इंसान का इंसान से हो भाईचारा , यही पैगाम हमारा -खबरी लाल

सुनो , सुनो सभी भाई बहनो ध्यान से सुनो।इंसान का इंसान से हो भाईचारा यही पैगाम हमारा ,सभी धर्म – महजवो का यह भारत देश है तभी तो हैहम सब का प्यारा
ताऊ – सुनो – सुनो सभी सुनो ‘ ताऊ चौपाल से करे पुकार – आया खबरी लाल ‘
अरे हरिया ‘ रामु ‘ गोलु ‘कालु हनीफ ‘ थॉमस ‘ धनिया ‘ मुनिया ‘ चुनिया ‘ सभी लोग आओ ।
ताऊ – आओ खबरी लाल आओ ताऊ की चौपाल मे तुम्हारा स्वागत है । देखो खबरी लाल तुम्हारे आने के इंतजार मे हम सभी लोग की तुम्हारे आने की इंतजार मे पुरे हप्तेअपने पलक पावड़े बिछाये हुए रहते है । हम सभी काअपना खबरी कब आयेगा ‘ सच्ची खबरे अपने संग लायेगा | ताऊ -जय माता दी ‘ खबरी लाल
खबरी लाल-जय माता दी ताऊ ।
ताऊ -देखो खबरीलाल शारदीय नवरात्र प्रारम्भ हो चुका है जगह-जगह रामलीला होने वाली है इस संबंध में तुम क्या समाचार लाए हो ‘ हम चौपाल वासियों को बताओगे नहीं।
खबरी लाल – राम – राम ताऊ ‘
चौपाल मे आये हुए सभी बड़े को राम राम । छोटे को प्यार भरा आर्शवाद ।
ताऊ – क्या बात है खबरी लाल तुम आज कौन से खुशी का खजाना तेरे हाथ लग गया है । तुम्हारे चेहरे पें खुसियो की बहार आई है।अपनी खुशी में हमे नही शरीक नही करोगे खवरी लाल। हम सभी क्या तुम्हारे नही है ‘ तुम भी तो हम सभी के प्यारे हो खबरी लाल | बोलो ना क्या खबर
‘ खबरी लाल – इंसान का इंसान से हो भाईचारा यही पैगाम है हमारा यही पैगाम हमारा ।
ताऊ – आज तुम्हे क्या हो गया है ‘खबरी लाल । एक ही तुम गीत गा जा रहे हो । हमें तो कुछ बताओ
ताऊ – तुम जो एक गीत गा रहें हो ‘ वह तो किसी हिदी फिल्म के महशुर गीत के बोल है ।खैर छोडे तुम सुनाऊ खबरी लाल ।
खबरी लाल – ताऊँ आप औरअब चौपाल के लोग अब समझदार हो गये है ।
खबरी लाल – हाँ ताऊ आपने ने सही कहा यह सन 1966 की महशुर कान्तिकारी कवि प्रदीप के लिखे गीत व पैगाम फिल्म मे दिलीप कुमार व राजकुमार पर फिल्माये गये गीत बोल है । और ताऊ दिल्ली के तत्कालीन मुख्य मंत्री अरविन्द केजरी वाला जी ने अपने मुख्य मंत्री जी अपने सपथ ग्रहण समारोह मे बजे थे ।ताऊ – खबरी लाल एक बात बताओ हम सब को – तुम तो हमेशा ही घूम घुम कर लोगो से मिलते रहते हो , ताऊ – खबरी लाल तुम्हारी सबारी आज किधर से आ रही है।
खबरी लाल -ताऊ दिल्ली की सुबह-सुबह छुट्टी का दिन रविवार है ।मौसम ने करवट ले ली है ‘ हवाओ मे गुलाबी सदी प्रारंभ हो गया । मैं आज अपने लिए कुछ गर्म कपड़े खरीदने के लिए पुरानी दिल्ली के मशहूर इलाके सीलमपुर ,जफारावाद गांधीनगर की ओर अपने मीडिया मित्र दिव्या मैडम जी के संग जा रहे थें।तभी हमारी बाइक यानी धन्नो मुझसे रूठ गई । घन्नों जो मेरे हमसफर मोटर सार्डकिल का नाम है ,हमेशा ही साथ रहती है ।तभी चाय की दुकान देखी । । बदलते मौसम मे गुलावी सर्द हवायें बह रही थी। हमेंसमाने गर्मा गरम रामप्यारी चाय की दुकान दिखी । तभी दिव्या मैडम ने चाय की चुस्की लेने की हमें निमंत्रण दी ।