क्या यहां पर सरकार नही है”

नरेंद्र राठी

“”””””””””””””””””””””””””””””””””””'”

पैरों में छाले हैं,
खाने के लाले है,
छीतरी हुई लाशें है,
चलते-2 उखड़ी-2 सांसे है,
बच्चे को दूध काअधिकार नही है,
क्या यहां पर सरकार नही है??
चप्पल वाले उड़ेंगे जहाज में,
ये कहा था हमको सहाब ने,
बस नही,है रेल नही हैं,
न अब पैरों में चप्पल है,
“लोकल” का प्रयोग करो,
कार BMW हैं नीचे आपके,
आपके हाथ मे एप्पल है,
आत्म निर्भर बनो,
सिर पर सामान,हाथ मे बच्चे,
पहुंचेगे घर पर हम,
यह हमारा संकल्प हैं,
कितना आत्म निर्भर बने सहाब,
किसी को देखने की दरकार नही है,
क्या यहां पर सरकार नही है??
पहले घर भिजवा दो सहाब,
20 लाख करोड़ का क्या करना,
कभी बरसते ओले है,
कभी धूप में शोले है,
वरना पड़ ना जायेगा मरना,
देख लो हमारी तरफ भी सहाब,
आखिर आना आपको हमारे पास है,
क्यो किये थे हमसे वादे,
क्यों तोड़ दी हमारी है आश है ,
मत बनाओ दिल को पत्थर,
क्यों दिल मे प्यार नही है,
क्या यहां पर सरकार नही है??