संस्‍कृति, मूल्‍यों और भारतीयता की जड़ों की ओर लौटो -: उपराष्‍ट्रपति

उपराष्‍ट्रपति श्री वेंकैया नायडू ने कहा है कि देश के लोगों विशेषकर युवाओं को भारतीय संस्‍कृति की जड़ों, मूल्‍यों और इतिहास के बारे में संपूर्ण जानकारी होनी चाहिए। उपराष्‍ट्रपति आज इंडस विश्‍वविद्यालय में इंडिया इन्‍स्‍पाअर्स फाउंडेशन द्वारा निर्मित कुंभ मेले पर आधारित डॉक्‍यूमेंट्री फिल्‍म ‘कुंभ’ के प्रदर्शन समारोह को संबोधित कर रहे थे।

उपराष्‍ट्रपति ने कहा कि देश के इतिहास के बारे में अधिकतर जानकारी विदेशी लेखकों के नजरिये से अधिकांश लोगों को प्राप्‍त हुई। उन्‍होंने कहा कि कुंभ मेला अवगत कराता है कि भारत विश्‍व की आध्यात्मिक राजधानी है और एक ऐसा आयोजन है, जहां लोगों का आध्‍यात्मिक एकीकरण होता है। उन्‍होंने कहा कि यह दुर्भाग्‍यपूर्ण है कि पिछले कुछ वर्षों में कुंभ मेले को सकारात्‍मक और सटीक तरीके से नहीं दर्शाया गया। श्री नायडू ने कहा कि कुंभ मेले की शुरूआत, इतिहास और महत्‍व के बारे में भारतीय नजरिये से समग्र जानकारी की बेहद जरूरत थी।

उपराष्‍ट्रपति ने कहा कि कुंभ मेले में सर्वाधिक संख्‍या में श्रद्धालु जुटते हैं और ये भारत की समृद्ध आध्‍यात्मिक विरासत का प्रतीक है। उन्‍होंने कहा कि लाखों लोग भारत और विदेशों से अपने शुद्धीकरण के लिए कुंभ मेले में एकत्र होते हैं। श्री नायडू ने कहा कि कुंभ मेला दुनिया का सबसे बड़ा आयोजन है, जहां इतनी बड़ी संख्‍या में श्रद्धालु आते हैं। ऐसा माना जाता है कि पवित्र जल में डुबकी लगाने से मस्तिष्‍क और शरीर का शुद्धीकरण होता है, पुराने पाप धुल जाते हैं तथा मनुष्‍य को मोक्ष प्राप्‍त होता है।

उपराष्‍ट्रपति ने कहा कि संस्‍कृति और धर्म समान नहीं थे ‘जब हम संस्‍कृति की बात करते हैं, उस समय हम धर्म के बारे में चर्चा नहीं कर रहे होते, संस्‍कृति जीवन यापन का तरीका है, जबकि धर्म अराधना का माध्‍यम है।’

उपराष्‍ट्रपति ने कुंभ मेला डॉक्‍यूमेंट्री फिल्‍म बनाने वालों की सराहना करते हुए कहा कि यह फिल्‍म कुंभ मेले की शुरूआत और सनातन धर्म के लोगों का पथ प्रदर्शक बनने के बारे में जानकारी देती है। इसके जरिए हमें भारत की साधु संत परम्‍पराओं के बारे में भी जानकारी मिलती है।