मैने मौसम व मौके की नजाकत को भापते हए । अपने मीडिया मित्र की निमंत्रण को सहर्ष स्वीकार कर ली। हमारी आपस में सहमति बनी की क्यु ना थोड़ी देर धन्नोको भी आराम दिया जाए और हम दोनो चाय की चुस्की आनंद ले । श्याद घन्नो (मोटर साईकिल ) भी मान जाए ।मै चाय वाले को दो कप चाय बनाने के लिए कहा ।चाय बनाते समय रामू ने बाबू जी आपके मोटर साईकिल को क्या हो गया मैंने कहा चाय वाले से कहा भाई मेरी बाइक ही नही ब्लडि ये तो मेरी प्यारी धन्नो है यह हमसे थोड़ी रूठ गई है ।बाबू जी आप चिंता ना करें आपकी धन्नो है उसका डॉक्टर यही से करीब 500 मी की दुरी पर है ‘ पिलर नंबर 203 के सामने है । आप यहाँ आराम से चाय पीये ।मैंने चाय पी और रामू को पैसे दिया अंकुर करने के बाद रामू ने अपने पैसे रखे तभी समाने एक मोटर मैकनिक अपने कुछ औजार ले समाने खडा था । मैने अपने नजरें कमी चाय वाले की ओर कभी दिव्या मैडम की देख रहे थे। इतने देर मोटर मैकनिक ने मेरी वाईक स्टार्ट कर दी । मैने ने अपना औपचारिता पुरी करते धन्यवाद दिये । मैने मैकनिक से उनकी मेहनत की पैसे पूछे भाई कितने हुए तुम्हारा फीस । तो जबाब में उसने मेट्रो के पिलर नंबर203 के समाने ईशारा करते कहा कि मेरी फीस आप को बही पर देना होगा । मैने कहाँ भाई यही बता दे । मुझे और मैडम को कही और जाना है। लेकिन मोटर मैकनिक के नजरे जो उम्मीद लिये थी अंत मे दिव्या मैडम के विशेष आग्रह को मुझे भी स्वीकार करना पडा । हम दोनो उस के संग आगे की ओर चल पडे ।तभीमोटरसाइकिल का वर्कशॉप दिखाई पड़ा ।वहां कुछ बाईक और कारीगर अपने कार्यों में व्यस्त था मैंने अपनी धन्नो को खड़ा कर अंदर गया । तभी समाने करीब 32 -35 युवा मेरे सामने आया । साहब जी मैं आपकी क्या सेवा करूं मैंने कहा भाई मेरी धन्नो कभी कभी मुझसे रूठ जाती है। इसको थोड़ा देख लो धन्नो का नाम सुनते हुए उसके चेहरे पर एक शिकन की लहरे दौड पड़ी । मैने स्थिति को सबालते हुए कहा कि भाई घबराने की कोई बात नहीं । धन्नो बाइक का नाम है ।जिसे मैं प्यार से धन्नो कहता हूं ।अरे साहबजी आप इसकी चिंता ना कीजिए मैं आपकी धन्नो को मना लूंगा ।
ताऊ -क्या खबरीलाल मैं रामलीला और नवरात्रि की बात कर रहा था ।तुम अपनी धन्नो के पीछे पड़ गए क्या बात है
खबरी लाल -ताऊ इस साल रामलीला तो इस बार नहीं हो रही है कोरोना वैश्विक संकट से हम लोग जूझ रहे हैं हालांकि दिल्ली सरकार ने रामलीला करने की इजाजत देती है लेकिन धार्मिक रामलीला समितियों से बात करने पर पता चला है रामलीलाके नाम पर कुछ भजन राम कथा आदि का आयोजन हो सकता है ।
ताऊ -जो ईश्वर को मंजूर है वही होगा ।हमारे और तुम्हारे करने से कुछ नहीं होता खबरी लाल ।ताऊ -खैर छोड़ो तुम अपनी कहानी का बताओ आगे और हुआ ।
