राजस्थान सरकार ने लड़कियों से छीनी मनपसंद कपड़े पहनने की आजादी

महिला दिवस से पहले महिलाओं को लेकर भेद का एक मामला सामने आया है. राजस्थान सरकार ने कॉलेज जाने वाली 1 लाख 86 हजार लड़कियों पर जींस पैंट और टी शर्ट पहने पर पाबंदी लगा दी है. अब कॉलेज में स्टूडेंट्स के लिए ड्रेस कोड लागू करने फैसला किया गया है.

फैसले के बाद सभी कॉलेजों में ड्रेस कोड फॉलो करना अनिवार्य हो जाएगा. ड्रेस कोड शिक्षण सत्र 2018-19 से लागू करने का फैसला किया है.

हालांकि राजस्थान उच्च शिक्षा विभाग के फैसले में कॉलेजों को  कॉलेजों में ड्रेस का रंग निर्धारित करने का अधिकार दिया गया है. लड़के और लड़कियों का अलग-अलग ड्रेस होगा.  12वीं तक स्कूल ड्रे स फॉलो करने वाले स्टूडेंट्स को कॉलेज से मनपसंद कपड़ों की छूट मिलती है. लेकिन वंसुधरा सरकार के फैसले की वजह से राजस्थान में ऐसा होना मुश्किल हो जाएगा. ड्रस पर बंदिश कोे  लेकर राज्य में मिलीजुली प्रतिक्रिया है.

1 लाख 86 हजार लड़कियों पर असर 

फैसले के बाद राजस्थान में करीब 1,86000 लड़कियों पर ड्रेस कोड का असर होगा. राजस्थान सरकार की तरफ से जारी फॉर्मेट में लड़कियों के ड्रेस के लिए सलवार कमीज और साड़ी तय की गई है. यानी साफ है कि कॉलेज में अब जींस-पैंट और टी-शर्ट या फिर कोई भी फैशनेबल ड्रेस में लड़कियां नहीं दिखाई देंगी. सरकार ने कहा है यदि कोई भी छात्र नियम का पालन नहीं करता है तो उन्हें कॉलेज में आने की इजाजत नहीं दी जाएगी.

सरकार का ड्रेस कोड, रंग कॉलेज का

राजस्थान सरकार ने छात्र-छात्राओं के लिए ड्रेस कोड लागू तो कर दिया लेकिन ड्रेस कौन से रंग की होगी इसकी जिम्मेदारी कॉलेज की स्टूडेंट यूनियन और कॉलेज प्रशासन को दी गई है जो मिलकर ड्रेस का रंग तय करेगा जिसके बाद ही ड्रेस बनवाई जाएगी.

ड्रेस कोड लागू करने की ये है वजह

उच्च शिक्षा मंत्री किरण महेश्वरी ने कहा कि अलवर और जयपुर में गुरु शिष्य संवाद में स्टूडेंट की ओर से ही ये बात सामने आई थी कि कॉलेज में पास आउट स्टूडेंट और बाहरी छात्र आ जाते है जिससे कॉलेज का माहौल खराब होता है और अनुशासनहीनता होती है. इन शिकायतों को देखते हुए इस बार तय किया गया है कि आगामी सत्र यानी 2018-2019 में ड्रेस कोड लागू किया जायेगा.ड्रेस का रंग भगवा करने के आरोपों पर महेश्वरी ने साफ किया कि सरकार ने कोई रंग तय नहीं किया है अगर स्टूडेंट कोई रंग तय करेंगे तो इसका सरकार विरोध नहीं करेगी यानी कि अगर किसी कॉलेज से भगवा ड्रेस की आवाज आती है तो ड्रेस भगवा भी हो सकती है.

पहले यहां भी लागू किया गया ड्रेस कोड

कॉलेजों में ड्रेस कोड का पहला मामला नहीं है इससे पहले भी दिल्ली यूनिवर्सिटी और पंजाब के कुछ स्कूलों और कॉलेजों में छात्रों के कपड़ों पर रोक-टोक और उन्हें संस्कारी बनाने का मामला सामने आया था. जहां छात्रों को अनुशासित करने के लिए उन्हें जींस और टी-शर्ट पहनने पर ही रोक लगाई गई थी. वहीं अगर बात एजुकेशन सिस्टम की जाए तो वह दिन-प्रतिदिन बद से बदतर होता जा रहा है, ऐसे में सरकार एजुकेशन सिस्टम पर फोकस करने के अलावा ड्रेस कोड पर फोकस कर रही है.