कर्नाटक में कांग्रेस और जेडीएस के बीच गठबंधन सरकार के कैबिनेट का आज विस्तार हो रहा है. मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी और पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धारमैया की मौजूदगी में राज्यपाल वजुभाई वाला कैबिनेट के इन मंत्रियों को शपथ दिला रहे हैं. कैबिनेट में मुख्यमंत्री कुमारस्वामी के भाई एचडी रेवाना को भी जगह मिली है.
कांग्रेस के विधायक डीके शिवकुमार को भी कैबिनेट में जगह मिली है. हालांकि पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के मंत्री रहे कांग्रेस विधायक तनवीर सैत को जगह नहीं मिलने से उनके समर्थकों ने इसका जमकर विरोध किया है. इस कैबिनेट की सबसे खास बात ये है कि इसमें मायावती की पार्टी बीएसपी के विधायक सतीश चंद्रा को भी एंट्री मिली है.
बीएसपी को नया मुकाम
मायावती की पार्टी बीएसपी ने कर्नाटक में जीत हासिल करने वाले अपने एक मात्र विधायक को कैबिनेट मंत्री बनाने को लेकर दोनों दलों को राजी कर लिया है. ऐसा पहली बार होगा कि बीएसपी का कोई विधायक यूपी के बाहर मंत्री का दर्जा पाएगा.
कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष पद की भी चर्चा
मंत्रालयों के बंटवारों को लेकर कर्नाटक कांग्रेस के कई नेताओं ने नई दिल्ली में कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी से मुलाकात की थी. बैठक में मंत्रिमंडल के अलावा नए कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष पद की भी चर्चा हुई. अध्यक्ष पद की रेस में डीके शिवकुमार और दिनेश राव हैं. हालांकि, कुछ नेताओं का मानना है कि किसी लिंगायत को ये पद सौंपना चाहिए.
सूत्रों ने बताया कि राहुल ने राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धारमैया और उप मुख्यमंत्री जी परमेश्वर, पार्टी के वरिष्ठ नेता डीके शिवकुमार और दिनेश गुंडु राव तथा कर्नाटक मामलों के प्रभारी महासचिव केसी वेणुगोपाल के साथ दिल्ली में लंबी चर्चा की. गौरतलब है कि कुमारस्वामी और परमेश्वर ने 23 मई को अपने-अपने पद की शपथ ली थी.
समझौते के मुताबिक कांग्रेस को गृह, स्वास्थ्य, राजस्व और कृषि जैसे विभाग मिलेंगे. वहीं, जेडीएस को वित्त, आबकारी, पीडब्ल्यूडी आदि विभाग मिलेंगे. सूत्रों के मुताबिक दोनों पार्टियां कुछ विभागों को रिक्त रख सकती है. जेडीएस ने क्षेत्र के आधार पर मंत्रियों को शामिल करने का फैसला किया है.
उल्लेखनीय है कि जेडीएस और कांग्रेस ने 12 मई के विधानसभा चुनाव के त्रिशंकु नतीजे आने के बाद राज्य में गठबंधन किया था. सबसे बड़ी पार्टी होने के नाते राज्यपाल से मिले न्योते के बाद भाजपा ने सरकार बनाई थी, लेकिन विश्वास मत का सामना किए बगैर ही 19 मई को बीएस येदियुरप्पा ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था.