नई दिल्ली – युवा अभ्युदय मिशन के प्रणेता प्रसिद्ध आध्यात्मिक चिंतक और दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफेसर श्रीगुरु पवन जी ने 28 जुलाई को इस मिशन की प्रथम कक्षा में उपस्थित युवाओं को संबोथित किया। यह कक्षा दिल्ली के वाईएमसीए के प्रेक्षागृह में आयोजित की थी। श्रीगुरू पवन जी ने यह जानकारी दी कि भारत युवाओं का सबसे बड़ा देश है। आज इन युवाओं को उन्नत और जागरूक बनाने की ज़रूरत है। युवा मज़बूत होगा तो देश मज़बूत होगा। युवा अभ्युदय मिशन युवाओं के माध्यम से इस देश को मज़बूती प्रदान करने का अभियान है। ऐसे बहुत से लोग हैं जो देश के बारे में सोचते तो हैं लेकिन देश के लिए कुछ सार्थक और बेहतर कर नहीं पाते। सोचना कोई बहुत बड़ी बात नहीं है। सबसे ज़्यादा ज़रूरी और बड़ी बात यह है की हम अपनी सोच को क्रियान्वित कर सकें। जब सोचा हुआ क्रियान्वित नहीं होता तो डिप्रेशन बढ़ता है और युवा कुंठित हो जाता है। भारत का युवा यहीं फ़ेल है।’ देश भर के अलग अलग हिस्सों से आए हुए युवाओं का आह्वान करते हुए श्री गुरुजी ने अपनी चिंता और सरोकार ज़ाहिर करते हुए कहा कि अगर हमारा चिंतन, हमारी सोच हमारे कर्म में परिणत नहीं हो पाता तो हम पीछे रह जाएंगे और हमारा अस्तित्व खतरे में पड़ जाएगा। । श्रीगुरु पवन जी ने समाज की वर्तमान स्थिति के बारे में बताते हुए कहा कि युवाओं में सहनशीलता का स्तर घट रहा है, अफेयर्स डेवलप हो रहे हैं लेकिन टूट रहे हैं, इसकी सबसे बड़ी वजह है हमारा दिमाग, हमारी चिंतन प्रक्रिया। भारत दुनिया का युवा देश है लेकिन उसके ठीक पीछे चीन खड़ा है और उसके ठीक पीछे पाकिस्तान। अगर हमने अपने को मज़बूत नहीं किया तो इन देशों से निबटना मुश्किल हो जाएगा।
श्रीगुरु जी ने बहुत पुरजोर तरीके से अपना मंतव्य स्पष्ट करते हुए कहा कि एक कमज़ोर आदमी किसी को मज़बूती नहीं दे सकता। युवा अभ्युदय मिशन इस देश को एक ऐसी फोर्स देने की नीति है जो मेरे गुरुदेव स्वामी विवेकानंद की ही रणनीति है। अपने अस्तित्व की, देश और समाज के अस्तित्व की रक्षा करना ही युवा अभ्युदय मिशन का उद्देश्य है। मिशन की रणनीति को साझा करते हुए श्रीगुरु जी ने बताया कि देश के अलग-अलग हिस्सों से एक्सपर्ट इस देश के युवाओं को अपने ज्ञान से लाभान्वित करेंगे, वे बताएँगे कि सोच को कैसे एक्ज़ीक्यूट किया जाता है। कौशल विकास के लिए युवाओं को फील्ड का अनुभव भी दिया जाएगा। मानव चाहे तो अपनी कमियों को दूर कर सकता है, हमारी कमियों के जीववैज्ञानिक कारण कम होते हैं, आध्यात्मिक, मानसिक कारण अधिक होते हैं। ज़िंदगी को बदलना है तो छोटी- छोटी चीजों में बदलाव से शुरू करो। युवा अभ्युदय मिशन के अलग अलग पड़ावों में देश के युवाओं के व्यक्तित्व विकास, रीडिंग-राइटिंग स्किल, लीडरशिप के गुण, भारतीय संस्कृति और इतिहास की जानकारी, वाद-विवाद, पार्लियामेंट के सत्रों का आयोजन आदि का काम किया जाएगा। जिस देश का नागरिक जितना प्रबुद्ध और जागरूक होगा उतना ही देश तरक्की करेगा। देश है, तो धर्म है, तो हम हैं। ऐसा नहीं है कि सब ओर अंधेरा है,हमें उस अंधेरे में टिमटिमाता दीपक बनना होगा, ओज से चमकता सूर्य बनना होगा। श्रीगुरु जी ने टेम्पररी और परमानेंट मोटिवेशन के गहरे अर्थ को समझाते हुए कहा कि वास्तव में मोटिवेशन स्वयं को बदलने का जज़्बा है। अपने जीवन के स्वप्नों को साकार करने के लिए यही स्थायी मोटिवेशन चाहिए। आजकल के बच्चों और युवाओं की एकाग्रता 5 से 15 मिनट के बीच में ही खत्म हो जाती है। हमारी मेमोरी इतनी होने चाहिए कि एक 30 साल के व्यक्ति को किसी भी चैप्टर को दो बार से ज़्यादा पढ़ने की ज़रूरत नहीं पड़े। यह सब इस युवा अभ्युदय मिशन में सिखाया जाएगा। हम देश को कुछ दे सकें, देश को करोड़ों सूर्य मिल सकें इसके लिए है युवा अभ्युदय मिशन। श्रीगुरुजी ने प्रश्नोत्तर सत्र में युवाओं के उन सवालों के उत्तर दिये जिनसे वे अक्सर जूझते हैं, ये सवाल खुद उनकी अपनी समस्याओं, सोच और समाज में फैली अव्यवस्थाओं के बारे में थे। राष्ट्रगान के साथ कार्यक्रम सम्पन्न हुआ।