भारत तीव्र गति से विकास की राह पर अग्रसर

देश के स्वाधीन होने के बाद शुरूआती वर्षों के दौरान सरकार के सामने तीन बड़ी चुनौतियां थीं- विशाल शरणार्थी विपत्ति से निपटने की व्‍यवस्‍था करना और उसके बाद लाखों लोगों का पुनर्वास करना, 560 से ज्यादा रियासतों को एक मजबूत राष्ट्र में मिलाना तथा राजनीतिक लोकतंत्र और सामाजिक आर्थिक न्याय की बुनियाद रखने वाले भारतीय संविधान को लागू करना। इसके साथ, देश द्वारा अपनाई गई योजना प्रणाली ने, विज्ञान, प्रौद्योगिकी, बिजली, कृषि, उद्योग, सड़कें, सिंचाई और विकास के अन्य खंडो को बढ़ावा देने के लिए अवसंरचना के विकास में सहायता प्रदान की। केन्द्र और राज्य सरकारों सहित सरकार ने सामाजिक-आर्थिक बदलाव की प्रक्रिया का मार्ग दर्शन और नियंत्रण करने में प्रमुख भूमिका निभाई। हालांकि भारतीय अर्थव्यवस्था में 1991 में उदारीकरण-निजीकरण-वैश्वीकरण परिप्रेक्ष्यों को अपनाने के माध्यम से आमूल चूल बदलाव हुआ। प्रामाणिक रूप से सार्वजनिक और निजी क्षेत्रों के बीच साझेदारी के नये युग का सूत्रपात हुआ, जिससे त्वरित और कम नियंत्रण वाले आर्थिक विकास का मार्ग प्रशस्त हुआ। अगले साल (1992) के दौरान, 73वें और 74वें संविधान संशोधनों ने शहरी और ग्रामीण स्थानीय शासन संस्थाओं के लोकतंत्रिककरण का मार्ग  प्रशस्‍त किया। बाद के वर्षों में राजनीतिक लोकतंत्र को मजबूती प्रदान करने के लिए एक अऩ्य महत्वपूर्ण सुधार-सूचना का अधिकार 2005 लागू किया गया।

 

सामाजिक-आर्थिक विकास के क्षेत्र में, सार्वजनिक क्षेत्र के प्रदर्शन में अस्थिरता के बावजूद उसमें व्यापक वृद्धि देखी गई। इतना ही नहीं,  शहरी बदलाव, ग्रामीण कायापलट, परिवहन, संचार और राष्ट्रीय जीवन के अऩ्य क्षेत्रों में अऩेक योजनाएँ और कार्यक्रम बनाये गये हैं। अऩेक कार्यक्रमों में पिछड़े क्षेत्रों के विकास, ग्रामीण क्षेत्रों में शहरी सेवाओं का प्रावधान, गरीबी का उपशमन, कृषि को प्रोत्‍साहन और समाज के वंचित वर्गों का सम्मान और दर्जा बढ़ाने पर ध्यान केन्द्रित किया गया है।

 

2014 के बाद तेजी में गति

वर्ष 2014 में, राजग सरकार के सत्ता में आने के बाद राष्ट्रीय जीवन के सभी पहलुओं में सशक्त पहल और नवोन्मेषों की शुरूआत हुई। श्री नरेन्द्र मोदी की अग्र –सक्रिय विदेश नीति ने भारत की प्रतिष्ठा में चार-चांद लगाए और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर आर्थिक और रक्षा संबंधों को मजबूती प्रदान की। इसके अलावा, भारत की रक्षा प्रणाली के आधुनिकीकरण पर बड़े पैमाने पर निवेश किया गया। हाल ही में, भारत की आर्थिक वृद्धि में लगातार वृद्धि हो रही है, जिसकी बदोलत वह विश्व में तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था बन चुका है।

वर्तमान शासन की सबसे उल्लेखनीय बात आर्थिक लोकतंत्र में पुनः जान डालना रही। बैंकिंग सेवाओँ, रोजगार के अवसरों के सृजन, औद्य़ोगिक विस्तार, कारोबार में वृद्धि, शैक्षणिक बदलाव और स्वास्थ्य सेवाओँ में आम लोगों की साझेदारी में बड़े पैमाने पर वृद्धि हुई है। ‘डिजिटल इंडिया’ अभियान शासन प्रणाली में व्यापक पारदर्शिता, जवाबदेही और जनभागीदारी सुनिश्चित करने का कारगर साधन बन गया है। जीएसटी प्रौद्योगिकीय क्रांति का ऐसा ही एक परिणाम है।

 

जे.ए.एम. (जन धन योजना, मोबाइल और आधार) की त्रिमूर्ति ने करोड़ो लोगों को वित्तीय और आर्थिक रूप से सशक्त बनाया है। स्टार्ट-अप्स और स्टेंड-अप्स ने युवाओँ, महिलाओं और समाज के वंचित वर्गों के बीच उद्यमिता और आत्म सम्मान की भावना को अंतर्निविष्ट किया है। स्पष्ट तौर पर, वर्तमान सरकार के सामाजिक-आर्थिक दर्शन का वर्णन समानता के साथ तरक्की की परम्परागत उक्ति के माध्‍यम से किया जा सकता है। बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ लड़कियों के साथ न्याय और महिला सशक्तीकरण के लिए समर्थन जुटाने का एक उदाहरण है।

मोदी सरकार के तीन सबसे महत्वपूर्ण नवोन्मेष संभवतः मेक इऩ इंडिया अभियान (यहां तक की रक्षा उपकरण और सुपर कम्प्यूटर के निर्माण में सहायता), विचारशील लोकतंत्र को प्रेरणा प्रदान करने वाली टीम इंडिया की भावना को मजबूती प्रदान करना और स्किल इंडिया मिशन हैं।

विमुद्रीकरण और जीएसटी आखिरकार काले धन पर काबू पाने में सहायक होंगे, हालांकि आर्थिक अपराधों और भ्रष्टाचार को नियंत्रित करने के लिए कई अन्य व्यवस्थित प्रयास किए जाने की आवश्यकता होगी। हमें ऐसा भारत तैयार करने की जरूरत है, जहां लोग अपने कर्तव्य का पालन के प्रति समर्पित हों और अपने निजी तथा सार्वजनिक जीवन में स्वैच्छा से ईमानदारी भऱा आचरण करें।