खबरीलाल हॉ ताऊ हम-दोनों में बातचीत हो रही थी और वह मेरी बाइक पर काम भी कर रहा था कुछ पल भी गुजरे थे 10 मिनट को पुनःस्टार्ट करके हमें कहा कि साहब जी आपके धन्नो मान गई ‘ हाँ समय समय हमे सेवा करने का अवसर देते रहना साहब ।मैंने अपने पत्रकार धर्म का निर्वाह करते हुए उसके संबंध में जानना चाहा । मेरे आग्रह को सहर्ष स्वीकार करते हुए उस युवा मैकेनिक ने अपनी आपबीती कहानी सुनाने लगे ।मैंने अपने पर्स से 100 रू० का नोट निकालते हुए उसके हाथ में दे साहब जी आप एक पत्रकार हैं आपसे मैं पैसे नहीं लुँगा । मैंने उससे कहाँ कि भाई ये क्या बात है मेरे से क्या गलती हो गई ।नहीं बाबू जी मैं आपसे पैसे नहीं ले सकता । आप भी लोगो की दिन रात सेवा करते हैं मुझे भी सेवा का अवसर दीजिए । बातो मे युवा मोटर मैकनिक ने अपना नाम मो ० अलीम बताया ।
अलीम – साहब अभी नवरात्रि का ब्रत चल रहा है । इस मौके पर मर्यादा पुरुतोषम रामलीला का मंचन होता है।
खबरी लाल – मैने हॉ अलीम भाई लेकिन इसबार कोरोना की बजह से रामलीला नही हो रही है। लेकिन रामलीला से तुम्हारे पैसे से क्या सम्बध है।
अलीम – यही तो बात है साहब । आप को याद होगा । जब राम चंद जी नदी नौका से पार कर रहे थे तो क्या केवट ने रामचंद्र जी से अपनी मेहनत के स्वरूप कुछ ली थी क्या । उल्टे केवट ने राम चद्र जी कहा था कि हमारी जाति एक है। मै आप को इस सागर से पार कर वाता हुँ । आप भी मुझे अपने जीवन के भव सागर से पार लगा देना प्रभु ।
खबरी लाल – हां यह बात तो बिल्कुल सही कहा अलीम भाई
लेकिन श्री राम चन्द्र जी ने मां सीता जी ने अपनी हाथ कीअंगूठी उतार कर दी थी । आर्शवाद स्वरूप ।
अलीम -यही तो मैं कह रहा हूं ‘ साहब । मेहनत के पैसे मै नही लूंगा । आपसे ‘ मुझे आपका आशीर्वाद चाहिए ।
ताऊ -यह तो बड़ी अच्छी बात हैखबरीलाल ।अब तो मुझे उस इंसान के बारे में बताओ युवा मैकेनिक अथार्त अलीम के बारे में ।अब ज्यादा परेशान मत करो मुझे जल्दी से बताओ वह कौन है क्या करता है कैसे । खबरी लाल -शांत ताऊ शांत।उसे अलीम भाई केनाम से जानते हैं ।और हां ताऊ यह महिलाओं और दिव्यांगों का मसीहा भी के नाम से पुकारते हैं ।ताऊ आइए आपको अलीम की कहानी उसी की जुबानी सुनते हैं । यूपी राज्य के बदायूं जिले के रहने वाले अलीम 10 वर्ष की आयु में अपनी ख्वाहिशों को पूरी करने के लिए दिल्ली की वह अपना रुख किया ।वह अपने संग अपने वालिद व बालिदा के अरमानों वआशीर्वाद को अपने संग लाया था ।अम्मी जान ने अपनी लाडले बेटा से कहा कि बेटा तू तो दिल्ली जा रहे हो लेकिन वहाँ कभी भी किसी मजलूम का हक नहीं मारना तथा जितना हो सके जरूरत मंद लोगों की सेवा करते रहना । अलीम ने यह बातें अपने जीवन मे गाठ बाँध लीऔर जीवन का सफर यहीं से शुरू होता है इस यात्रा में कई अलीम को कई उतार-चढ़ाव देखने पड़े । कई रातें उन्हे पार्कों में भूखे पेट भर आना पड़ा एक एक पैसे के लिए कभी-कभी मोहताज भी होना पडा । लेकिन कई लोगों ने मशीहा वन कर -कभी उनकी सहायता भी की ।