गजल

उठाकर हाथ दोनों खुदा से दुआ मैं करती हूँ ।
सलामत तुम रहो सदा गुजारिश ये मैं करती हूँ ।

बड़ी बेबाक नज़रों से निहारा आज है तुमने ,
मासूम दिल में दर्द न हो दुआ ये मैं करती हूँ ।

कहीं गुलशन कहीं पतझड़ कहीं मातम हुआ होगा,
उदासी ओढ़कर न बैठो दुआ ये मैं करती हूँ ।

तलाशो रोशनी को इस कदर सूनसान राहों में ,
तन्हाई भाग जाएगी दुआ ये मैं करती हूँ ।
जहाँ की सारी खुशियाँ तेरे दामन में भर जाएं ,
जख्म ना मिले कोई खुदा से दुआ ये मैं करती हूँ ।