शासन संचालन में उदाहरणीय परिवर्तन

देश ने नरेन्‍द्र मोदी सरकार 3 साल के कार्यकाल में शासन संचालन में उदाहरणीय परिवर्तन देखा है। नीतियों के साथ सुधारकारी निर्णयों से विकास के लिए देश की मनोदशा में बदलाव हुआ है। प्रधानमंत्री मोदी ने देश की अर्थव्‍यवस्‍था को नीतिगत शिथिलता की अवस्‍था से बाहर निकालने के लिए अनेक सुधार कार्यक्रम प्रारंभ किया।

      एनडीए सरकार को विरासत में विकास की कम वृद्धि दर उच्‍च मुद्रा स्‍फीति और उदासीन शासन व्‍यवस्‍था मिली थी। निर्यात में गिरावट आने के साथ-साथ औद्योगिक उत्‍पान में ठहराव आ गया।

      प्रधानमंत्री ने मेक इन इंडिया, स्‍टार्ट अप इंडिया, कौशल विकास, मुद्रा, प्रधानमंत्री जन-धन योजना, जेएएम तथा डीबीटी जैसे कार्यक्रमों की घोषणा करके विकास की दिशा निर्धारित की। इन कार्यक्रमों को समर्थन देने के लिए उन्‍होंने आवश्‍यक नीतियों और सुधारों को लागू किया। काले धन को बाहर निकालने के लिए विमुद्रीकरण और माफी योजना से कुछ हद तक अर्थव्‍यवस्‍था की साफ-सफाई में मदद मिली। पुराने योजना आयोग के स्थान पर नीति आयोग का गठन युवा देश और न्‍यू इंडिया की मांगों और आकांक्षाओं के अनुरूप है।

      स्‍वतंत्रता के बाद उठाये जाने वाले कठोर ऐतिहासिक प्रत्‍यक्ष कर सुधार 30 जून और 01 जुलाई, 2017 की मध्‍य रात्रि को वस्‍तु और सेवाकर (जीएसटी) लागू करने के साथ शुरू हुआ। जीएसटी व्‍यवस्‍था से देशवासी ‘एक देश, एक कर’ प्रशासन के अंतर्गत आ गए। सुधार का उद्देश्‍य कर लगाने में पारदर्शिता लाने के साथ-साथ उपभोक्ताओं,कारोबारियों और उद्योगों के हितों की रक्षा करना है।

      जम्‍मू–कश्‍मीर सहित देश के सभी राज्‍यों ने प्रत्‍यक्ष कर सुधार के निर्णय का समर्थन किया। इस निर्णय की सराहना विश्‍व के अनेक देशों ने की। जीएसटी लागू होने के बाद से सकारात्‍मक रूझान और देश के अच्‍छे आर्थिक भविष्‍य का संकेत मिला है।

      मोदी सरकार को प्रत्‍यक्ष लाभ अंतरण (डीबीटी) नीति लागू करने में भारी सफलता मिली है। रसोई गैस के लिए प्रत्‍यक्ष लाभ अंतरण लागू किया जाना विश्‍व में सबसे बड़ी डीबीटी योजना है। डीबीटी योजना पहल के अंतर्गत लगभग 15 करोड़ रसोई गैस उपभोक्‍ता आए हैं। इसे गिनिज बुक ऑफ वर्ल्‍ड रिकॉड में दर्ज किया गया है। डीबीटी के कारण चोरी होने वाले 56 हजार करोड़ रुपये के धन की बचत हुई है। एनडीए सरकार ने अब पायलट आधार पर उर्वरक और मिट्टी तेल सब्‍सिडी के लिए डीबीटी लागू करने का प्रस्‍ताव किया है।

      पूर्वप्रभाव से कर लगाने की यूपीए सरकार की नीति तथा विभिन्‍न क्षेत्रों को निवेश के लिए खोलने में शिथिलता के कारण देश में विदेशी प्रत्‍यक्ष निवेश (एफडीआई) के लिए माहौल खराब हुआ। सत्‍ता में आने के तुरंत बाद एनडीए सरकार ने विदेश निवेशकों की भावनाओं को समझते हुए घोषणा की कि पूर्वप्रभाव से कर लगाने की नीति सम्‍बंधित मामलों के अनुसार तय होगी। एनडीए सरकार ने विदेशी प्रत्‍यक्ष निवेश नीति को उदार बनाया और बीमा, रेल, रक्षा तथा खुदरा बाजार जैसे क्षेत्रों में विदेशी निवेश आकर्षित करने के लिए अनेक निर्णयों की घोषणा की।

