रेरा से करारी हार के बाद टीएंडटी बिल्डर की बढ़ी मुश्किलें

रेरा की आढ़ लेकर फ्लैट हड़पने की साज़िश ग़ाज़ियाबाद के एक बिल्डर को महँगी पड़ गई मामला ग़ाज़ियाबाद के सिद्धार्थ विहार में टी एंड टी इंफ़्राज़ोन के टी होम्स का है जहां बिल्डर द्वारा समय पर प्रोजेक्ट पूरा ना करने और अवैध विलंब शुल्क के नाम पर लाखों की धनराशि माँगने पर फ्लैट आवंटी मंजु अग्रवाल और कामिनी सिंह ने रेरा में वाद दाखिल कर दिया इससे बौखलाये टी एंड टी के मालिक अंकुश त्यागी ने दोनों फ़्लैटों का आवंटन ही निरस्त कर दिया और फ्लैट बेचने की जुगत में लग गया लेकिन उसके मंसूबे कामयाब नहीं हो पाये और ग़ाज़ियाबाद पुलिस द्वारा दोनों महिलाओं की शिकायत पर एंटी फ्रॉड सेल द्वारा विजय नगर थाने में अलग अलग दो एफ़आईआर दर्ज हो गयीं यही नहीं बिल्डर की विजय नगर थाना पुलिस से साँठ गाँठ भी उजागर हो गई जिसके उपरांत पुलिस आयुक्त द्वारा दोनों मामलों की जाँच विजय नगर थाने से कोतवाली में स्थानांतरित कर दी गई
मुक़दमा दर्ज होने के बाद बिल्डर के गुर्गों द्वारा ग़ाज़ियाबाद ज़िला अदालत और पुलिस अधिकारियों के दफ़्तरों के खूब चक्कर काटे गए उनका कहना था कि फ़्लैटों का आवंटन रेरा के नियम क़ानूनों के अनुसार ही रद्द किया गया है और मामला रेरा में लंबित है ऐसे में पुलिस द्वारा जल्दबाज़ी और दवाब में प्राथमिकियाँ दर्ज की गई हैं रेरा के नियम कानूनों का हवाला देकर वह पुलिस अधिकारियों का ब्रेन वाश करते रहे और दोनों मुक़दमों को सिविल प्रवृति का बताकर दर्ज मामलों में फाइनल रिपोर्ट लगवाने की जुगत में लगे रहे तो वहीं बिल्डर द्वारा रेरा में मुक़दमे की सुनवाई को टालने की हर संभव कोशिश की गई ,लेकिन कहते हैं जब मुद्दई चुस्त हो तो अपराधी ज़्यादा दिन बच नहीं पाता यही टीएंडटी कंपनी और उसके मालिक अंकुश त्यागी के साथ भी हुआ
रेरा कोर्ट से दोनों मुक़दमों में हुई टीएंडटी कंपनी की हार
जिस रेरा के नियम क़ानूनों का हवाला देकर टीएंडटी का प्रबंधन तंत्र और निदेशक अंकुश त्यागी अब तक बचते आये थे उसी रेरा की कोर्ट से उन्हें ज़बरदस्त शिकस्त का सामना करना पड़ा है मामलों में दोषी पाते हुए रेरा कोर्ट ने टीएंडटी कंपनी को 45 दिन के भीतर शिकायतकर्ताओं को मुआवज़े सहित फ़्लैटों का क़ब्ज़ा देने का सख़्त आदेश पारित किया है

क्या करें साहब अंकुश त्यागी हमारी सुनता नहीं!
इस मामले में मुक़दमा दर्ज होने के बाद से ही बिल्डर के गुर्गे ख़ुद को कंपनी का लीगल एडवाइज़र बताकर पुलिस अधिकारियों के दफ़्तरों के चक्कर काटने लग गये लेकिन जब नीली पट्टी वाले एक वरिष्ठ अधिकारी ने एंटी फ्रॉड सेल की रिपोर्ट का हवाला देते हुए बेहद कड़क अन्दाज़ में उनके कृत्य को ग़ैर क़ानूनी और आपराधिक करार देकर फ़्लैटों का क़ब्ज़ा देने के लिये कहा तो बिल्डर की लंका के एक विभीषण ने कहा कि “हम क्या करें साहब अंकुश त्यागी हमारी सुनता नहीं”!! उन्हें शायद इस बात का अंदाज़ा नहीं रहा होगा कि दफ़्तर में बैठे पत्रकार उनपर नज़र बनाये हुए हैं हालाँकि पुलिस अधिकारी ने उन्हें यह कह कर चलता कर दिया की वो सही हैं तो रेरा के आदेश का इंतज़ार करें अगर रेरा ने उनके पक्ष में आदेश दे दिया तो मुक़दमों को ख़त्म करने के प्रार्थना पत्र पर विचार करेंगे|