रिदम युवा महोत्सव अंजना वेलफेयर सोसाइटी के अंतर्गत 24 जून से 30 जून तक चलेगा कि ऑफलाइन ऑनलाइन दिल्ली और नोएडा में रहेगा जिसमें विभिन्न प्रकार की प्रतियोगिताएं है जोकि युवाओं की प्रतिभाओं को बाहर निकालेगा पेंटिंग कहानी सुनाओ देश के विभिन्न राज्यों प्रांतों को आजादी के इस अमृत महोत्सव में जुड़ेगा संस्था के अध्यक्ष मनीष कुमार कहते हैं कि हमारा उद्देश है कि आजकल का जो युवा है उसे उसकी क्षमताओं का विकास कराना आने वाले समय में हम कुछ कैंप का आयोजन करेंगे उन के माध्यम से उनकी प्रतिभाओं को निकालेंगे और साथ ही साथ उन्हें एक ऐसा मंच देंगे कि अपनी कला को प्रदर्शित कर सकें ,युवा महोत्सव में देश विदेश से प्रतिभागी भाग ले रहे हैं जो आ नहीं सकते वह ऑनलाइन माध्यम से । किसी भी युवा के लिए जरूरी है कि वह चुनौतियों का सामना करें उन को संभाले खुद में आत्मविश्वास जगाएं यह प्रतियोगिताओं के माध्यम से ही होता है।
इन प्रतिभाओं को जो कि प्रतियोगिता के माध्यम से हम से जुड़ेंगे हमारा संकल्प है कि उन्हें भविष्य में संस्था द्वारा मार्गदर्शन और मंच दोनों प्रदान किया जाए।
नितिन शर्मा अपने गुरु पदम विभूषण गुरु सोनल मानसिंह संग
माया कुलश्रेष्ठ कत्थक नृत्यांगना
मयुख भट्टाचार्य कत्थक कलाकार
क्या कहते हैं एक्सपर्ट्स
नितिन शर्मा भरतनाट्यम और छाऊ के प्रसिद्ध कलाकार है इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी में कार्यरत है, और पद्म विभूषण सोनल मानसिंह जी के शिष्य है वो कहते हैं कि अंजना वेलफेयर सोसाइटी कला के माध्यम से पिछले 9 सालों से कार्य कर रही है और मैं उस से जुड़ा हुआ हूं ।
यह जरूरी है कि युवाओं को मंच मिले मैं स्वयं भी युवाओं को मंच दिलाने के लिए हमेशा आगे रहता हूं। जब तक आप युवाओं को उनके अंदर की प्रतिभाओं के बारे में आश्वस्त नहीं करेंगे तब तक कलाओं का भविष्य सुरक्षित नहीं है। इस तरह के युवा महोत्सव गुरु शिष्य के रिश्ते को मजबूती देते है।
आजकल युवाओं को एक माध्यम मिला हुआ है सोशल साइट्स के द्वारा पर इसके साथ साथ अगर उन्हें एक मार्गदर्शन भी मिले सही मंच भी मिले तो भारतीय कला और संस्कृति सुरक्षित हाथों में रहेंगे।
मयुख भट्टाचार्य पिछले एक दशकों से कत्थक सीख और सिखा रहे हैं और पंडित बिरजू महाराज के शिष्य हैं वो कहते हैं की अंजना वेलफेयर सोसाइटी जो भी कला संस्कृति के लिए कार्य कर रही है,महत्वपूर्ण है ।क्योंकि बहुत कम होता है कि जब युवाओं को सही मार्गदर्शन मिल पाए सही मंच मिल पाए और उसके ना मिलने के कारण वह इसको अपने करियर के चुनाव के लिए सही नहीं पाते हैं भविष्य तो कला में भी है ,इसके साथ साथ मानसिक संतुष्टि भी पर जरूरी है की युवाओं को प्रतियोगिताओं के माध्यम से जीवन में सही गलत की निर्णय की क्षमता बढ़ाई जाए।
माया कुलश्रेष्ठ जोकि एक प्रसिद्ध नृत्यांगना है और साथ ही साथ अंजना वेलफेयर सोसायटी की स फाउंडर भी है, मानना है कि युवाओं में जब तक स्वयं को निखारने की बात नहीं आएगी तब तक वह किसी भी क्षेत्र में अपने आप को स्थापित नहीं कर सकते ।
युवाओं को यह जानना जरूरी है कि उनकी जो भी कला है वह भी माध्यम से अपने भविष्य को सजाना सवारना चाहते हैं ।
उसमें उन्हें और क्या सीखने की जरूरत है किस तरह से निखार लाया जाए उनके गुणों को विकसित करती है जब आप किसी भी तरह की प्रतियोगिता में जाते हैं तो आप पाते हैं कि आपसे बेहतर और क्या है और आपके पास बेहतर क्या है ?
यूं तो हम कला महोत्सव का भी आयोजन करते हैं जिसमें युवा कलाकारों को मंच प्रदान करते हैं पर प्रतियोगिताओं के माध्यम कलाओं का विकास होता है कलाकारों का विकास है इसके माध्यम से स्वयं पर और मेहनत करने का मन करता है।
आज के इस प्रतियोगी समाज में खुद को कैसे विजेता की तरह से रखा जाए वह समझ आता है, इस तरह की प्रतियोगिता बच्चों का युवाओं का बल्कि कहीं ना कहीं सभी बौद्धिक वर्ग का विकास करती है ।प्रतियोगिताएं जीवन में ऊर्जा प्रदान करती है और साथ ही साथ आप संभलते गिरते उठते जीवन को महसूस कर पाते हैं।