चीन के अरबों डॉलर के प्रोजेक्ट OBOR का विकल्प तैयार करने के लिए अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, जापान और भारत हाथ मिला सकते हैं. ये सभी देश मिलकर एक संयुक्त क्षेत्रीय बुनियादी ढांचा योजना बना रहे हैं. चीन के बढ़ते प्रभाव पर अंकुश के लिए ऑस्ट्रेलिया ने इन सभी देशों से बातचीत करने की पहल की है.
ऑस्ट्रेलियन फाइनेंशियल रीव्यू ने एक वरिष्ठ अमेरिकी अधिकारी के हवाले से यह खबर दी है. अधिकारी ने कहा कि चारों देशों को साथ लेकर चलने की यह योजना अभी शैशवकाल में ही है और अभी जल्दी इसकी घोषणा संभव नहीं है.
गौरतलब है कि ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री मैल्कम टर्नबुल इसी हफ्ते अमेरिका की यात्रा पर जा रहे हैं. समाचार एजेंसी रायटर्स के मुताबिक इस अधिकारी ने कहा, ‘टर्नबुल के राष्ट्रपति डोलान्ड ट्रंप से मुलाकात के दौरान इस प्रोजेक्ट के एजेंड पर बातचीत हो सकती है. सूत्र ने कहा कि इस योजना को चीन के ओबीओआर का ‘प्रतिद्वंद्वी’ नहीं ‘विकल्प’ कहा जाएगा. उन्होंने कहा कि चीन अपना इंफ्रास्ट्रक्चर विकसित करे, इससे किसी को परहेज नहीं, लेकिन हम इसके साथ अपना रोड या रेल लिंक बनाकर उसके प्रोजेक्ट को और व्यवहार्य बना सकते हैं.
जापान के मुख्य कैबिनेट सचिव योशिहिदे सुगा ने इस बारे में पत्रकारों के सवाल पर कहा कि अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, जापान और भारत अपने साझा हितों पर नियमित रूप से चर्चा करते हैं. इसका मतलब यह नहीं कि हम चीन के ओबीओआर का कोई जवाब तैयार कर रहे हैं. जापान अपने आधिकारिक विकास सहायता (ODA) का इस्तेमाल उच्च स्तरीय बुनियादी ढांचे को बढ़ावा देने में भी करता है.
अमेरिका, जापान, भारत और ऑस्ट्रेलिया ने हाल में अपने सुरक्षा सहयोग को और गहरा करने तथा क्षेत्रीय बुनियादी ढांचे के विकास में चीन के वित्तीय निवेश का विकल्प तैयार करने में सहयोग के लिए चार स्तरीय बातचीत फिर से शुरू की है. चारों देशों के इस गठजोड़ को क्वाड कहा गया और पिछले साल नवंबर में आसियान के आयोजन के मौके पर इन देशों के बीच बातचीत हुई थी.
ओबीओआर, चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग का पसंदीदा प्रोजेक्ट है. चीन ने आर्थिक मंदी से उबरने, बेरोजगारी से निपटने और अर्थव्यवस्था में जान फूंकने के लिए ‘वन बेल्ट, वन रोड’ परियोजना को पेश किया है. चीन ने एशिया, यूरोप और अफ्रीका को सड़क मार्ग, रेलमार्ग, गैस पाइप लाइन और बंदरगाह से जोड़ने के लिए ‘वन बेल्ट, वन रोड’ के तहत सिल्क रोड इकोनॉमिक बेल्ट और मेरीटाइम सिल्क रोड परियोजना शुरू की है.
इसके तहत छह गलियारे बनाए जाने की योजना है. इसमें से कई गलियारों पर काम भी शुरू हो चुका है. इसमें पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (पीओके) से गुजरने वाला चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा भी शामिल है, जिसका भारत कड़ा विरोध कर रहा है.