सर्वश्रेष्ठ नाटकीय अनुभवों व अभिव्यक्तियों के माध्यम से मनाया जायेगा बचपन का उत्सव “जश्नेबचपन”

सर्वश्रेष्ठ नाटकीय अनुभवों व अभिव्यक्तियों के माध्यम से मनाया जायेगा बचपन का उत्सव “जश्नेबचपन”

17 से 25 नवंबर तक आयोजित होने जा रहे जश्नेबचपन में स्विट्ज़रलैंड, श्रीलंका एवं इंडोनेशिया सहित दुनिया भर के लगभग  511 कलाकारों की भागीदारी रहेगी

नई दिल्ली –  रंगमंच की युवा प्रतिभाओं के लिए अच्छी खबर है। नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा ने 17 नवंबर से बच्चों के लिए शुरू होने जा रहे बहुप्रतीक्षित अंतरराष्ट्रीय रंगमंच उत्सव- जश्नेबचपन की आज यहां घोषणा की। एनएसडी की  टीआईई (थियेटर-इन-एजुकेशन) कंपनी के अंतर्गत जीवंत नाटकों के 14 वें संस्करण में सम्मुख, अभिमंचख् अभिकल्प एवं लिटिल थिएटर ग्रुप (एलटीजी) ऑडिटोरियम में स्विट्ज़रलैंड, श्रीलंका और इंडोनेशिया के साथ-साथ भारतीय कलाकारों के सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन देखने को मिलेंगे।

बच्चों का यह नौ-दिवसीय रंगमंच अनुभव, जश्नेबचपन एकता और अखंडता का एक वास्तविक उदाहरण है, क्योंकि विभिन्न क्षेत्रों एवं भाषाओं के नाटक यहां एक ही छत के नीचे मंचित किये जायेंगे। फेस्टिवल में बच्चों के साथ और बच्चों के लिए काम करने वाले कुछ सबसे प्रतिष्ठित और साथ ही उभरते थिएटर निदेशकों को पेश किया जायेगा।

इस वर्ष भारत के 21 और विदेशों के तीन समूह अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन करेंगे, जिनमें श्रीलंका (नॉन-वर्बल), स्विट्जरलैंड (अंग्रेजी) और इंडोनेशिया (जावानी) शामिल होंगे। भारत के विभिन्न राज्यों, जैसे महाराष्ट्र, राजस्थान, गुजरात, दिल्ली, पश्चिम बंगाल, केरल, उत्तर प्रदेश, असम, मणिपुर और त्रिपुरा आदि से प्राप्त 221 प्रविष्टियों में से कुल 24 समूहों का चयन किया गया है। नाटकों का मंचन नि:शब्द, अंग्रेजी, हिंदी व अन्य विदेशी भाषाओं के अलावा बंगाली, मराठी, असमिया और मलयालम जैसी स्थानीय भाषाओं में किया जाएगा।

पिछले संस्करणों के समान ही, नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा के परिसर को बच्चों के मेला में परिवर्तित कर दिया जाएगा, क्योंकि उत्सव में 500 से अधिक थिएटर प्रेमियों के भाग लेने की उम्मीद है। उद्घाटन समारोह 17 नवंबर को एनएसडी परिसर में शाम 5.30 बजे आयोजित होगा, जिसके बाद उड़ान नामक एक संगीत व नृत्य प्रदर्शन होगा।  इसमें थांगटा पंग चोलम (मणिपुर), कालबोलिया (राजस्थान), गोटिपुआ (उड़ीसा) और भांगड़ा/ लोक संगीत (पंजाब) जैसे समूहों द्वारा चार प्रस्तुतियां दी जायेंगी। डॉ. लईक हुसैन के मार्गदर्शन में असम (बिहू), सिक्किम (शेर नृत्य), नागालैंड (काबुल नागा नृत्य) और मणिपुर (स्टिक बैलेंस) जैसे भव्य कार्यक्रम मुख्य आकर्षण रहेंगे।

इस बार नाटकों को चार अलग-अलग श्रेणियों में विभाजित किया गया है – बच्चों द्वारा किये जाने वाले प्रदर्शन, बच्चों और वयस्कों के प्रदर्शन, बच्चों के लिए बड़ों के प्रदर्शन और एक कठपुतली शो। नियमित नाटकों के अलावा, थिएटर उत्साही लोगों के लिए छह माह के क्रैश कोर्स- एनएसडी संडे क्लब के छात्र भी प्रतिदिन दोपहर को परिसर के हरे-भरे लॉन में अपनी परफॉर्मेंस देंगे। इन प्रदर्शनों में दर्शकों को भी शामिल होने का अवसर मिलेगा। इतना ही नहीं, समापन समारोह में सबका मूड अच्छा रखने के लिए कच्छी घोडी नृत्य और ढोल का कार्यक्रम होगा।

चूंकि इस उत्सव में बचपन का जश्न मनाया जा रहा है, इसलिए दिल्ली व एनसीआर के विभिन्न गैर सरकारी संगठनों के जरूरतमंद बच्चों को भी उद्घाटन समारोह में भाग लेने और आनंद प्राप्त करने के लिए आमंत्रित किया गया है। इस पहल के पीछे विचार यह है कि ऐसे बच्चों को मुख्यधारा में लाया जाये और जश्नेबचपन जैसे एक वैश्विक मंच पर उनमें मनोरंजन के साथ  कला व संस्कृति के प्रति उत्साह पैदा किया जाये।

