निर्मला- कश्मीर में सीजफायर पर सेना से ली गई थी सलाह

कि गृह मंत्रालय ने सेना से बातचीत करने के बाद ही जम्मू-कश्मीर में रमज़ान सीज़फायर लागू किया था. उन्होंने कहा कि हम इस फैसले का सम्मान करते हैं. लेकिन आर्मी के पास अब भी जवाबी कार्रवाई करने का विकल्प है. अगर हमें उकसाया तो हम जरूर जवाब देंगे.

पाकिस्तान के मुद्दे पर निर्मला ने कहा कि विदेश मंत्रालय पहले ही कह चुका है कि आतंकवाद और बातचीत साथ-साथ नहीं हो सकता है. ये ही हमारी सरकार का रुख है.

सेना के तीनों अंगों में फंड की कमी को लेकर निर्मला ने कहा कि सेना के पास फंड की कोई कमी नहीं है. उन्होंने कई आंकड़े भी जारी किए. हमने वाइस चीफ को फंड खर्च करने और खरीदारी करने की पूरी पावर दी है.

निर्मला ने जारी किए आंकड़े

2013-14: जारी किए गए 86,740 करोड़, खर्च हुए 79,125 करोड़

2014-15: जारी किए गए 94,587 करोड़, खर्च हुए 81,887 करोड़

2015-16: जारी किए गए 94,588 करोड़, खर्च हुए 79,958 करोड़

2016-17: जारी किए गए 86,304 करोड़, खर्च हुए 86,370 करोड़

2017-18: जारी किए गए 86,488 करोड़, खर्च हुए 90,406 करोड़

निर्मला ने कहा कि रक्षामंत्रालय का काम सीज़फायर का मूल्यांकन करना नहीं है, हमारा काम बॉर्डर की रक्षा करना है, जो हम कर रहे हैं. निर्मला ने कहा कि जम हम आए थे तब सेना के पास गोलाबारूद की कमी थी, लेकिन आज देश में किसी तरह की गोलाबारूद की कमी नहीं है. अब सेना को ही खरीदने की शक्ति दी गई है.

विपक्ष द्वारा राफेल डील पर लगाए जा रहे आरोपों पर उन्होंने कहा कि विपक्ष के सभी आरोप निराधार हैं, इसमें एक पैसे का भी घोटाला नहीं हुआ है. ये दो सरकारों के बीच का एग्रीमेंट है.

छावनी की सड़कों को आम लोगों के लिए खोलने के मुद्दे पर रक्षामंत्री ने कहा कि ये फैसला कई बैठकों के बाद लिया गया था. इसमें कई पार्टी के सांसदों ने हिस्सा लिया था. जिसमें 62 कैंट की सड़कों पर फैसला लिया गया था. उन्होंने बताया कि इसमें कांग्रेस, सीपीआई(M), शिवसेना, टीआरएस समेत अन्य पार्टियां शामिल थी. उन्होंने बताया कि इस मुद्दे पर कुल 9 बैठक हुई थीं. रास्तों को खोलने से पहले वाइस आर्मी चीफ समेत अन्य अधिकारियों से बात की गई थी.