*धोखेबाज बिल्डर पर कसा कानून का शिकंजा रेरा से हार के बाद अब गिरफ्तारी पर अग्रिम जमानत याचिका भी खारिज*

 

हाल ही में आया रेरा का ऐतिहासिक आदेश धोखेबाज बिल्डर के षड्यंत्रकारी ताबूत में कानून की कील साबित हुआ

मामला गाजियाबाद के सिद्धार्थ विहार की टी होम्स सोसायटी से संबंधित है जहां बिल्डर को धोखाधड़ी और ठगी कर फ्लैट हड़पना इतना भारी पड़ गया कि एक के बाद एक दो आपराधिक मुकदमे दर्ज हो गए वहीं बिल्डर द्वारा रेरा के नियम कानून का हवाला देकर मामलों में अग्रिम जमानत तो ले ली गई लेकिन 12 सितंबर को जैसे ही इस मामले में रेरा से बिल्डर पक्ष के खिलाफ फैसला आया और बिल्डर को दोषी पाया गया बस वहीं से बिल्डर और उसकी कंपनी की उल्टी गिनती शुरू हो गई मामले में अग्रिम अंतरिम जमानत याचिका की समय सीमा पूरी होने के बाद टी एंड टी बिल्डर अंकुश ने गाजियाबाद जिला अदालत में पुनः अग्रिम जमानत याचिका दाखिल कर गिरफ्तारी से राहत मांगी जिसे बुधवार 4 अक्टूबर को जिला जज ने खारिज कर दिया गया

इस मामले में बिल्डर पर पहले से ही दो मुकदमे दर्ज हैं जिनमें वह रेरा के नियम कानून के तहत आवंटन रद्द करने का हवाला देकर अंतरिम जमानत पर था लेकिन अब वही रेरा के नियम कानून उसके लिए गले की हड्डी बन गए रेरा के आदेश में साफ कहा गया है कि बिल्डर द्वारा फ्लैटों की पूर्ण धनराशि लेकर भी फ्लैटों का कब्जा नही दिया गया और जब आवंटी ने रेरा में वाद दाखिल किया तो उसे फ्लैट का आवंटन रद्द करने का लेटर जारी कर दिया गया जबकि बिल्डर को कंस्ट्रक्शन प्लान के तहत जीएसटी के साथ पूरी धनराशि पहले अदा कर दी गई थी बिल्डर की परियोजना देरी से थी ऐसे में उसके द्वारा बिना ऑक्युपेंसी सर्टिफिकेट के फ्लैट का कब्जा ऑफर किया गया ,वह फ्लैट जो रहने लायक ही नहीं था ।

आदेश में बिल्डर को 45 दिन में शिकायतकर्ता को फ्लैटों का कब्जा मय ब्याज सहित देने के लिए निर्देशित किया गया जिसका बिल्डर द्वारा अभी तक भी पालन नहीं किया गया बावजूद इसके वह अग्रिम जमानत जमानत लेने जिला जज के समक्ष पहुंच गया जिला एवं सत्र न्यायाधीश गाजियाबाद ने दोनों पक्षों को सुनकर बिल्डर की जमानत याचिका को खारिज कर दिया