भारत में असमाविष्ट गैर-कृषि उद्यमों (निर्माण को छोड़कर) के मुख्य संकेतकों के संबंध में प्रेस नोट (जुलाई 2015-जून 2016)

राष्ट्रीय प्रतिदर्श सर्वेक्षण कार्यालय (एन.एस.एस.ओ.), सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय ने छठी आर्थिक गणना के अनुवर्ती सर्वेक्षण के तौर पर जुलाई, 2015 से जून, 2016 के दौरान कराए गए अपने सर्वेक्षण के 73 वें दौर के अंतर्गत संकलित सूचना पर आधारित “भारत में असमाविष्ट गैर-कृषि उद्यमों (निर्माण को छोड़कर) के मुख्य संकेतक” नामक रिपोर्ट जारी की । राष्ट्रीय प्रतिदर्श सर्वेक्षण कार्यालय ने अपने राष्ट्रीय प्रतिदर्श सर्वेक्षण के 67वें दौर में जुलाई, 2010- जून, 2011 के दौरान भी इसी विषय पर सर्वेक्षण करवाया था ।

  1. इस सर्वेक्षण का मुख्य उद्देश्य विनिर्माण, व्यापार तथा अन्य सेवाओं (निर्माण को छोड़कर) के उद्योग क्षेत्रों में असमाविष्ट गैर-कृषि उद्यमों की प्रचालनात्‍मक तथा आर्थिक विशेषताओं जैसे उनके स्वामित्व का प्रकार, उद्यमों का प्रकार, रोजगार विवरण, प्रचालन व्यय एवं प्राप्तियां, सकल मूल्यवर्धन, ऋणग्रस्तता इत्यादि विषयों के विभिन्न आकलन तैयार करने का था । इस सर्वेक्षण में ऐसे गैर-कृषि उद्यमों को लिया गया था जो समाविष्ट नहीं हैं (अर्थात् कंपनी अधिनियम,1956 के अंतर्गत पंजीकृत नहीं हैं) । इस सर्वेक्षण में लिए गए उद्यमों में स्वामित्व तथा भागीदारी वाले उद्यम (सीमित दायित्ववाली भागीदारी को छोड़कर), स्वयं सहायता समूह, गैर-मुनाफा संस्थान तथा ट्रस्ट आदि शामिल थे । ‘असमाविष्ट उद्यमों’ की परिधि में (क) कारखाना अधिनियम,1948 की धारा 2 एम (i) तथा एम (ii) के अंतर्गत पंजीकृत उद्यमों अथवा बीड़ी एवं सिगार कामगार (रोजगार की दशा) अधिनियम 1966 के अंतर्गत पंजीकृत बीड़ी एवं सिगार विनिर्माण उद्यमों, (ख) सरकारी/सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों तथा (ग) सहकारिताओं को शामिल नहीं किया गया था ।
  2. यह सर्वेक्षण योजनाकारों तथा नीति-निर्माताओं को लक्षित नियोजन तथा नीति-निर्माण के लिए असमाविष्ट गैर-कृषि क्षेत्र पर यथापेक्षित सूचना उपलब्ध कराएगा । इस सर्वेक्षण के परिणाम स्वरूप केन्द्रीय सांख्यिकी संगठन द्वारा यथापेक्षित विसमूहन के स्तर पर आकलन तैयार किया जा सकेगा ।
  3. इस सर्वेक्षण में संपूर्ण भारत संघ को शामिल किया गया । इस सर्वेक्षण के परिणाम, देश के सभी राज्यों तथा संघ-राज्य क्षेत्रों में फैले 8,484 गांवों तथा 7,839 शहरी ब्लॉकों को सम्मिलित करते हुए, राष्ट्रीय प्रतिदर्श सर्वेक्षण कार्यालय द्वारा अपेक्षित प्रतिदर्श पर आधारित हैं । इस सर्वेक्षण में, जुलाई, 2015-जून, 2016, के दौरान ग्रामीण एवं शहरी भारत में, उन उद्यमों जिनकी अनुसूचियों का उपार्थन किया गया, की कुल संख्या क्रमशः 1,43,179 एवं 1,46,934 थी ।

 

  1. देश में असमाविष्ट गैर-कृषि उद्यमों (निर्माण को छोड़कर) के संबंध में विभिन्‍न प्रचालनात्मक तथा आर्थिक विशेषताओं पर कुछ महत्‍वपूर्ण निष्‍कर्ष, जो कि सर्वेक्षण से प्राप्‍त हुए हैं, निम्‍नलिखित हैं:

