को पास नही है किसे कोरोना वायरस है। दुसरी बात कोरोना से बचाव मे जगह – जगह केन्द्र व राज्य सरकार प्रचार किया है मास्क पहना है जरूरी । मै अभी चाय पी कर अपना मास्क लगाया है।
दुसरी बात सफाई कोरोना से बचाव का तरीका है। जनाब आप के अनुसार मास्क हमे उतार कर कुछ खाना पीना नही चाहिए । ब्लकि गले मे लकटता हुआ मॉस्क हो । एस आई – जी | जनाब चाय की दुकान पर पानी साबुन हर जगह उपलब्य नही हो पाता है। आप इस चीज को मानते है । दुसरी बात हमारे चेहरे पर जो मॉस्क लगे है उसनेकोरोना के वायरस भी हो सकतेहै जो गले मे होने से चाय के माध्यम से हमारे शरीर मे प्रवेश कर हमे अपना आसानी से शिकार बना सकती है। तभी वहाँ पर उपस्थित लोगो ने मेरी बात का समर्थन करते हुए नजर आये । बात आगे बढे और चालना कटुबा दिल्ली पुलिस के काले कारनावे का पर्दा पास हो जाए या उनकी शिकायत दिल्ली पुलिस के आला अफसर तक पहँच जाय इसस पहले’ दोनो जवान वहाँ चलते बने।मै और मेरे मीडिया मित्र ने औपचारिकता पुरी करते हुए विदा लिए पुनः गरमा गरम चाय पर सम समायिक घटना क्रम पर खबरी लाल की “तीरछी नजर से तीखी खबर पर नई चर्चा के लिए स्नेह भरा निमंत्रण मिला ।
खबरी लाल का ” ना कॉहु से दोस्ती ,ना काहुँ से बैर । खबरी लाल तो मॉगे सबकी खैर “॥