पश्चिमी दिल्ली – प्रकृति, संस्कृति और विकृति को परिभाषित करते हुए सर्वे भवन्तु सुखिनः और महोपनिषद के श्लोक ‘अयं निजः परो वेति गणना लघुचेतसाम्। उदारचरितानां तु वसुधैव कुटुम्बकम्।। का विशेष उल्लेख करते हुए माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता विश्वविद्यालय, नोएडा परिसर के प्रभारी और समारोह के मुख्य वक्ता प्रो. अरुण कुमार भगत ने कहा, ‘हमने पूरे विश्व को केवल अपना परिवार कहा ही नहीं बल्कि व्यवहार में आत्मसात किया। पूरी दुनिया को अध्यात्म, योग, शून्य, सह-अस्तित्व, अनुकूलन, आश्रम व्यवस्था, कर्म की प्रतिष्ठा, कर्म चेतना से उत्थान, पर्यावरण चेतना, शल्य चिकित्सा, खगोल विद्या, दान की उदात्तता पूरे विश्व को दी। पिछले कुछ वर्षों से पूरे विश्व में योग दिवस मनाया जा रहा है। कपास ही नहीं, कपड़ा बुनने का ज्ञान हमने ही विश्व को दिया। वैदिक गणित, त्रिगनोमैट्री का ज्ञान भारत ने ही विश्व को दिया। महरौली में सैंकड़ो वर्षों से स्थापित लोह स्तम्भ प्रमाण है कि जंग रहित लौह धातु बनाने की विद्या उन्होंने हमसे ही सीखी।’ वे वे गत दिवस भारतीय संस्कृति ज्ञान परीक्षा समिति द्वारा आर्य समाज मन्दिर, जनकपुरी में आयोजित समारोह में बोल रहे थे।
इस अवसर पर प्रो. अरुण कुमार भगत, महापौर नरेन्द्र चावला, विशिष्ट अतिथि प्रदीप राव, गायत्री चेतना केन्द्र नोएडा के आर.एन.सिंह, वरिष्ठ साहित्यकार डा विनोद बब्बर ने प्रविण्य सूची के छात्रों को नकद पुरस्कार राशि, प्रशस्ति पत्र तथा सद्साहित्य भेंट कर उनका उत्साहवर्द्धन किया गया। इस अवसर पर सहयोगी शिक्षकों को भी विशेष रूप से ‘संस्कृति पुरोधा’ सम्मान से नवाजा गया। इस कार्यक्रम में अनेक विद्यालयों के प्रधाानाचार्य, शिक्षक, शिक्षाविद, समाजसेवी एवं अनेक गणमान्य नागरिक और अभिभावक भी उपस्थित थे।
इससे पूर्व भारतीय संस्कृति ज्ञान परीक्षा के संयोजक खैराती लाल सचदेवा ने सभी को स्वागत करते हुए संगोष्ठी के विषय ‘विश्व को भारतीय संस्कृति की देन’ की प्रासंगिकता पर प्रकाश डाला। उनके अनुसार ‘पश्चिमी संस्कृति की चकाचौंध में भ्रमित करते हुए सामान्यजन कको हीन भावना से ग्रस्त करते हुए भारतीय संस्कृति को पिछड़ी बताया जाता है।
चर्चा का श्रीगणेश करते हुए महेश चन्द शर्मा (पूर्व महापौर) ने भाषा और संस्कृति को पूरक बताते हुए पाठ्यक्रम में नैतिक शिक्षा के महत्व को रेखांकित किया। उन्होंने इस बात पर बल दिया कि ‘धर्म और नैतिकता भिन्न हैं पर नैतिकता रहित कोई धर्म नहीं हो सकता।
अपनी माता, मातृभूमि, अपने पूर्वजो का सम्मान नैतिकता है। इस विषय पर मोहन गार्डन विद्यालय के डा सुनील कुमार, राम प्रकाश कौशिक, प्राचार्य आर.के.मिश्रा, दिल्ली प्रांत के बौद्धिक प्रमुख रहे गोविंद राम अग्रवाल, राजपाल शर्मा, रजौकरी विद्यालय के मुकेश पांचाल, झटिकरा के सुशील मिश्रा, विभाग कार्यवाह डा अम्बरीश कुमार, नोएडा के यूएस गुप्ता सहित अनेक प्राचार्यों, शिक्षकों, विद्वानों ने अपने विचार प्रकट करते हुए विषय को महत्वपूर्ण बताया।
महापौर नरेन्द्र चावला ने इस महत्वपूर्ण विषय पर संगोष्ठी के लिए आयोजकों को बधाई देते हुए छात्रों को संस्कार देने के कार्य में लगे सभी कार्यकर्ताओं का अभिनन्दन किया। डा विनोद बब्बर द्वारा संचालित इस कार्यक्रम के अंत में संयोजक श्री सचदेवा ने सभी शिक्षकों, अभिभावकों तथा संस्कृति प्रेमियों के अतिरिक्त अपनी संस्था के सभी कार्यकर्ताओं का आभार व्यक्त करते हुए भविष्य में भी सहयोग की कामना की ।