 

  1. I. उद्यमों की अनुमानित संख्‍या

 

  1. वर्ष 2015-16 के दौरान, अखिल भारतीय स्‍तर पर 6.34 करोड़ असमाविष्ट गैर-कृषि उद्यम (निर्माण को छोड़कर) अनुमानित थे । अखिल भारत स्‍तर पर उद्यमों की कुल अनुमानित संख्‍या में से 31% विनिर्माण में, 36.3% व्‍यापार में तथा 32.6% अन्‍य सेवा क्षेत्रों से जुड़े थे । ‘नॉन-कैप्टिव विद्युत उत्‍पादन तथा पारेषण’ से जुड़े उद्यमों की संख्‍या लगभग नगण्‍य थी ।
  2. असमाविष्ट गैर-कृषि उद्यमों की कुल संख्‍या में से, लगभग 51% ग्रामीण क्षेत्रों में तथा 49% शहरी क्षेत्रों में स्‍थित थे ।
  • स्‍व-नियोजित उद्यमों (ओएई)(अर्थात ऐसे उद्यम जिनमें किसी व्‍यक्‍ति को नियमित आधार पर पारिश्रमिक पर नहीं रखा जाता है) की सर्वेक्षित असमाविष्ट गैर-कृषि उद्यमों में खास हिस्‍सेदारी (84.2%) है । अखिल भारतीय स्‍तर पर, स्‍व-नियोजित उद्यमों की सभी तीन व्‍यापक कार्यकलाप वाली श्रेणियों अर्थात ‘विनिर्माण’ (85.5%),’व्‍यापार’ (84.5%) तथा ‘अन्‍य सेवाओं’ (82.5%) की हिस्‍सेदारी रही है ।
  1. असमाविष्ट गैर-कृषि उद्यमों की कुल संख्‍या में से उत्‍तर प्रदेश की सबसे अधिक भागीदारी (14.20%) रही है, उसके बाद पश्‍चिम बंगाल (13.99%), तमिलनाडु (7.80%), महाराष्‍ट्र (7.54%) तथा कर्नाटक (6.05%) की हिस्‍सेदारी रही है । देश में इन पांच राज्‍यों के असमाविष्ट गैर-कृषि उद्यमों की कुल संख्‍या की लगभग आधी हिस्‍सेदारी रही है ।

 

  1. II. कामगारों की अनुमानित संख्‍या
  2. इस सर्वेक्षण के परिणामों के अनुरूप देश में वर्ष 2015-16 के दौरान असमाविष्ट गैर-कृषि उद्यमों (निर्माण को छोड़कर) से लगभग 11.13 करोड़ कामगार जुड़े थे । कामगारों की कुल संख्‍या में से, 34.8% व्‍यापार से, 32.8% अन्‍य सेवाओं से तथा 32.4% विनिर्माण से जुड़े थे ।
  3. कामगारों की अनुमानित कुल संख्‍या में से, 55% शहरी क्षेत्रों में तथा 45% ग्रामीण क्षेत्रों में काम कर रहे थे।
  • देश में असमाविष्ट गैर-कृषि क्षेत्र (निर्माण को छोड़कर) में कार्यबल की 62% हिस्‍सेदारी स्‍व-नियोजित उद्यमों की रही है ।
  1. कामगारों की अनुमानित संख्‍या के सदर्भ में शीर्ष पांच राज्‍यों उत्‍तर प्रदेश (14.9%), पश्‍चिम बंगाल (12.2%), तमिलनाडु (8.7%), महाराष्‍ट्र (8.2%) तथा कर्नाटक (6.4%) की अखिल भारतीय स्‍तर पर असमाविष्ट गैर-कृषि क्षेत्र (विनिर्माण को छोड़कर) में लगे कामगारों की लगभग 50% हिस्‍सेदारी रही है ।
  2. स्वयं सहायता समूहों के सक्रिय सदस्यों को श्रमिकों के रूप में नहीं माना गया । देश में 11.5 लाख स्वयं सहायता समूहों में लगभग 95.5 लाख सक्रिय सदस्य थे।

III.       प्रचालन संबंधी विशेषताएं

 

क.        स्‍वामित्‍व का प्रकार:

 

