गुड़गांव: प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत एक अहम और ऐतिहासिक कदम उठाते हुए श्रीमती शुशीला चिंतामणि एवं अन्य मामले में कर्नाटक राज्य वक्फ बोर्ड को ₹3.82 करोड़ की राशि लौटाकर न्याय की मिसाल कायम की है। यह राशि अपराध से अर्जित थी, जिसे फर्जी संस्थाओं और निजी विलासिता पर खर्च किया गया — ईडी की 8 जुलाई की प्रेस विज्ञप्ति में इसे पोंजी जैसी धोखाधड़ी बताया गया है।
इस निर्णायक कदम ने वर्षों से रियल एस्टेट प्रोजेक्ट्स में फंसे हजारों खरीदारों के लिए उम्मीद की किरण जगा दी है। विशेष रूप से गुड़गांव स्थित ग्रीनोपोलिस प्रोजेक्ट के पीड़ितों ने अब समान मुआवज़े की मांग उठाई है।
ग्रीनोपोलिस: एक अधूरा सपना
थ्री सी शेल्टर्स प्राइवेट लिमिटेड द्वारा विकसित इस प्रोजेक्ट ने 1,200 से अधिक खरीदारों से लगभग ₹873.83 करोड़ की राशि ली, पर्यावरण-अनुकूल घरों का वादा किया, परंतु प्रोजेक्ट अधूरा छोड़ दिया गया। ईडी ने इस घोटाले में अब तक ₹395.03 करोड़ की संपत्ति कुर्क की है।
जीडब्ल्यूसी की भावुक अपील
ग्रीनोपोलिस वेलफेयर कॉन्फ़ेडरेशन (जीडब्ल्यूसी) के वरिष्ठ सदस्य, विंग कमांडर (सेवानिवृत्त) डी.एस. मलिक ने कहा, “हमारे साथ भी वैसी ही धोखाधड़ी हुई है जैसी शुशीला चिंतामणि मामले में हुई थी। हम भी न्याय और मुआवज़े की उम्मीद कर रहे हैं।”
न्याय और भरोसे की पुकार
जीडब्ल्यूसी ने प्रवर्तन निदेशालय, न्यायपालिका और संबंधित अधिकारियों से अनुरोध किया है कि पीएमएलए की धारा 8(6) के तहत जब्त संपत्ति को अदालत के माध्यम से पीड़ित खरीदारों को सौंपा जाए।
आशा की किरण
गुरुग्राम के सेक्टर 89 में स्थित ग्रीनोपोलिस प्रोजेक्ट के सैकड़ों खरीदार वर्षों से अधर में हैं। ईडी द्वारा उठाया गया ताज़ा कदम उनके लिए न केवल राहत, बल्कि पुनर्निर्माण और न्याय की दिशा में एक नई शुरुआत साबित हो सकता है।



