देहरादून – उत्तराखण्ड महिला मंच एवं उत्तराखण्ड पर्वतीय विकास मंच के संयुक्त तत्वाधान में राजधानी गैरसैंण बनाये जाने की उत्तराखण्ड महिला मंच एवं उत्तराखण्ड पर्वतीय विकास मंच के संयुक्त तत्वाधान में राजधानी गैरसैंण बनाये जाने की मांग को लेकर गांधी पार्क देहरादून में धरना प्रदर्शन किया गया जिसमे सैकड़ो की संख्या में महिलाओं पुरुषों ने भाग लिया ।कार्यक्रम की अध्यक्षता एस डी पंत और संचालन मंच की संयोजक निर्मला बिष्ट ने किया । सभी वक्ताओं का पहाड़ की भोगौलिक परिस्थितियों , रोजगार ,पलायन पर वक्तव्य केन्द्रित रहा । मंच की संयोजिका कमला पंत ने कहा हम सदा गैरसैंण राजधानी बनाये जाने की बात करते रहे हैं जब प्रथम वैकल्पिक भाजपा सरकार बनी थी हमने उसी दिन देहरादून में शपथ ग्रहण का विरोध किया था और निर्वाचित कांग्रेस सरकार का भी विरोध किया था , हम निरन्तर आन्दोलन करते आ रहे हैं किन्तु ये सरकारें जनता को छलती आ रही हैं अब हम बर्दाश्त करने की स्थिति में नहीं हैं । निर्मला बिष्ट ने कहा जितनी भी सरकारें आई बस अपना ही स्वार्थ देखते रहे हैं सब एक ही थाली के चट्टे बट्टे हैं 5–5 साल राज करो जनता को उलझाये रखो ,पार्टी का कोई व्यक्ति अगर चाहे भी तो बोल नहीं सकता ऐसे राजनीतिक बंधुओ मजदूरों से क्या उम्मीद की जा सकती है , ये गैरसैंण राजधानी की बात न करके एक साजिश की तहत उत्तर प्रदेश के कुछ भाग को उत्तराखण्ड में मिलाने की बात करते हैं कि तब तो राजधानी गैरसैंण के विरोध के लिए हम कुछ जरखरीदों को तैयार कर लेंगे , लेकिन यह उनकी भूल है। ऐसा हम होने नहीं देंगे । मंच की संयोजिका उषा भट्ट ने अपने वक्तव्य में कहा हम राज्य लड कर ले सकते हैं तो राजधानी गैरसैंण भी बनवा सकते हैं अब जिसे उत्तराखण्ड में सत्तासीन होना है तो राजधानी गैरसैंण घोषित करके वहीं से राज्य के समस्त कार्य देखने होंगे ,राज्य का वजट सत्र वहीं चलाना होगा ।जो विधायक मन्त्री गैरसैंण में प्रथम श्रेणी की सुविधाओं में भी नहीं रह सकते उन्हें जनता का नेतृत्व करने का कोई अधिकार नहीं वह उत्तराखण्ड पहाड़ी राज्य की दृष्टि से नितान्त अयोग्य हैं।
हमने मैदानी क्षेत्र नहीं मांगा था हम तो हरिद्वार भी नहीं चाहते थे हमने सिर्फ कुम्भ क्षेत्र तक की मांग की थी मैदानी क्षेत्र से हमें बिल्कुल परहेज था क्योंकि फिर वही स्थिति हमारी होनी थी ।राज्य पहाड़ी मांग पहाड़ियों की ,जिसे स्वीकार नहीं वह अपना ठिकाना ढूँढ़ लें।जो नेता ,मन्त्री ,विधायक उत्तर प्रदेश के एक भी गांव को उत्तराखण्ड में मिलाने की बात करेगा उसका क्या हस्र होगा वह खुद सोच ले यदि कहीं ऐसा प्रस्ताव बना तो जो शान्ति प्रिय जनता पहले नहीं चाहती थी वह भयानक स्थिति होगी ,इसलिए इस प्रकार के विचार जहाँ उठे हैं वहीं दफन कर दिये जांय। यह राज्य महिलाओं की अस्मिता और युवाओं की शहादत पर बना है इसके साथ और खिलवाड़ सहन नहीं होगा ।अब हम कुर्बानी देंगे नहीं बल्कि गद्दारों को सबक सिखायेंगे। पहाड़ों के साथ छल बहुत हो गया अब और नहीं ।अपार प्राकृतिक वैभव ,सम्पदा से परिपूर्ण यह पहाड़ी राज्य सुनियोजित नीति की बाट जोह रहा है।श्री सुधीर बडोला ने कहा कुछ समय के लिए युवा वर्ग नेताओं के लुभावने छल से भ्रमित हो कर रोजगार की आशा में पलायन कर बैठा था किन्तु रोजगार की स्थिति बद से बदतर हो गयी है ,पुनः पलायन के कारण और दुश्परिणामों से विज्ञ होकर अपनी जन्म भूमि की ओर रूख करने लगा है ।
