गुरुग्राम के एक सिविल हॉस्पिटल के इमरजेंसी वार्ड के बाहर एक 25 साल की महिला को खुले में बच्ची को जन्म देना पड़ा . अस्पताल ने आधार कार्ड की कॉपी नहीं होने की वजह से महिला का अल्ट्रासाउंड टेस्ट करने से इनकार कर दिया.
एचटी में छपी रिपोर्ट के मुताबिक, मुन्नी नाम की महिला के पास आधार नंबर था, लेकिन हॉस्पिटल ने उससे आधार कार्ड की कॉपी की ही मांग की. मुन्नी के पति बबलू ने आरोप लगाया है कि आधार कार्ड की कॉपी नहीं होने की वजह से डॉक्टर्स ने उसकी पत्नी को एडमिट नहीं किया.
आखिरकार बिना किसी मेडिकल सहायता के मुन्नी ने हॉस्पिटल के बाहर बेटी को जन्म दिया. पति-पत्नी गुड़गांव के शीतला कॉलोनी में रहते हैं. बबलू दैनिक मजदूर है. उसने हॉस्पिटल को मुन्नी का वोटर आईडी कार्ड दिया था, लेकिन स्टाफ ने आधार की मांग की. कपल का पहले से 2 साल का बेटा है.
रिपोर्ट के मुताबिक, 9 महीने की प्रेग्नेंट महिला करीब दो घंटे तक दर्द में ही हॉस्पिटल के इमरजेंसी गेट पर खड़ी रही. बच्चे के जन्म होने के समय वहां खड़े लोगों ने हॉस्पिटल के खिलाफ आवाज उठाई तब जाकर उसे वार्ड में भर्ती किया गया
इमरजेंसी वार्ड के पास लोगों की भीड़ जमा हो गई थी और एक पीसीआर वैन भी वहां पहुंचा था, लेकिन कपल ने शिकायत दर्ज नहीं कराई. मुन्नी ने कहा कि वह किसी को दोष नहीं देना चाहती है. वह अब घर जाना चाहती है. रि
पोर्ट के मुताबिक, गुड़गांव के प्रिंसिपल मेडिकल ऑफिसर प्रदीप शर्मा ने हॉस्पिटल स्टाफ द्वारा लापरवाही की बात स्वीकार की है और एक डॉक्टर और एक नर्स को सस्पेंड कर दिया है.