जानी -मानी पत्रकार ने लिखा खुला खत , बताया, शिक्षा माफिया, भू-माफियाओं व वाराणसी शहरी और ग्रामीण पुलिस की साठ-गांठ से हो सकती है मेरी हत्या  

 

नई दिल्ली : जनता के नीतिगत मसलों और भ्रष्टाचार को अपनी लेखनी के माध्यम से उजागर करने वाली तक्षक पोस्ट की एडिटर व पत्रकार श्वेता रश्मि को एक भूमि के फर्जीवाड़ा तथा भ्रष्टाचार के मामले का खुलासा करने पर भू-माफियाओं व वाराणसी प्रशासन के साथ पुलिस में मौजूद कुछ लोगों की साठ-गांठ से पत्रकार श्वेता रश्मि को कई बार से धमकियां मिल रही है, इस मामले की जांच को लेकर वे खुद पीएमओ, यूपी सी एम योगी आदित्यनाथ व वाराणसी के डी एम से पहले भी शिकायत कर चुकी है । इससे पूर्व भी भू-माफियाओं के खिलाफ शिकायत करने पर उनके भाई की कथित तौर पर हत्या की जा चुकी है,जिसकी वे निष्पक्ष जांच की मांग कर रही है । ये बाते खुद पत्रकार श्वेता रश्मि ने….. से बातचीत करके बताया व एक पत्र भी दिया ।

देशभर के मीडिया को संबोधित एक पत्र के जरिये उन्होंने कहा है कि वे एक खोजी पत्रकार होने के साथ-साथ सामाजिक कार्यकर्ता और ह्यूमन राइट एक्टिविस्ट भी है । और एक लंबी अवधि से समाज को अपनी सेवाएं दे रही है ।

उन्होंने पत्र में जिक्र करते हुए लिखा है कि मैं पत्रकारिता के सम्मानित पेशे में लगभग 20 सालों से सक्रिय हूं और देश के तमाम मीडिया संगठनों में अपनी सेवाए भी दे चुकी हूं,

सरकार के फैसलों की रिपोर्टिंग करने और जनमानस के लिए खबरें लिखने और उनके मूलभूत अधिकार की लड़ाई लड़ने के दौरान मेरा उत्पीड़न वाराणसी पुलिस और उसके कुछ अधिकारियों के द्वारा कई महीनों से किया जा रहा है, क्योंकि मेरे द्वारा वाराणसी से लेकर लखनऊ और दिल्ली तक फैले शिक्षा के एक बड़े फर्ज़ीवाड़े को लेकर लड़ाई लड़ी जा रही है ।

जिससे शहर के भू – माफ़िया और राजनैतिक दल के नेताओं के अलावा कुछ आई ए एस और आई पी एस अधिकारियों की संलिप्तता उजागर हो रही हैं और इससे उनके द्वारा किये गये भ्रष्टाचार और फर्ज़ीवाड़े की पोल खुल रही है।

इसी के कारण मेरे भाई की हत्या भी 10 फरवरी 2022 को इन माफियाओं की साठ-गांठ से करवाई गई है और पुलिस द्वारा इस मामले की लीपापोती के कारण हम न्याय से वंचित है।

अब मेरी और परिवार के लोगों की हत्या की तैयारी चल रही है, जिसमें वाराणसी की पुलिस षड्यंत्र कर रही है।

जिसमें भाजपा के नेता चुनिंदा पुलिस अधिकारी हत्या आरोपी अजय सिंह उसके परिवार के लोग उसके अधीन काम करने वाला एक प्रोफेसर और स्थानीय विश्वविद्यालय महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ के कर्मचारी और शिक्षा माफिया के सिंडिकेट से जुड़े लोग शामिल है।

मेरे द्वारा इस फर्ज़ीवाड़े की स्वतंत्र एजेंसी से जांच निष्पक्ष तरीके से कराये जाने की मांग करने के कारण मेरे ऊपर इन लोगों द्वारा लगातार दबाव बनाया जा रहा था।

अब मेरे ऊपर फ़र्ज़ी एफआईआर भी दर्ज करवाये गए है इसमें लगाये गये गंभीर धाराओं में मुझे पुलिस हिरासत में लेकर मेरी हत्या करना चाहती है क्योंकि मेरे भाई के अलावा मैं इस मामलें में अहम गवाह हूं मेरे भाई की हत्या हो चुकी है और अब मेरी भी हत्या हो सकती हैं। मेरी सुरक्षा की मांग को स्थानीय पुलिस और प्रशासन जानबूझकर कर लीपापोती कर रहा है। जनमानस के लिए खड़े होने और न्याय मांगने के लिए मुझे परेशान किया जा रहा है।

एक पत्रकार होने के नाते मेरा काम भ्रष्टाचार में लिप्त अधिकारियों और उनके द्वारा किये फर्ज़ीवाड़े को उजागर करने का मेरा दायित्व है। मेरे द्वारा उजागर किये कुछ ऐसी खबरों का लिंक साथ मे भेज रही हूं मुझे जल्द से जल्द सुरक्षा प्रदान करने की दिशा में आपकी मदद की जरूरत है। 

