बिहार के लिए केंद्रीय जल संसाधन मंत्री सुश्री उमा भारती की विभिन्न घोषणाएं

केन्द्रीय जल संसाधन, नदी विकास एवं गंगा संरक्षण मंत्री सुश्री उमा भारती ने आज दिनांक 02 जून, 2017 को पटना में  पत्रकार वार्ता करते हुए सिंचाई, गंगा एवं भू-जल तथा नदी प्रबन्धन पर अपने विचार व्यक्त किए, जिनके बिन्दु इस प्रकार हैं-

 

बिहार में गंगा पर हुई सिल्ट के लिए एक्सपर्ट की कमेटी बनाई जा चुकी है तथा उसे रिपोर्ट को स्वीकृत करने से पहले जल संसाधन मंत्रालय अपने सचिव को 5 जून को मुख्यमंत्री बिहार के पास भेजेगा तथा मुख्यमंत्री बिहार के अनुरोध के अनुसार विषेषज्ञों का दल जल संसाधन सचिव के नेतृत्व में पटना से फरक्का तक स्थल निरीक्षण करेगा।

 

यह समिति एक वर्ष पहले ही बनाई जा चुकी है। भारत सरकार का यह पहला प्रयास है गंगा को गाद(सिल्ट) मुक्त करने की योजना, गंगा पर लागू करने के बाद अन्य नदियों पर भी लागू की जा सकती है। अंतरराष्ट्रीय स्तर के तकनीकी विषेषज्ञ इस समिति में शामिल हैं तथा इस रिपोर्ट को लागू करते समय सभी को भागीदारी करनी पड़ेगी जिसमें केन्द्र सरकार के कुछ विभाग तथा राज्य सरकार को मिलकर सामंजस्य से यह काम करना होगा।

 

फरक्का बैराज के बारे में माननीय मुख्यमंत्री बिहार की आशंका के बारे में प्रश्न के उत्तर में जल संसाधान मंत्री ने कहा कि विषेषज्ञों की राय ही इसमें अंतिम होगी।

 

2018 तक गंगा को निर्मल एवं सिल्ट से मुक्त करने के संबंध में एक प्रश्न के उत्तर में केन्द्रीय मंत्री जी ने बताया कि “गंगा की निर्मलता के लिए मैंने 10 वर्ष कहे हैं जिसके चरण मैंने इस प्रकार से हमेशा कहे हैं- 2 साल में निर्मलता के फेज-1 का प्रारंभ व इसके 2 साल बाद निर्मलता के फेस-1 का परिणाम तथा अविरलता एवं निर्मलता दोनों के लिए आगे चार या पांच साल और लगेगा। इस तरह से मिलाकर के दस वर्ष यही मैंने हमेशा कहा है।”

 

जहां तक गंगा को गाद मुक्त करने की बात है यह सिर्फ जल संसाधन मंत्रालय का काम नहीं है इसको अंतर्देशीय जलमार्ग विभाग, पर्यावरण मंत्रालय, राज्य सरकारें तथा जल संसाधन मंत्रालय मिलकर करेंगे इसकी समय-सीमा नहीं बताई जा सकती।

 

नमामि गंगे के अंतर्गत कार्यक्रम

 

पुराना कार्य  –

 

बेगुसराय, मुंगेर, बक्सर और हाजीपुर में – एसटीपी (सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट) और सीवर लाइन का निर्माण हो रहा है।

 

इसकी पूर्व में कुल लागत – 442 करोड़ थी जिसमें से केंद्र सरकार का हिस्सा 70 फीसदी यानी की लगभग 309 करोड़ रुपए बिहार सरकार को दिए गए लेकिन राज्य सरकार किसी भी प्रोजेक्ट को समय पर पूरा नहीं कर पाई है।

 

ये सब कार्य एनजीआरबीए प्रोग्राम के तहत स्वीकृत किेए गए थे। इन प्रोजेक्टों में देरी होने से लागत बढ़ गई है। अब हम इन सभी प्रोजेक्टों को बढ़ी हुई लागत के साथ नामामि गंगे परियोजना के अंतर्गत पुन: संशोधित लागत (लगभग 600 करोड़) पर ला रहे हैं।

 

नए स्वीकृत प्रोजेक्ट

 

पटना के बेउर, सैदपुर, करमलीचक और पहाड़ी में लगभग 1834 करोड़ रुपए की लागत के एसटीपी तथा सीवरेज लाइन का कार्य निर्माण के विभिन्न स्टेजों में हैं। इसमें 200 एसएलडी का एसटीपी और लगभग 700 किलोमीटर का सीवर नेटवर्क शामिल है। इन परियोजनाओं के लिए धन का आवंटन किया जा चुका है। इसका क्रियान्वयन राज्य सरकार द्वारा किया जा रहा है। इन सभी परियोजनाओं का समय पर पूरा होना निर्मल गंगा के लक्ष्य के प्राप्ति के लिए अति आवश्यक है।

 

अन्य नए प्रोजेक्ट

 