      केंद्रीय वित्‍त मंत्री अरुण जेटली ने अपने बजट भाषण में घोषणा की कि बीमा क्षेत्र में 49 प्रतिशत तक विदेशी प्रत्‍यक्ष निवेश की अनुमति होगी। उन्‍होंने रक्षा क्षेत्र में 50 प्रतिशत से अधिक विदेशी प्रत्‍यक्ष निवेश की अनुमति दी। इतना ही नहीं 27.08.2014 को जारी डीआईपीपी प्रेस नोट 8 (2014) के माध्‍यम से रेल क्षेत्र में 100 फीसदी विदेशी प्रत्‍यक्ष निवेश की अनुमति दी गई। इसी प्रकार डीआईपीपी प्रेस नोट 12 के माध्‍यम से निर्माण क्षेत्र में विदेशी प्रत्‍यक्ष निवेश पर लगे सभी प्रतिबंधों को समाप्‍त कर दिया गया।

      एक ही ब्रांड के खुदरा कारोबार में विदेशी निवेश पर प्रतिबंध को समाप्‍त करते हुए केंद्र ने सरकारी स्‍वीकृति मार्ग के जरिए 100 प्रतिशत विदेशी प्रत्‍यक्ष निवेश की अनुमति दी। यह अनुमति इस शर्त के साथ दी गई कि पहले 5 वर्षों में बेचा जाने वाला 30 प्रतिशत माल भारत में तैयार किया जाना चाहिए। अत्‍याधुनिक टैक्‍नोलॉजी के लिए यह अवधि तीन वर्ष रखी गई। सरकार ने प्रत्‍यक्ष खुदरा ई-कॉमर्स क्षेत्र में 50 प्रतिशत से अधिक विदेशी निवेश की अनुमति इस शर्त के साथ दी कि जब तक माल एक ही ब्रांड के अंतर्गत नहीं बेचे जाते और स्‍थानीय आवश्‍यकताओं के अनुरूप नहीं होते तब तक बिजनेस टू कंज्‍यूमर ई-कॉमर्स में विदेशी प्रत्‍यक्ष निवेश की अनुमति नहीं होगी।

      एनडीए सरकार ने तेजी से ईंधन मूल्य सुधार का काम किया है। पेट्रोल की कीमतों के विनियमन के बाद से 18 अक्‍टूबर, 2014 से डीजल की कीमतें भी नियमन दायरे से बाहर कर दी गईं यही कदम प्राकृतिक गैस के मूल्‍य के बारे में भी उठाया गया।

      विकास में खनन क्षेत्र की भूमिका के महत्‍व को स्‍वीकार करते हुए मोदी सरकार ने इस क्षेत्र के विकास के लिए कानूनों और नीतियों को लागू किया। एमएमडीआर अधिनियम में संशोधन किया गया ताकि प्रमुख गैर कोयला खनिजों को पट्टे पर देने में पारदर्शिता लाई जा सके। सरकार ने 30 मार्च, 2015 को कोयला खान (विशेष प्रावधान) अधिनियम, 2015 द्वारा कोयला क्षेत्र को निजी और विदेशी निवेश के लिए खोल दिया। खनन क्षेत्र में पारदर्शी ई-नीलामी से सरकार को बड़ी राजस्‍व राशि की प्राप्‍त हुई है।

      इसी तरह दूरसंचार स्‍पेक्‍ट्रम में पारदर्शिता लाने के लिए परिवर्तन किए गए। भारत ने दूरसंचार क्षेत्र में अनेक स्‍वतंत्र और निष्‍पक्ष नीलामी की है और इसे बारे में किसी तरह की शिकायत नहीं मिली।

      कारोबारी सहजता के हिस्‍से के रूप में सरकार ने औद्योगिक लाइसेंसों की समाप्‍ति की तिथि बढ़ा दी है। 20 दिसम्‍बर, 2014 को डीआईपीपी ने औद्योगिक लाइसेंस की अधिकतम वैधता अवधि 2 वर्ष से बढ़कार 7 वर्ष करने का आदेश जारी किया। सरकार ने 20 अप्रैल 2015 को क्षेत्रवार निवेश सीमा दूर करते हुए सुरक्षित सूची से अंतिम 20 उत्‍पादों को हटा दिया।

      सरकार ने हाल में दिवालियापन कानून लागू किया है ताकि कम्‍पनियां आसानी से तरलता की ओर बढ़ सकें।

      मोदी सरकार के एजेंडे में अनेक सुधार कार्यक्रम हैं। अब सरकार की सर्वोच्‍च प्राथमिकता सब्‍सिडी खर्च में सुधार करना है। सुधार दीर्घकालिक और निरंतर प्रक्रिया है। शुरू किए गए सुधार कार्यक्रम का असली लाभ अगले दो वर्षों में देखने को मिल सकता है।