मेरे द्वारा सरकार के न्यायालय के कार्यशैली को नजदीक से देखा परखा और अपनी कलम से लिपिबद्ध किया जा चुका है। जिसमें कई ऐसी खबरें भी रही है जो जनमानस के लिए काफी उपयोगी और मार्गदर्शन देने वाली रही है।

देश के मंत्रिमंडल और सदन में मेरी पहचान वरिष्ठ और अनुभवी पत्रकार की रही हैं। उत्तर प्रदेश पुलिस और दिल्ली पुलिस के लिए मैंने ट्रेनिंग देने का काम सांस्कृतिक मंत्रालय केंद्र सरकार के अधीन रहकर किया है । ऐसे में मेरी पहचान और गरिमा को लेकर दिया गया व्यक्तव्य गलत है।

मीना तिवारी द्वारा मुझ पर लगाए गए आरोप गलत और बेबुनियाद है क्योंकि मैंने राजनैतिक पत्रकार के हैसियत से समाज में हमेशा अपनी बात रखी है और लोगों को दिशा देने का काम किया जो लोकतंत्र के चौथे स्तंभ के नाते मेरी जिम्मेदारी भी है। मैंने किसी भी मौके पर सरकार विरोधी और देश विरोधी बातें नहीं किया है, जिसका जिक्र मीना तिवारी कर रही हैं। मीना तिवारी को आगे खड़ा करके मेरे भाई के हत्यारें बचना चाहते है और मुझे पुलिस से मिलकर मारना चाहते है क्योंकि मैं अपने भाई की हत्या के लिए न्याय की मांग कर रही हूं ,

इसलिए हत्यारें मुझे जिंदा नहीं देखना चाहते कि स्वतंत्र जांच की मेरी मांग को माना जाए । श्रीमती मीना तिवारी ने संघ प्रमुख मोहन भागवत का नाम लिया है बीजेपी का जिक्र किया है बनारस के पुलिस कमिश्नर का हवाला दिया है क्या इनमें से किसी ने इनको मेरे खिलाफ अधिकृत किया है मुकदमा कायम करवाने के लिए या इनको पैरवीकार बनाया है, क्योंकि मीना तिवारी ने बीजेपी के जोर पर मुकदमा कायम करवाया है इसकी पुष्टि समाचार पत्रों में प्रकाशित खबरें है।

मेरे भाई की हत्या में बीजेपी के एक बड़े नेता की संलिप्तता है और इसके लिए पुलिस और प्रशासन मेरी हत्या करवाना चाहती है।

योगी जी बताएं कि क्या प्रदेश में इंसाफ की लड़ाई लड़ना गुनाह है ?

 बड़े मीडिया संस्थानों में काम कर चुकी तक्षक पोस्ट की एडिटर और पत्रकार श्वेता रश्मि ने अपनी पीड़ा शेयर करते हुए कहा कि सरकार की मंशा के अनुरूप भ्रष्टाचार व अवैध रूप से भू-माफियाओं के हो रहे कामों का खुलासा करने तथा ऐसे ही मामले को लेकर अपने ही भाई की हुई हत्या में इंसाफ की लड़ाई लड़ने का खामियाजा क्या अब इस तरह से भुगतना पड़ेगा ?

उन्होंने आगे कहा कि इस मामले मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से जब भी शिकायत की कई तो उन्होंने जितनी भी बार वाराणसी पुलिस प्रशासन को मामले में निष्पक्ष जांच करके कार्रवाई करने के लिए वाराणसी पुलिस व प्रशासन से कहा ,उतनी ही बार वाराणसी पुलिस प्रशासन भू-माफियाओं के साथ खड़ी दिखी । जब-जब सरकार की ओर से कारवाई का दबाव बढ़ता जाता है, वाराणसी पुलिस में मौजूद वरिष्ठ अधिकारी मुझे और मेरे परिवार को धमकाते है और मामले को रफा-दफा करने का दबाव बनाते है । इन लोगों के इशारे पर कुछ अराजक तत्वों द्वारा मुझे जान से मारने की धमकी मिली । जब भी इस मामले की शिकायत दर्ज कराने का हमने प्रयास किया तो पुलिस ने मामले को दर्ज नही किया । बल्कि उल्टे मुझे ही धमकाने लगती है और मामले को खत्म करने का दबाव बनाती है । जब पुलिस और भू-माफियाओं की दाल नही गली तो उन्होंने मीना तिवारी नाम की महिला का सहारा लेकर मेरे ऊपर एक फर्जी एफआईआर दर्ज कर लिया है। और अब साजिश रचकर मेरी हत्या कराना चाहते है,क्योंकि अपने भाई की हत्या के मामले में मैं एकमात्र गवाह हूं और मामले की निष्पक्ष जांच कराना चाहती हूँ । वाराणसी पुलिस व भू-माफियाओं को पता है कि निष्पक्ष जांच होने पर कई भ्रष्टाचारियों के चेहरे बेनकाब होंगे, इसलिए अब वे मेरी हत्या की साजिश रच रहे है।