भारत की ई-कॉमर्स कंपनी फ्लिपकार्ट में 77 फीसदी हिस्सेदारी खरीदकर वॉलमार्ट ने अपने इरादे साफ कर दिए हैं, हालांकि इसके संकेत तभी मिल गए थे, जब वॉलमार्ट ने ब्रिटेन में अपना बिजनेस स्थानीय प्रतिद्वंदी सेंसबरी को 7.3 बिलियन पाउंड्स ( तकरीबन 665 अरब रुपये) में बेच दिया. इस डील के साथ ही दुनिया के सबसे रिटेलर ने साफ कर दिया कि उसका फोकस उन देशों में ऑनलाइन सेल्स पर है, जहां बिजनेस बढ़ने के ज्यादा मौके और कम प्रतिस्पर्धा है.
एपी की एक रिपोर्ट के मुताबिक सेंसबरी और वॉलमार्ट की डील के बाद ब्रिटेन के सुपरमार्केट इंडस्ट्री का बदलना तय है. क्योंकि ये करार नंबर 2 और नंबर 3 पर कायम दो कंपनियों के बीच हुआ है. इन दोनों के पास 31.4 प्रतिशत मार्केट है, जो इन्हें मौजूदा लीडर टेस्को से आगे पहुंचा देती है.
बता दें कि पिछले दो दशक से वॉलमार्ट यूरोप में लगातार चुनौतियों का सामना कर रही थी. अमेरिका में दिग्गज कंपनी होने के बावजूद यूरोप के इंटरनेशनल ऑपरेशन में वॉलमार्ट की एंट्री आसान नहीं रही. साल 1999 में वॉलमार्ट ने इंग्लैंड में रिटेल कंपनी एएसडीए में निवेश के साथ कदम रखा, लेकिन बदलते समय के साथ वॉलमार्ट की रणनीति बदलती दिख रही है.
पिछले कुछ सालों में वॉलमार्ट ने बहुत कम स्टोर खोले हैं, लेकिन इंटरनेट बिजनेस पर बहुत ज्यादा फोकस किया है. मौजूदा समय में लोग ज्यादा से ज्यादा ऑनलाइन शॉपिंग कर रहे हैं और इनमें अमेजन जैसी ई-कॉमर्स कंपनियां लीड कर रही हैं.
कंपनी का फोकस अभी अमेरिका में ऑर्डर के दिन ही डिलीवरी पर है, जबकि उसका मुख्य फोकस चीन और भारत जैसे देशों पर है. इसी के तहत वॉलमार्ट ने फ्लिपकार्ट में 77 फीसदी हिस्सेदारी खरीदी है.
वॉलमार्ट के इंटरनेशनल बिजनेस के सीईओ ज्यूडिथ मैक्केना ने हफ्ते भर पहले दिए अपने बयान में कहा कि सेंसबरी के साथ डील उस रणनीति के तहत है जिसके जरिए कंपनी की कोशिश इंटरनेशनल ग्रोथ को बढ़ाने के लिए नए रास्ते तलाश रही है. जाहिर है कि यूरोप में की गई अपनी गलतियों को वॉलमार्ट दोहराना नहीं चाहती.
अमेरिका के बाहर 27 देशों में 55 बैनर्स के साथ बिजनेस करने वाली वॉलमार्ट ने विदेशों से सस्ते उत्पादों के आयात के नीति के चलते कई झटके भी खाए हैं. 2006 में कंपनी को जर्मनी और दक्षिण कोरिया से अपना बिजनेस समेटना पड़ा था, जबकि 2016 में इसने ब्राजील के अपने 10 प्रतिशत स्टोर्स को बंद कर दिया. कई विदेशी बाजारों में वॉलमार्ट स्थानीय सप्लायर्स से कम दाम चीजें खरीदने के लेवल पर मोलभाव करने में असफल रही, जैसाकि उसने अमेरिका में किया.
हालांकि विभिन्न देशों में बिजनेस करते हुए वॉलमार्ट ने अपनी रणनीति बदली है और जब उसे लगा कि वो अकेले नहीं चल सकती. स्थानीय साझेदारों के साथ डील किया.
चीन में 700 मिलियन से ज्यादा लोग ऑनलाइन हैं और उसे स्थानीय कंपनी अलीबाबा ग्रुप से तगड़ी प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ा है. 1996 में चीन में अपना पहला स्टोर खोलने वाली कंपनी के पास अभी सिर्फ 400 से ज्यादा स्टोर हैं और इसने अलीबाबा की प्रतिद्वंदी जेडी.कॉम के साथ रणनीतिक साझेदारी की है, जो डिलिवरी सर्विस में उसकी मदद करती है. वॉलमार्ट के पास जेडी.कॉम में 12 प्रतिशत की हिस्सेदारी है.
अब देखना ये है कि फ्लिपकार्ट में एक बड़ी हिस्सेदारी खरीदने के बाद वॉलमार्ट यहां अमेजन जैसी बड़ी ई-कॉमर्स कंपनी की चुनौती से कैसे निपटती है.