अलीम अपने पक्के धुंध के कारण अपने लक्ष्य की ओर बढ़ ही रहा था तभी एक दिन अचानक दिल्ली के अन्तराज्यीय वस अडडे के पहलेशास्त्री पार्क मेट्रो स्टेशन के पास एक मायूस मासूम दिव्यांग नजर आया । वेअपनी खराब मोटरसाइकिलको लेकर परेशान था । अलीम को अपनी बालिदा की बाते याद आई । और वे उस की सेवा करने के लिए आगे आये । भाई क्या बात है। मै तुम्हारे किस काम आ सकता । दिव्यांग ने अपनी मजबुरी और मोटर साईकिल की पेरशानी बताई । अलीम इतनी सी बात लो अभी मैं ठीक कर देता हूं ।बातों बातों में ही अलीम ने उस दिव्यांग का बाइक ठीक कर दिया दिव्यांशी चेहरे पर अजीब सी खुशी को देखकर अलीम का भी चेहरा खुश झुम उठा हो गया उन्होंने अपने उस परवरदिगार को धन्यवाद दिया । हे मेरे मालिक तुम्हारा शुक्रिया । तूने मुझे इस लायक बनाया तुम्हारा लाख लाख शुक है। अलीम की सेवा सफर नामा यही से शुरुआत हुई और वे मो ० अलीम से अलीम भाई बन गये ।
यहीं से सेवा की भावना से यात्राप्रारंभ हो गई उन्होंने अब तक 30000 जरूरतमंदलोगों की सेवा कर चुका है ।जब आज पूरा विश्व कोरोना जैसी वैश्विक संकट से गुजर रहा था दिल्ली के सारे यातायात पड़े थे ।ऐसे संकट काल में लोगों के पास केवल अपनी सवारी बची थी । कोरोनायोद्धाओं के को भी अनेक कठिनाइयों का सामना करना पढ़ रहा था ‘ ऐसे संकट के समय अलीम कहां पीछे रहने वाला था |उन्होंने अपने सच्ची लगन व मेहनतऔर सेवा धर्म का पालन करते हुए कोरोना योद्धाओं के रूप में एमसीडी के सफाई कर्मचारी डॉक्टर दिल्ली पुलिस पत्रकारों आदि करीब 200 फ्री सेवा की ।परिणाम स्वरूप कई सामाजिक संस्थाओं से नवाजा गया ।
इस दौरान उनकी सेवा धर्म को कई बार परेशानियों का सामना करना पड़ा कई बार तो रात रात में ब्लैक वाला आते थे उनके अलीम का हार मानने वाला था कहते नहीं निकला था अकेला लोग मिलते गए कारवां बनता गया ।
ताऊ – हमे भी खुदा के नेकवन्दे से कब मिलाओगे तुम खबरी लाल और हाँ उस नेक इसान ने इंसानियत के लिए कुछ संदेश दिया है । क्या ।
खबरी लाल – हॉ ताऊ अलीम भाई ने हमें आपके माध्यम से मालिक / माता रानी से दुआ की जल्द ही कोरोना के संकट से भारत पुरा विश्व छुटकारा मिल जायेगा | हम सभी को अपने मालिक / माता रानी से अपने पुजा – आराधना ईवादत प्रेयर ‘ सज्जादा मै सर्व धर्म समभाव की कामना करे । और हॉ ताऊ हमे उम्मीद है ताऊ आप भी कोरोना जी वैश्विक संकट मे अपने -अपने परिवार / मित्र को यह अवश्य दें | ” जब तक नही आती है दवाई ‘तब तक नही कोई बरते ढिलाई “कोरोना काल मे है जरूरी
दो गज की दुरी / मास्क सावुन पानी से हाथ धोना है जरूरी ।
इंसान का इंसान से हो भाईचारा यही पैगाम हमारा पैगाम हमारा
आज के लिए बस फिर मिलेगे
अलविदा,राम-राम.सतश्री अकाल ‘आदाब,गुड वॉय
ना काहु से दोस्ती , ना काहु से बैर
खबरी लाल तो मांगे सबकी खैर “