CJI के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव को राज्यसभा सभापति वेंकैया नायडू ने किया खारिज

राज्यसभा के सभापति वेंकैया नायडू ने सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा के खिलाफ महाभियोग के प्रस्ताव को खारिज कर दिया है. कांग्रेस की अगुवाई में 7 विपक्षी पार्टियों ने राज्यसभा सभापति के सामने ये प्रस्ताव पेश किया था, लेकिन कानूनी सलाह के बाद वेंकैया नायडू ने इस प्रस्ताव को खारिज कर दिया है.

वेंकैया नायडू ने अपना फैसला सुनाते हुए कहा कि चीफ जस्टिस के खिलाफ लाया गया ये महाभियोग ना ही उचित है और ना ही अपेक्षित है. इस प्रकार का प्रस्ताव लाते हुए हर पहलू को ध्यान में रखना चाहिए. इस खत पर सभी कानूनी सलाह लेने के बाद ही मैं इस प्रस्ताव को खारिज करता हूं.

उपराष्ट्रपति के इस फैसले के बाद सभी कांग्रेस नेताओं को इसपर बयानबाजी करने से रोका गया है. कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल इस मुद्दे पर दोपहर 1.30 बजे प्रेस कॉन्फ्रेंस करेंगे. कांग्रेस का कहना है कि वो इसके लिए पहले से तैयार थी, उसके लिए कोई झटका नहीं है.

गौरतलब है कि महाभियोग के प्रस्ताव के बाद से ही सभी की नज़रें वेंकैया नायडू पर टिकी थीं. उन्होंने इसको लेकर अटॉर्नी जनरल के. के. वेणुगोपाल सहित संविधानविदों और कानूनी विशेषज्ञों के साथ प्रस्ताव पर विचार-विमर्श करने के बाद ये फैसला लिया. राज्यसभा सचिवालय के सूत्रों के मुताबिक नायडू ने याचिका को स्वीकारने अथवा ठुकराने को लेकर संविधान विशेषज्ञ सुभाष कश्यप, पूर्व विधि सचिव पी. के. मल्होत्रा सहित अन्य विशेषज्ञों से कानूनी राय ली.

बता दें कि शुक्रवार को कांग्रेस सहित 7 विपक्षी दलों ने राज्यसभा के सभापति नायडू को चीफ जस्टिस मिश्रा के खिलाफ कदाचार का आरोप लगाते हुए उन्हें पद से हटाने की प्रक्रिया शुरू करने के लिए नोटिस दिया था.

संसदीय नियमों का उल्लंघन

राज्यसभा के सभापति को नोटिस सौंपने के बाद विपक्षी दलों ने संवाददाता सम्मेलन को संबोधित किया था. नोटिस की समीक्षा करते हुए राज्यसभा के अधिकारियों ने जिक्र किया कि सभापति की ओर से नोटिस को स्वीकार करने से पहले इसे सार्वजनिक करना संसदीय नियमों का उल्लंघन है.

महाभियोग पर कांग्रेस-बीजेपी में आरोप-प्रत्यारोप

सीजेआई के खिलाफ प्रस्ताव लाने के कारण कांग्रेस और बीजेपी के बीच आरोप-प्रत्यारोप शुरू हो गए हैं. केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने सीजेआई दीपक मिश्रा पर महाभियोग चलाने की मांग को लेकर राज्यसभा के सभापति के समक्ष नोटिस लाने को महामूर्खता बताया. उन्होंने कहा कि ऐसा प्रस्ताव लाना कांग्रेस की महामूर्खता है, जैसा कि कहते हैं, ‘विनाश काले विपरीत बुद्धि’, उसी तरह यह कांग्रेस पार्टी की ‘विनाश काले पप्पू बुद्धि’ है.

न्यायपालिका के सर्वोच्च पद के अपमान का आरोप

कांग्रेस ने कथित कदाचार के आरोपों से मुक्त होने तक प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा के न्यायिक और प्रशासनिक कामकाज से खुद को अलग कर लेने की मांग की है. कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा है कि बीजेपी प्रधान न्यायाधीश का बचाव कर न्यायपालिका के सर्वोच्च पद का अपमान कर रही है और इस मामले का राजनीतिकरण कर रही है.

इन पांच आधारों पर लाया गया था महाभियोग

कांग्रेस पार्टी ने महाभियोग प्रस्ताव लाने के पीछे 5 कारण बताए थे. कपिल सिब्बल ने मीडिया से बात करते हुए कहा था कि न्यायपालिका और लोकंतत्र की रक्षा के लिए ये जरूरी था.

1. मुख्य न्यायाधीश के पद के अनुरुप आचरण ना होना, प्रसाद एजुकेशन ट्रस्ट में फायदा उठाने का आरोप. इसमें मुख्य न्यायाधीश का नाम आने के बाद सघन जांच की जरूरत.

2. प्रसाद ऐजुकेशन ट्रस्ट का सामना जब CJI के सामने आया तो उन्होंने CJI ने न्यायिक और प्रशासनिक प्रक्रिया को किनारे किया.

3. बैक डेटिंग का आरोप.

4. जमीन का अधिग्रहण करना, फर्जी एफिडेविट लगाना और सुप्रीम कोर्ट जज बनने के बाद 2013 में जमीन को सरेंडर करना.

5. कई संवेदनशील मामलों को चुनिंदा बेंच को देना.