एस डी पंत जी ने कहा गैरसैंण से कम पर कोई समझौता नहीं ।यह जन आन्दोलन द्वारा प्राप्त राज्य है सरकारें जनता की अनदेखी ना करें।आज हमारी संस्कृति ,हमारी पहचान ,हमारे रीति रिवाज ,हमारी उच्च स्तरीय परम्परा भी लुप्त होती जा रही है इसे बचाना भी हमारा कर्त्तव्य है और यह तब ही सम्भव है जब पहाड़ी राज्य की अबधारणा धरातल पर दिखाई दे ।देहरादून में बनी योजनाएं पहाड़ के लिए कारगर नहीं हैं ,हमें हर हाल में गैरसैंण में पूर्ण कालिक राजधानी चाहिए । सभा में उपस्थित अनेक वक्ताओं ने अपने विचार रखे । को लेकर गांधी पार्क देहरादून में आज दिनांक 28/1/18 को धरना दिया गया ।धरना अभूतपूर्व रहा ।कार्यक्रम की अध्यक्षता -श्री एस डी पंत जी ने और संचालन मंच की संयोजक निर्मला बिष्ट ने किया ।सभी वक्ताओं का पहाड़ की भोगौलिक परिस्थितियों , रोजगार ,पलायन पर वक्तव्य केन्द्रित रहा ।मंच की संयोजिका कमला पंत ने कहा हम सदा गैरसैंण राजधानी बनाये जाने की बात करते रहे हैं जब प्रथम वैकल्पिक भा ज पा सरकार बनी थी हमने उसी दिन देहरादून में शपथ ग्रहण का विरोध किया था और निर्वाचित कांग्रेस सरकार का भी विरोध किया था ,हम लगातार आन्दोलन करते आ रहे हैं किन्तु ये सरकारें जनता को छलती आ रही हैं अब हम बर्दाश्त करने की स्थिति में नहीं हैं ।निर्मला बिष्ट ने कहा जितनी भी सरकारें आई बस अपना ही स्वार्थ देखते रहे हैं सब एक ही थाली के चट्टे बट्टे हैं 5–5 साल राज करो जनता को उलझाये रखो ,पार्टी का कोई व्यक्ति अगर चाहे भी तो बोल नहीं सकता ऐसे राजनीतिक बन्धवा मजदूरों से क्या उम्मीद की जा सकती है ,ये गैरसैंण राजधानी की बात न करके एक साजिश की तहत यू पी के कुछ भाग को उत्तराखण्ड में मिलाने की बात करते हैं कि तब तो राजधानी गैरसैंण के विरोध के लिए हम कुछ जरखरीदों को तैयार कर लेंगे ,लेकिन यह उनकी भूल है।
ऐसा हम होने नहीं देंगे । मंच की संयोजिका उषा भट्ट ने अपने वक्तव्य में कहा हम राज्य लड कर ले सकते हैं तो राजधानी गैरसैंण भी बनवा सकते हैं अब जिसे उत्तराखण्ड में सत्तासीन होना है तो राजधानी गैरसैंण घोषित करके वहीं से राज्य के समस्त कार्य देखने होंगे ,राज्य का वजट सत्र वहीं चलाना होगा ।जो विधायक मन्त्री गैरसैंण में प्रथम श्रेणी की सुविधाओं में भी नहीं रह सकते उन्हें जनता का नेतृत्व करने का कोई अधिकार नहीं वह उत्तराखण्ड पहाड़ी राज्य की दृष्टि से नितान्त अयोग्य हैं। हमने मैदानी क्षेत्र नहीं मांगा था हम तो हरिद्वार भी नहीं चाहते थे हमने सिर्फ कुम्भ क्षेत्र तक की मांग की थी मैदानी क्षेत्र से हमें बिल्कुल परहेज था क्योंकि फिर वही स्थिति हमारी होनी थी ।राज्य पहाड़ी मांग पहाड़ियों की ,जिसे स्वीकार नहीं वह अपना ठिकाना ढूँढ़ लें।जो नेता ,मन्त्री ,विधायक उत्तर प्रदेश के एक भी गांव को उत्तराखण्ड में मिलाने की बात करेगा उसका क्या हस्र होगा वह खुद सोच ले यदि कहीं ऐसा प्रस्ताव बना तो जो शान्ति प्रिय जनता पहले नहीं चाहती थी वह भयानक स्थिति होगी ,इसलिए इस प्रकार के विचार जहाँ उठे हैं वहीं दफन कर दिये जांय। यह राज्य महिलाओं की अस्मिता और युवाओं की शहादत पर बना है इसके साथ और खिलवाड़ सहन नहीं होगा ।अब हम कुर्बानी देंगे नहीं बल्कि गद्दारों को सबक सिखायेंगे।
पहाड़ों के साथ छल बहुत हो गया अब और नहीं ।अपार प्राकृतिक वैभव ,सम्पदा से परिपूर्ण यह पहाड़ी राज्य सुनियोजित नीति की बाट जोह रहा है।श्री सुधीर बडोला ने कहा कुछ समय के लिए युवा वर्ग नेताओं के लुभावने छल से भ्रमित हो कर रोजगार की आशा में पलायन कर बैठा था किन्तु रोजगार की स्थिति बद से बदतर हो गयी है ,पुनः पलायन के कारण और दुश्परिणामों से विज्ञ होकर अपनी जन्म भूमि की ओर रूख करने लगा है ।
एस डी पंत जी ने कहा गैरसैंण से कम पर कोई समझौता नहीं ।यह जन आन्दोलन द्वारा प्राप्त राज्य है सरकारें जनता की अनदेखी ना करें।आज हमारी संस्कृति ,हमारी पहचान ,हमारे रीति रिवाज ,हमारी उच्च स्तरीय परम्परा भी लुप्त होती जा रही है इसे बचाना भी हमारा कर्त्तव्य है और यह तब ही सम्भव है जब पहाड़ी राज्य की अबधारणा धरातल पर दिखाई दे ।देहरादून में बनी योजनाएं पहाड़ के लिए कारगर नहीं हैं ,हमें हर हाल में गैरसैंण में पूर्ण कालिक राजधानी चाहिए । सभा में उपस्थित अनेक वक्ताओं ने अपने विचार रखे ।