महाशक्ति के रूप में भारत की उभरती सम्भावनाएँ- प्रो.कुसुमलता केड़िया

बीकानेर 12 अगस्त 2018। श्रीलालेश्वर महादेव मन्दिर, शिवमठ, शिवबाड़ी के अधिष्ठाता पूज्य स्वामी
संवित् सोमगिरिजी महाराज की अध्यक्षता में मानव प्रबोधन प्रन्यास द्वारा आयोजित चार दिवसीय
प्रबोधन व्याखान माला की श्रृंखला के तृतीय दिवस का शुभारंभ आज सायं 6 बजे कार्यालय जिला उद्योग
संघ में दीप प्रज्जवलित, सरस्वती पूजन तथा यति स्तुति के साथ हुआ। उसके बाद प्रो. रामेश्वर मिश्र
‘पंकज’, प्रो. कुसुमलता केड़िया एवं स्वामीजी श्री सोमगिरिजी महाराज का श्री गंगासिंह टाक व ख़यालीरामजी
ने और सुश्री शिमला नरुका, अशोक कुवेरा, बीकानेर व्यापार मंडल के पदाधिकारियों वीरेंद्र किराडू, नरेश मित्तल,
शान्ति लाल बोथरा, सुभाष मित्तल, द्वारका प्रसाद, विनोद जोशी ने शाल व माल्यापर्ण कर स्वागत किया।
कार्यक्रम के तृतीय दिवस में अग्रणी समाज वैज्ञानिक एवं विकास अर्थशास्त्री प्रो. कुसुमलता ने महाशक्ति
के रूप में भारत की उभरती सम्भावनाएँ – के बारे में प्रकाश डालते हुए कहा कि भारत की भू-राजनैतिक
(जिओ पोलिटिकल) स्थिति ऐसी है कि विश्व में निर्णायक सैन्य टकराव की दृष्टि से इसका सर्वाधिक
महत्त्व है । अतः संयुक्त राज्य अमेरिका और रूस दोनों ही इससे स्वाभविक मैत्री संबंध चाहते हैं और
चाहते रहेंगे क्योंकि चीन और पाकिस्तान से इन्हें सजग रहना है और चीन से दोनों में से किसी के ऐसे
संबंध नहीं है जो मैत्री का आधार बने। इसके साथ ही भारत की अपार संसाधन क्षमता और साथ ही
इसकी सैन्य सामर्थ्य इसे अनिवार्य रूप से विश्व शक्ति के रूप में उभरने की परिस्थिति प्रदान करती है।
परिस्थतियों के कारण ही भारत व्यावाहारिक नीतियां अपनाने को बाध्य है। साथ ही इसकी विराट युवा
शक्ति और संसार में सबके प्रति मैत्री-भाव की इसकी परम्परा केवल उन्हीं शक्तियों से इसका टकराव
अनिवार्य बनाती है जो इसके साथ जान-बूझ कर टकराने पर उतारू है। वैसे भी सभ्याताओं के संघर्ष की
बात करने वाले सेमुअल हंटिगटन ने भी हिन्दू भारत को योरोप और संयुक्त राज्य अमेरिका का
स्वाभाविक मित्र लिखा है।
अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में स्वामी संवित सोमगिरिजी महाराज ने कहा कि भारत की ज्ञान परम्परा
निरन्तर संदेश देती है कि हम समस्त विश्व के प्रति और विश्व के सभी प्राणियों के प्रति मैत्री भाव रखें
और विवेकपूर्वक समीक्षा करते रहें। शांन्ति और समृद्धि कामना वाले विश्व में भारत की यह ज्ञान दृष्टि
सर्व स्वीकार्य होती चली जायेगी । आवश्यकता भारत को सब प्रकार से समर्थ और शक्ति सम्पन्न
बनाने की है ।
मंच संचलान ब्र. विनोद शर्मा किया ।