SC/ST एक्ट पर आदेश, जिग्नेश भड़के

एससी-एसटी कानून में सुप्रीम कोर्ट ने कुछ बदलावों का आदेश दिया था. शीर्ष कोर्ट के इस आदेश के बाद से ही देशभर में इसका विरोध किया जा रहा था. विपक्ष लगातार इस मुद्दे पर केंद्र को घेर रहा था, लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने साफ कहा था कि केंद्र सरकार दलितों की भलाई का काम कर रही है. लेकिन केंद्र और पीएम मोदी के दावे से उलट बीजेपी शासित कुछ राज्यों ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर काम करना शुरू कर दिया है.

अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस की एक खबर के मुताबिक छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश और राजस्थान की सरकार ने आधिकारिक तौर पर राज्य पुलिस को सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन करने का आदेश जारी कर दिया है. इन राज्यों के अलावा हिमाचल प्रदेश ने भी अनौपचारिक तौर पर इस आदेश को जारी कर दिया है, जल्द ही औपचारिक आदेश भी जारी कर दिया जाएगा.

मेवाणी ने साधा निशाना

गुजरात के दलित नेता जिग्नेश मेवाणी ने भी इस मुद्दे पर मोदी सरकार पर निशाना साधा है. उन्होंने कहा कि ये निर्णय दिखाता है कि पीएम मोदी के मुंह पर बाबा साहेब का नाम है और दिल में मनु है. 14 अप्रैल को जो सेलिब्रेशन किया गया है वह सिर्फ राजनीतिक था. उन्होंने कहा कि पहले दलितों को चांटा मारा और बाबा साहेब की तारीफ कर मरहम लगाने की कोशिश की.गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद ही दलित संगठनों ने दो अप्रैल को भारत बंद बुलाया था. इस भारत बंद में काफी हिंसा हुई थी और कुछ लोगों की मौत भी हुई थी. इसके अलावा भी लगातार विपक्ष ने भी मोदी सरकार को घेरा था. सरकार इस मसले को लेकर सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका भी डाल चुकी है.

आपको बता दें कि लगातार इस मुद्दे पर हो रहे विरोध के बीच प्रधानमंत्री ने कहा था कि आपके हक की चिंता करना सरकार का दायित्व है. मोदी ने कांग्रेस पर जमकर निशाना साधा था. उन्होंने कहा कि कांग्रेस सिर्फ भ्रम फैला सकती है, इस कोशिश की एक तस्वीर इस महीने की 2 तारीख को हम देख चुके हैं. कभी आरक्षण खत्म किए जाने की अफवाह फैलाना, कभी दलितों के अत्याचार से जुड़े कानून को खत्म किए जाने की अफवाह फैलाना, भाई से भाई को लड़ाने में कांग्रेस कोई कोर-कसर नहीं छोड़ रही.

गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक निर्णय में एससी/एसटी एक्ट के तहत दर्ज मामले में तुरंत गिरफ्तारी पर रोक लगाने को कहा था. जिसके बाद दलित संगठनों और नेताओं ने इसका विरोध करना शुरू कर दिया था. पुनर्विचार याचिका की सुनवाई में भी कोर्ट ने कहा था कि जो लोग विरोध कर रहे हैं उन्होंने हमारा आदेश नहीं पढ़ा है. शीर्ष अदालत ने अपने फैसले पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था.