फ्लैट के एवज में ले ली लाखों की धनराशि फिर भी नहीं दिया फ्लैट बिल्डर पर धोखाधड़ी और फ्लैट हड़पने का आरोप

गाजियाबाद के सिद्धार्थ विहार में टी-एंड-टी नाम की सोसाइटी में मंजू अग्रवाल ने एक फ्लैट बुक कराया था जिसकी एवज में उन्होंने 60लाख से भी ज्यादा की धनराशि बिल्डर कंपनी को जमा कर दी लेकिन जब फ्लैट लेने का समय आया तो बिल्डर द्वारा उन्हें एक लेटर जारी कर फ्लैट का आवंटन रद्द कर दिया गया मंजू अग्रवाल का आरोप है कि बिल्डर के पास किसी तरह का कोई वैध कारण नहीं है कि वह उनके फ्लैट के आवंटन को रद्द कर सके यहां तक कि उनके फ्लैट पर स्टेट बैंक ऑफ इंडिया से लोन है जिसके असली दस्तावेज स्टेट बैंक के पास गिरवी हैं ऐसे में जब बिल्डर के पास कोई असली दस्तावेज ही नहीं तो बिल्डर कैसे उनके फ्लैट का आवंटन रद्द कर सकता है मंजू अग्रवाल ने आरोप लगाया कि टीएंडटी कंपनी का डायरेक्टर अंकुश त्यागी उनके फ्लैट को हड़प कर किसी अन्य तीसरे को लाखों का मुनाफा कमाकर बेचना चाहता है इसके बाबत उन्होंने गाजियाबाद पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री एवं मुख्य सचिव को शिकायत भेजी है जिस पर जांच जारी है उनका यह भी आरोप है कि बिल्डर द्वारा उन पर लगातार फ्लैट आवंटन रद्द करने का दबाव बनाया जाता रहा है लेकिन जब वह नहीं मानी तो बिल्डर द्वारा सभी नियम कानूनों को ताक पर रखकर उन्हें करीब ₹ सात लाख की अवैध मांग की गई जिसे लेट पेनल्टी बताया गया इसके खिलाफ उन्होंने रेरा में केस दायर कर दिया रेरा में केस दायर होने के बावजूद बिल्डर ने उनको फ्लैट आवंटन रद्द किए जाने का दस्तावेज जारी कर दिया उनका यह भी आरोप है कि बिल्डर द्वारा उन पर दबाव बनाने के लिए यह दस्तावेज जारी किया गया है जब बिल्डर के पास असली दस्तावेज ही नहीं है तो बिल्डर कैसे उनके फ्लैट के आवंटन को रद्द कर सकता है फ्लैट की पूरी कीमत वह बिल्डर कंपनी को अक्टूबर 2022 में ही अदा कर चुकी हैं ऐसे में बिल्डर उन्हें नॉन-पेमेंट का डिफॉल्टर बता आवंटन रद्द करने का लेटर जारी किया गया उनका कहना है कि बिल्डर द्वारा किया गया यह कृत्य पूरी तरह धोखाधड़ी और अमानत में खयानत की श्रेणी में आता है इसके लिए उन्होंने उत्तर प्रदेश सरकार और पुलिस को मुकदमा दर्ज करने तथा बिल्डर पर कड़ी कार्रवाई करने के लिए शिकायत दे दी है जिस पर जांच जारी है
गौरतलब है कि इस तरह के आरोप कई बार बिल्डर कंपनियों पर लगाए गए हैं इसी के चलते केंद्र सरकार द्वारा रेरा बनाया गया था फिर भी बिल्डरों की मनमानी जारी है हाल ही में जनवरी माह 2023 में इसी तरह के एक मामले में हरियाणा रेरा द्वारा एक आदेश पारित किया गया जिसमें यह कहा गया है कि 50% राशि बिल्डर को अदा करने के बाद बिल्डर किसी भी सूरत में आवंटन रद्द नहीं कर सकता वहीं एक अन्य आदेश में रेरा का आदेश ना मानने पर बिल्डर के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किया गया है लोगों को उनके आशियाने का सपना दिखाकर उनकी गाढ़ी कमाई से प्रोजेक्ट बनाया जाता है और जब सोसाइटी बनकर तैयार होती है तो अधिकतर खरीददार का यह सपना सपना बनकर ही रह जाता है