उपरोक्त प्रोजेक्टों के अतिरिक्त बिहार के अन्य शहरों के लिए लगभग 2526 करोड़ रुपए की लागत से 319 एमएलडी (मिलियन लीटर पर डे) से सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट का निर्माण राज्य सरकार द्वारा प्रस्तावित किया गया है, जिसका तकनीकी मूल्यांकण किया जा चुका है एवं धन आवंटन अंतिम चरणों में है। जिसका ब्योरा निम्नलिखित है –

 

सुल्तानगंज – 12 एमएलडी का एसटीपी – 55 करोड़

मोकामा – 9 एमएलडी का एसटीपी – 61 करोड़

दीधा – 128 एमएलडी का एसटीपी – 1000 करोड़

कंकड़बाग – 60 एमएलडी का एसटीपी – 600 करोड़

बाढ़ – 11 एमएलडी का एसटीपी – 61 करोड़

मुंगेर – 27 एमएलडी का एसटीपी – 345 करोड़

भागलपुर – 72 एमएलडी का एसटीपी – 404 करोड़

 

घाटों व शवदाहगृहों का निर्माण व पुर्णोधार

 

लगभग 135 करोड़ की लागत से 23 घाटों व 5 शवदाहग्रहों का निर्माण किया जा रहा है। यह घाट हाजीपुर, बक्सर, जमालपुर, मुंगेर और सोनपुर में एनबीसीसी द्वारा किया जा रहा है।

 

रिवर फ्रंट डेवलपमेंट

 

पटना में रिवर फ्रंट डेवलपमेंट का निर्माण कार्य 243.27 करोड़ की लागत से किए जा रहे हैं। इसके तहत 20 घाट बनने थें। इनमें से 12 पर कार्य पूरा हो चुका है और 8 पर कार्य जारी है। यह परियोजना भी देरी से चल रही है। राज्य सरकार इस प्रोजेक्ट को शीघ्र पूरा करे ताकि पटना के लोग इस प्रोजेक्ट से लाभान्वित हो सके।

 

फॉरेस्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट

 

फॉरेस्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट, देहरादूरन द्वारा प्रस्तावित डीपीआर के अंतर्गत गंगा के किनारे जिलों में वृक्षारोपण कार्य वन विभाग द्वारा किया जा रहा है जिसमें 6 करोड़ की राशी रिलीज की जा चुकी है। तथा 2017-18 में लगभग 19 करोड़ बजट धन का आवंटन किया गया है।

 

नेशनल हाइड्रोलॉजी प्रोजेक्ट

यह प्रोजेक्ट 2016-17 से शुरू होकर 2023-24 तक चलेगा। इस योजना में बिहार को सतही जल के अंतर्गत 105 करोड़ और भूजल के अंतर्गत 30 करोड़, कुल 135 करोड़ दिए जा रहे हैं।

 

प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना

 

पुनपुन बैराज प्रोजेक्ट

 

इस प्रोजेक्ट को 2018-19 में पूरा होना है। इस प्रोजेक्ट के लिए लगभग 46.65 करोड़ केंद्र दे चुकी है। राज्य को इसे पूरा करने में परेशानी आ रही है।

 

दुर्गावती रिजर्वेयर प्रोजेक्ट

 

इस प्रोजेक्ट को 2018-19 में पूरा कर लिया जाएगा। इसके लिए केंद्र सरकार ने 103.84 करोड़ रुपए राज्य को दिए हैं। अलग से कमांड एरिया डेवलपमेंट के लिए लगभग 17 करोड़ रिलीज किए हैं।

 

नई योजनाहर खेत में पानीभूजल विकास

 

बिहार के लिए 700 करोड़

केंद्रीय अंश – 420 करोड़

राज्य अंश – 280 करोड़

 

इस योजना से कुल 66,000 हेक्टेयर में इरीगेशन पोटेंशियल बनेगा।

 

कुल 22,000 नलकूप बनाए जाएंगे जिसमें 5000 सोलर ऊर्जा से संचालित होंगी।

 

इसमें बिहार के 6 जिले प्रस्तावित हैं – दरभंगा, जमुई, खगड़िया, पूर्णिया, समस्तीपुर, मधेपुरा

 

सेंट्रल ग्राउंड वाटर बोर्ड के प्रोजेक्ट

 

28 आर्सेनिक फ्री वेल बनाकर दिए गए हैं। जिले – भोजपुर, बक्सर, भागलपुर, दरभंगा, पटना, समस्तीपुर, सारन और बेगुसराय।

 

10 करोड़ की लागत से अतिरिक्त 45 आर्सेनिक फ्री वेल बनाने का कार्य एक माह में शुरू होगा जो कि मार्च 2018 तक बिहार सरकार को उपलब्ध करा दिया जाएगा।

 

अबतक बिहार में लगभग 9000 स्कवायर किलोमीटर की एक्वूफर मैपिंग की जा चुकी है। इससे जमीन के अंदर उपलब्ध भूजल की जानकारी मिलेगी और आगे के कर्यक्रमों के क्रियान्वयन में मदद मिलेगी। इस वर्ष 5000 अतिरिक्त क्षेत्रफल की एक्वीफर मैपिंग की जाएगी।