  1. स्‍वामित्‍व वाले उद्यमों (अर्थात ऐसे उद्यम जिनमें पूर्ण स्‍वामितव एक व्‍यक्‍ति का हो) की देश में असमाविष्ट गैर-कृषि उद्यमों में सर्वाधिक (96%) हिस्‍सेदारी रही है ।
  2. भागीदारी वाले उद्यमों की हिस्‍सेदारी 2% तथा स्‍वयं सहायता समूहों की हिस्‍सेदारी 1.8% रही है जबकि ट्रस्‍ट तथा ‘अन्‍य’ की हिस्‍सेदारी बिल्‍कुल नगण्‍य (प्रत्‍येक की 0.1%) रही है ।
  • अखिल भारतीय स्‍तर पर, उद्यमों का लगभग पांचवा भाग, महिला मुखिया वाले स्‍वामित्‍व उद्यमों का था ।

 

ख.        प्रचालन की प्रकृति:

 

  1. अखिल भारतीय स्‍तर पर, 98.3% उद्यम चिरस्थायी प्रकृति के थे । मौसमी तथा अनियत उद्यमों की हिस्‍सेदारी क्रमश: 1.3% तथा 0.4% थी ।

 

ग.         उद्यम की जगह:

 

  1. देश में वर्ष 2015-16 के दौरान लगभग 87% असमाविष्ट गैर-कृषि उद्यमों की जगह निश्‍चत थी; वे या तो घर के परिसर में (लगभग 44%) संचालित थी या घर के परिसर से बाहर (लगभग 43%)थी । लगभग 4.4% चलती-फिरती दुकानों तथा 9% गलियों में बेचने वाले थे ।

 

 

घ.         पंजीकरण की स्‍थिति: 

 

  1. असमाविष्ट गैर-कृषि उद्यमों के लगभग 31% उद्यम उनकी गतिविधियों से संबंधित विनिर्दिष्‍ट एजेंसियों/प्राधिकरणों के तहत पंजीकृत है ।
  2. पंजीकृत उद्यमों की हिस्‍सेदारी शहरी क्षेत्रों में 41.4% तथा ग्रामीण क्षेत्रों में 20.9% थी ।
  • व्‍यापक गतिविधि वाली श्रेणियों में, अन्‍य सेवा क्षेत्र की सर्वाधिक पंजीकरण हिससेदारी (39.3%) थी व उसके बाद व्‍यापार (36.9%) तथा विनिर्माण की (15.1%) थी ।

 

ड.         असमाविष्ट उद्यमों में गैर-मुनाफा संस्‍थान

 

  1. अखिल भारतीय स्‍तर पर, उद्यमों का लगभग 1% गैर-मुनाफा वाले संस्‍थान थे जिनमें 0.1% का मुख्‍य जरिया या तो अनुदान था या चंदा ।

 

  1. आर्थिक विशेषताएं

 

  • सकल मूल्‍यवर्धन (जीवीए):

 

  1. जीवीए केवल बाजार उत्‍पादन में संलग्‍न उद्यमों के लिए आकलित किया गया है (कवरेज के अंतर्गत 99.9% उद्यम बाजार उत्‍पादक थे)
  2. 2015-16 के दौरान, बाजार उत्‍पादन में संलग्‍न अनिगर्मित गैर-कृषि उद्यमों (निर्माण को छोड़कर) द्वारा समेकित जीवीए का अनुमान 11,52,338 करोड़ रुपए लगाया गया ।
  • अखिल भारत स्‍तर पर, संस्‍थापनाओं (अर्थात् वे इकाइयां जिनमें नियमित आधार पर कम से कम एक दिहाड़ी कामगार नियोजित था) ने कुल वार्षिक जीवीए में लगभग 56% का योगदान दिया । तथापि, ग्रामीण क्षेत्रों में स्‍व-नियोजित उद्यमों ने कुल जीवीए में उच्‍चतर शेयर (61%) का योगदान दिया ।
  1. समग्र जीवीए का शहरी क्षेत्रों में उद्यमों (70%) द्वारा दिया गया योगदान ग्रामीण उद्यमों (30%) की तुलना में अधिक था ।
  2. महाराष्‍ट्र का अखिल भारत स्‍तर पर कुल वार्षिक जीवीए में उच्‍चतम शेयर (11.8%) था । इसके बाद उत्‍तर प्रदेश (11.0%), तमिलनाडु (9.2%), कर्नाटक (8.0%) तथा पश्‍चिम बंगाल (7.4%) था । इन पांच राज्‍यों ने असमाविष्ट गैर-कृषि उद्यमों द्वारा कुल वार्षिक जीवीए का लगभग आधे के रूप में योगदान दिया ।