PWD घोटाला : केजरीवाल के रिश्तेदार विनय बंसल गिरफ्तार

दिल्ली के PWD घोटाला मामले में एंटी करप्‍शन ब्‍यूरो (ACB) ने गुरुवार की सुबह अरविंद केजरीवाल के रिश्तेदार विनय बंसल को गिरफ्तार किया है. विनय बंसल केजरीवाल के साढू सुरेंद्र बंसल के बेटे हैं. सुरेंद्र बंसल की पिछले साल मौत हो गई थी. भ्रष्टाचार के इस मामले में 8 मई 2017 को एसीबी में FIR दर्ज की गई थी.

जानकारी के मुताबिक, एसीबी को शिकायत मिली थी कि सुरेंद्र बंसल ने रेणु कंस्ट्रक्शन कंपनी के नाम पर PWD में फर्जीवाड़ा किया था. उन्होंने अनुमानित लागत 4 लाख 90 हजार से 46 फीसदी नीचे पर PWD का टेंडर हासिल किया था. उनके द्वारा कराए गए रोड और सीवर के काम की क्वालिटी भी ठीक नहीं होने की बात कही गई थी.

इस जांच में महादेव कंपनी से सीमेंट और लोहा खरीदने का पता लगा, लेकिन इस कंपनी से कोई कारोबार हुआ ही नहीं था. विनय बंसल अपने पिता सुरेंद्र बंसल के साथ 50 फीसदी का पार्टनर था. इससे पूछा गया कि महादेव कौन सी कंपनी थी. इसका उसने कोई संतोषजनक जवाब नहीं दिया. इसके बाद एसीबी ने उसे गिरफ्तार कर लिया.

इस मामले में पिछले साल 8 मई को सुरेंद्र, विनय बंसल और PWD के कई अधिकारियों के खिलाफ तीन मामले दर्ज किए गए थे. एसीबी ने PWD के छह इंजीनियरों से 13 मई को पूछताछ की थी. जांच में पता चला था कि अलग-अलग कामों के लिए कई बिलों को अलग-अलग कंपनियों द्वारा मंजूरी दी गई थी. कई फर्जी बिल लगाए गए थे.

दिल्ली सरकार ने बताया राजनीतिक साजिश

विनय बंसल की गिरफ्तारी पर दिल्ली सरकार ने एक नोट जारी कर इसे राजनीतिक साजिश बताया है. नोट में लिखा है कि गुरुवार को एसीबी ने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के रिश्तेदार विनय बंसल को गिरफ्तार कर लिया. इस मामले के तथ्यों से यह स्पष्ट हो जाएगा कि गिरफ्तारी पूरी तरह से राजनीति से प्रेरित है.

विनय बंसल को बताया निष्क्रिय भागीदार

विनय के पिता सुरेंद्र बंसल की कंपनी कई सालों से पीडब्ल्यूडी के साथ काम कर रही थी. विनय कंपनी में एक निष्क्रिय भागीदार हैं. उनकी कंपनी को पीडब्ल्यूडी द्वारा एक नाली बनाने का काम दिया गया था. नाली कंपनी द्वारा बनाई गई थी. आईआईटी रुड़की द्वारा निर्माण का तीसरा पक्ष प्रमाणीकरण किया गया था. पीडब्ल्यूडी ने पूरा प्रमाण पत्र भी सौंप दिया.

‘साजिश के तहत दर्ज हुई एफआईआर’

इसके बाद साल 2017 में कंपनी के खिलाफ राजनीतिक साजिश के तहत एक एफआईआर दर्ज की गई थी, जिसमें नाली के निर्माण के काम को निष्पादित नहीं किया गया था. एफआईआर के बाद एसीबी ने श्रीराम लैब्स के माध्यम से काम की जांच की, जिसने काम को क्लीन चिट दी. पीडब्ल्यूडी का स्टैंड भी सुसंगत था कि काम पूरा हो गया था.

‘केजरीवाल को बदनाम करने की साजिश’

उसी साल सुरेंद्र बंसल का निधन हो गया. उनके बाद इस मामले में कोई कार्रवाई नहीं हुई. लेकिन अचानक इस मामले में एसीबी ने विनय बंसल को गिरफ्तार कर लिया. जबकि परियोजना को एक प्रतिष्ठित एजेंसी और पीडब्ल्यूडी विभाग से क्लीन चिट मिल गयी. मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के नाम को बदनाम करने के लिए एसीबी का राजनीतिक उपयोग किया जा रहा है.

जानिए, क्या है पूरा मामला?

रोड एंटी करप्शन ऑर्गेनाइजेशन नामक एक एनजीओ ने आरोप लगाया था कि अरविंद केजरीवाल ने अपने साढ़ू सुरेंद्र कुमार बंसल को 2014 से 2016 के बीच कई निर्माण कार्यों का सरकारी ठेका दिलाया था. इसमें कई फर्जी कंपनी बनाकर करोड़ों का काम दिखाया गया और फिर कागजों पर ही काम दिखाकर पैसे हड़प लिए गए.

‘फर्जी कंपनी दिखाकर गड़बड़ी’

इसी एनजीओ से जुड़े पत्रकार विप्लव अवस्थी ने बताया था कि हमारी ओर से 150 से ज्यादा आरटीआई डाली गईं, लेकिन संबंधित विभागों से कोई जानकारी नहीं दी गई. आरोप है कि अरविंद केजरीवाल के साढ़ू सुरेंद्र बंसल ने रेणू कंस्ट्रक्शन के नाम से कंपनी बनाई और फिर महादेव इम्पेक्स से सामान खरीदा हुआ दिखाया.

‘सिर्फ कागज पर हुआ कारोबार’

महादेव इम्पेक्स ने सेल टैक्स विभाग को दी जानकारी में दिखाया कि कंपनी ने ना तो कोई कारोबार किया, ना ही किसी से माल लिया और ना ही किसी को आगे माल बेचा है. यानी नाले बनाने से लेकर कंस्ट्रक्शन तक का काम सिर्फ कागजों पर हुआ और पैसा सरकार के फंड से दिया गया. एनजीओ ने केजरीवाल सरकार पर नियमों में गड़बड़ी का भी आरोप लगाया था.