कैबिनेट ने भारत और स्वीडन के बीच बौद्धिक संपदा अधिकारों के बारे में समझौता ज्ञापन का अनुमोदन किया

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी की अध्यक्षता में हुई बैठक में आज भारत और स्वीडन के बीच बौद्धिक संपदा अधिकारों के क्षेत्र में सहयोग के लिए समझौता ज्ञापन को मंजूरी दी|

समझौता ज्ञापन में एक ऐसी व्यापक और सुगम व्यवस्था कायम करने का प्रावधान है जिसके जरिए दोनों देश  बौद्धिक संपदा अधिकारों के बारे में जागरुकता बढ़ाने के लिए उत्कृष्ट पद्धतियों और प्रौद्योगिकी  का आदान प्रदान करेंगे और साथ ही प्रशिक्षण कार्यक्रमों के बारे में मिलकर काम करेंगे।

प्रभाव

समझौता ज्ञापन भारत को बौद्धिक संपदा प्रणालियों में अनुभव का आदान-प्रदान करने में सक्षम बनाएगा, जिससे  दोनों देशों के उद्यमियों, निवेशकों और व्यापारियों को महत्वपूर्ण लाभ पहुंचेगा। दोनों देशों के बीच उत्कृष्ट पद्धतियों के आदान प्रदान से भारत के विविध प्रकार के बौद्धिक अधिकारों के बारे में जागरूकता बढ़ेगी और उनका बेहतर संरक्षण  किया जा सकेगा। ये अधिकार उतने ही विविध हैं जितनी विविधता भारत के लोगों में है। यह समझौता वैश्विक नवाचार के क्षेत्र में एक बड़ी शक्ति बनने की भारत की यात्रा में ऐतिहासिक सिद्ध होगा और राष्ट्रीय बौद्धिक संपदा अधिकार नीति के लक्ष्यों को बढ़ावा देगा।

विशेषताएं

समझौता ज्ञापन के अंतर्गत एक संयुक्त समन्वय समिति बनाई जायेगी जो निम्नांकित क्षेत्रों में सहयोग गतिविधियों के बारे में  निर्णय करेगी:

क) दोनों देशों के लोगों, व्यापारियों और शैक्षिक संस्थानों के बीच बौद्धिक संपदा अधिकारों के बारे में उत्कृष्ट पद्धतियों, अनुभवों और जानकारी का आदान प्रदान;

ख)  प्रशिक्षण कार्यक्रम में सहयोग, विशेषज्ञों का आदान-प्रदान, तकनीकी आदान-प्रदान और संपर्क गतिविधियाँ;

ग) संयुक्‍त रूप से या किसी एक राष्‍ट्र द्वारा आयोजित कार्यक्रमों और गतिविधियों के माध्‍यम से उद्योगों, विश्‍वविद्यालयों, अनुसंधान और विकास संगठनों तथा लघु और मध्‍यम  उद्यमों के बीच बौद्धिक संपदा के बारे में उत्कृष्ट पद्धतियों, अनुभवों और जानकारी का आदान-प्रदान;

घ) पेटेंटों, ट्रेडमार्कों, औद्योगिक डिजाइनों, कापीराइटों और भौगोलिक संकेतकों और साथ ही बौद्धिक संपदा अधिकारों के संरक्षण, प्रवर्तन और इस्‍तेमाल संबंधी आवेदनों के निपटान के लिए उत्कृष्ट पद्धतियों, अनुभवों और जानकारी का आदान-प्रदान;

ड़) बौद्धिक संपदा के क्षेत्र में आटोमेशन और आधुनिकीकरण परियोजनाओं के कार्यान्‍वयन, नव प्रलेखन और सूचना प्रणालियों और बौद्धिक संपदा के प्रबंधन की प्रक्रियाओं के विकास में सहयोग;

च) यह समझने में सहयोग करना कि परम्‍परागत ज्ञान का संरक्षण कैसे किया जाये; और डेटा बेस संबंधी परम्‍परागत जानकारी सहित उत्‍कृष्‍ट पद्धतियों का आदान-प्रदान और वर्तमान बौद्धिक संपदा प्रणालियां के बारे में जागरूकता बढ़ाना;

छ) डिजिटल वातावरण, विशेषकर कॉपीराईट मुद्दों में बौद्धिक संपदा कानून के उल्लंघनों के बारे में जानकारी और उत्‍कृष्‍ट पद्धतियों का आदान-प्रदान; और

ज) अन्‍य सहयोगात्‍मक गतिविधियां, जो दोनों पक्षों द्वारा आपसी समझ-बूझ से तय की जा सकती है।