नाटक के महत्व को समझने के लिए, उत्सव में 23 -24 नवंबर को ‘बच्चों के लिए रंगमंच / नाटक पर विचार’ हेतु दो-दिवसीय संगोष्ठी  आयोजित की जायेगी। इस सत्र को रंगमंच के प्रतिष्ठित व्यक्ति संबोधित करेंगे। हर दिन डायरेक्टर्स मीट हुआ करेगी, जिसमें बीते दिन नाटक प्रस्तुत कर चुके कोई तीन समूह दर्शकों एवं मीडिया के साथ अपने अनुभव साझा करेंगे। नाटकों के निर्माता इन नाटकों की तैयारी के पीछे की बारीकियों पर भी चर्चा करेंगे।

नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा के निदेशक श्री सुरेश शर्मा ने कहा, “जश्नेबचपन के आयोजन का मुख्य उद्देश्य थियेटर को प्रमुखता में लाना है। डिजिटल माध्यमों की वजह से आधुनिक युग में इसकी चमक फीकी पड़ी है। बच्चे इन दिनों रंगमंच से अवगत नहीं हो रहे है, क्योंकि स्कूलों में थिएटर को एक विषय के रूप में नहीं पढ़ाया जाता है। संगीत और कला की तरह, रंगमंच को भी स्कूलों में पढ़ाया जाना चाहिए, क्योंकि यह न केवल भावनाओं को व्यक्त करने के सबसे आसान तरीकों में से एक है, बल्कि यह हमें अपने व्यक्तित्व को विकसित करने में सक्षम भी बनाता है। “

थियेटर-इन-एजुकेशन के चीफ श्री अब्दुल लतीफ खटाना ने कहा, “हालांकि जश्नेबचपन बचपन और मासुमियत का एक उत्सव है, चूँकि बच्चे अपने अभिभावकों एवं बुजुर्गो के साथ ही नाटक देखने आते है इसी मायने में जश्ने बचपन समाज के सभी आयु वर्गों को एक समाज के सभी आयु वर्गों को एक छत के नीचे लाता है। यह उत्सव समाज को एकीकृत करता है। यहां तक कि यदि हम जश्नेबचपन में होने वाले प्रदर्शन देखें, तो पता चलेगा कि नाटक वयस्कों और बच्चों के बीच सुंदर सहयोग का परिणाम हैं। “

नाटकों के लिए टिकट बुकमाईशो डॉट कॉम पर और साथ ही, निर्धारित ऑडिटोरियम / प्रोडक्शन काउंटरों पर बच्चों के लिए 20 /- रुपये और वयस्कों के लिए 50 /- की मामूली दर पर उपलब्ध रहेंगे। टिकट दो टाइम स्लॉट में उपलब्ध होंगे – सुबह 11 बजे से दोपहर 1 बजे और दोपहर 2 बजे से शाम 5 बजे तक।

1998 में शुरू हुआ, जश्नेबचपन, एनएसडी की टी.आई.ई. कंपनी का एक उद्यम है, और इसे देश भर में बच्चों के रंगमंच के विकास में योगदान करने के लिए प्रारंभ किया गया था। साल-दर-साल सफलता के बाद, अब यह भारत में बच्चों के लिए सबसे बड़े और सबसे महत्वपूर्ण रंगमंच उत्सवों में शुमार होने लगा है।

नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा के बारे में

नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा दुनिया के सबसे प्रमुख रंगमंच प्रशिक्षण संस्थानों में से एक है और भारत में अपनी तरह का एकमात्र ऐसा संस्थान है। यह संगीत नाटक अकादमी द्वारा 1959 में अपनी एक घटक इकाई के रूप में स्थापित किया गया था। 1975 में, यह एक स्वतंत्र इकाई बन गया और 1860 के सोसाइटी पंजीकरण अधिनियम XXI के तहत, पूरी तरह से भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय द्वारा वित्त पोषित होकर, एक स्वायत्त संगठन के रूप में पंजीकृत हुआ। स्कूल में बहुत गहन प्रशिक्षण दिया जाता है और यह एक संपूर्ण, व्यापक, सावधानीपूर्वक योजनाबद्ध पाठ्यक्रम पर आधारित है, जो रंगमंच के हर पहलू को शामिल करता है और जिसमें सिद्धांतों को अभ्यास से जोड़ा गया है। अपने प्रशिक्षण के एक भाग के रूप में, छात्रों को नाटकों का प्रोडक्शन करने की आवश्यकता होती है, जिन्हें जनता के सामने प्रस्तुत किया जाता है।
एनएसडी की संस्कार रंग टोली (टीआईई कं) की स्थापना 16 अक्टूबर, 1989 को हुई थी और यह अपने अस्तित्व के 27 साल पूरे कर चुकी है। संसार रंग टोली देश में एकमात्र रंगमंच शिक्षा संसाधन केंद्र है और विभिन्न कार्यशालाओं के जरिये यह आज तक 15 हजार से अधिक बच्चों के साथ काम कर चुकी है । इसमें बच्चों के साथ काम करने और प्रदर्शन करने वाले अभिनेता-शिक्षकों का एक समूह शामिल है। टीआईई कंपनी का मुख्य फोकस स्कूलों में रचनात्मक, पाठ्यचर्या आधारित और सहभागी नाटक करना है, विशेष रूप से डिजाइन और विभिन्न आयु समूहों के बच्चों के लिए।