उत्कर्ष उपाध्याय
कोरोना को पूरे विश्व में पैर जमाए 3 महीनों से ऊपर होने आए हैं और अब तक 472,529 मामलों की औपचारिक रूप से पुष्टि के पश्चात विश्व भर में उनका इलाज जारी है । मृत्यु के आंकड़ों पर गौर करें तो तकरीबन अब तक इस महामारी ने 21,305 जानें ले लीं हैं । ये नहीं है कि इस महामारी से बचाव संभव नहीं, क्योंकि अब तक कुल 114, 740 संक्रमित मरीज पूर्णतः स्वस्थ भी हुए हैं ।
कोविड-19 के कारण मारे गए लोगों की औसत आयु चीन, इटली समेत उन देशों जहां इस महामारी ने अपना विकराल रूप दिखाते हुए अत्याधिक विनाश किया है वहां की औसत आयु वरिष्ठ नागरिकों पर केंद्रीत रही , और यही आंकड़ा अन्य देशों में भी देखने मिला चीन-इटली में तो यह आयु वर्ग के 70 वर्ष से अधिक उम्र के हैं ।
इसका यह आशय नहीं है कि युवा वर्ग पर इसका कोई प्रभाव नहीं है या वे संक्रमण से दूर हैं ; चूँकि बुजुर्ग व वरिष्ठों की प्रतिरक्षा प्रणाली उम्र के साथ-साथ कमजोर होती रहती है जिसके परिणामस्वरुप कोरोनावायरस सबसे पहले प्रतिरोधक क्षमता पर प्रहार कर अपनी जडें मजबूत करता है और वृद्धों में उतनी सहनशीलता व क्षमता नहीं होती कि वह साधारण जुकाम या खाती भी बर्दाश्त कर पाए तो अंतिम रुप से वे ग्रसित हो जाते हैं और कोरोना आक्रमक होकर वार करता है । यही कारण है कि वयोवृद्ध श्रेणी की मृत्यु दर ज्यादा है बजाए युवा वर्ग के ।
भारत की बात करें तो भारत में कोरोना वायरस महामारी का पहला मामला 30 जनवरी 2020 को चीन से ही उत्पन्न हुआ था । आधिकारिक आंकड़ों की मानें तो 26 मार्च 2020 तक भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद और स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने देश में कुल 649 मामलों , 42 पूर्णतः स्वस्थ,1प्रवासी और 12 मौतों की पुष्टि की है ।
जैसे-जैसे कोरोना वायरस दुनिया भर में फैलते गया, स्वास्थ्य अधिकारी बार-बार जनता को आश्वस्त कर रहे थे कि इससे गंभीर रूप से बीमार होने या मरने का जोखिम बहुत कम है ।चीन की रिपोर्ट के अनुसार, जहां महामारी शुरू हुई, मृत्यु दर दर्शाती है जो कि 60 और उससे अधिक उम्र के लोगों के लिए औसत से अधिक है, साथ ही साथ उच्च रक्तचाप, मधुमेह, अस्थमा और अन्य पुरानी स्थितियों वाले लोगों के लिए भी है। चीनी सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन द्वारा किए गए एक बड़े अध्ययन में, 80 और उससे अधिक उम्र के 14.8% लोगों और 70 से 79 उम्र लोगों में से 8% लोगों की मौत हो गई। हृदय रोग वाले लोगों के लिए, मृत्यु दर 10.5% थी, और मधुमेह वाले लोगों के लिए 7.3% थी।